Transfer of Govt Land : निगम में सरकारी जमीन का नामांतरण, EOW ने सिटी प्लानर को पकड़ा!

भू-माफिया को संरक्षण, FIR के बाद भी नामांतरण निरस्त नहीं!

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Transfer of Govt Land : निगम में सरकारी जमीन का नामांतरण, EOW ने सिटी प्लानर को पकड़ा!

Gwalior : जिस जमीन को लेकर नगर निगम के सिटी प्लानर को EOW ने पैसे लेते हुए गिरफ्तार किया था। वह जमीन जांच में सरकारी निकली। इस जमीन पर ज्योति गृह निर्माण समिति ने अपना दावा ठोका था, उसी जमीन के मालिकों पर लोकायुक्त के आदेश पर नगर निगम ने 13 अक्टूबर को विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करा दिया है।

अब इसमें एक नई बात सामने आई है कि निगम जिस जमीन को अपना बता रहा है अधिकारियों ने गुपचुप तरीके से इस जमीन का नामांकन कर दिया और इस बात को लोकायुक्त से छुपा लिया। इससे साफ है कि निगम में कुछ अधिकारी भू-माफिया को संरक्षण दे रहे हैं। क्योंकि, FIR के बाद भी नामांकन को निरस्त नहीं किया गया।

जमीन का इतिहास
वर्ष 1962 में राजस्व के माध्यम से सुरेश नगर के पीछे नगर निगम को ट्रेंचिंग ग्राउंड (कचरा निष्पादन) के लिए 22 बीघा 7 बिस्वा जमीन मिली थी। इसका सर्वे क्रमांक 2210, 2211, 2212, 2213, 2240, 2250 व 2253 था। 24 अक्टूबर 1963 को नगर निगम ने इस जमीन का कब्जा लिया। 9 दिसंबर 1985 को तत्कालीन तहसीलदार द्वारा नगर पालिका निगम स्वत्व में इस जमीन का नामांकन स्वीकृत किया गया। इस जमीन में दो सर्वे क्रमांक 2251 व 2252 को नामांकन नहीं हुआ था, क्योंकि इन दोनों सर्वे क्रमांक पर न्यायालय में मामला चल रहा था।

23 अगस्त 2001 को तत्कालीन SDM द्वारा सर्वे क्रमांक 2240 (तीन बीघा 8 बिस्वा) पर नगर निगम के स्थान पर भागीरथ आदि के नाम से नामांकन स्वीकृत कर दिया गया। तो यह मामला 2003 में अपर आयुक्त से लेकर 2011 तक राजस्व मंडल में गया। लेकिन कहीं भी निगम अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया जिसके कारण सभी जगह हारे।

प्रकरण के चलते ही जमीन बिक गई
सर्वे क्रमांक 2240 पर निगम और भागीरथ के बीच प्रकरण चल रहा था। उसके बीच में ही भागीरथ व उसके पार्टनर ने जमीन को ज्योति गृह निर्माण समिति को बेच दिया। वर्ष 2005 में ही भागीरथ के स्थान पर समिति का नाम खसरे में चढ़ गया। इस आदेश के खिलाफ नगर निगम ने हाईकोर्ट ग्वालियर में अपील की थी, जिसका मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है। जमीन को लेकर नगर निगम अतिक्रमण हटाने के लिए न्यायालय में केस लड़ रही है, उसी जमीन पर निगम के अधिकारियों द्वारा अतिक्रमणकर्ता के पक्ष में गुपचुप तरीके से नामांकन जारी कर दिया गया।

यहां से हुआ मामले का खुलासा
गजेन्द्र सिंह नामक व्यक्ति ने दो दिसंबर 2019 को लोकायुक्त में शिकायत की। शिकायत में कहा गया कि निगम अधिकारियों की मिली भगत से 50 करोड़ रुपए की शासकीय भृूमि सर्वे क्रमांक 2240 गोसपुरा (सुरेश नगर) में बेची जा रही है। शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त द्वारा मामले की जांच शुरु की गई। यह तथ्य सामने आया कि भागीरथी व उनके पार्टनर द्वारा कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर व तथ्यों को छुपाते हुए अपने नाम नामांकन करा लिया। जब यह सभी तथ्य दस्तावेज के रूप में सामने आए, तो लोकायुक्त ने एफआईआर कराने के आदेश दिए।

निगम ने यह तथ्य छुपाए लोकायुक्त से
अपनी जमीन का नामांकन दूसरे के नाम कर दिया, यह लोकायुक्त को नहीं बताया। वर्ष 1985 में 2250 व 2251 सर्वे क्रमांक को छोड़कर शेष सभी आवंटित सर्वे क्रमांकों का नामांकन तहसीलदार द्वारा निगम के पक्ष में किया गया था, लेकिन निगम द्वारा अपनी टीप में सर्वे क्रमांक 2240 का नामांकन स्वीकार न होना बताया गया।

हम नामांकन निरस्त करेंगे
ग्वालियर नगर निगम के आयुक्त किशोर कन्याल के मुताबिक, सुरेश नगर के पास निगम अपनी जमीन को वापस लेने के लिए केस लड़ रहा है। उस जमीन का पहले नामांकन कर दिया गया है यह मेरी जानकारी में नहीं है। इसकी में जानकारी लूंगा और नामांकन किया गया है तो हम उसको निरस्त करेंगे।

मामले की जांच चल रही है
जांच अधिकारी चंदन सिंह ने बताया कि नगर निगम द्वारा जमीन को लेकर मामला दर्ज कराया गया है। इस मामले में 420, 467, 468 सहित अन्य धाराएं लगाई गई हैं। इस मामले की अभी जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद ही तथ्यों की जानकारी दी जा सकेगी।