भरोसा कायम है…

422

भरोसा कायम है…

 

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे और सांसद नकुलनाथ‌ ने एक बार फिर छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी से नामांकन दाखिल कर दिया है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राजगढ़ संसदीय क्षेत्र से भाजपा के रोडमल नागर के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। और कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी हैं। यहां भाजपा ने अनीता नागर सिंह चौहान को मैदान में उतारा है। वैसे तो‌ शहडोल संसदीय क्षेत्र से भाजपा की हिमाद्री सिंह के खिलाफ भी कांग्रेस ने विधायक फुंदे लाल मार्को को मैदान में उतारकर चुनाव दिलचस्प बनाया है। और होशंगाबाद से कांग्रेस के संजय शर्मा भले ही विधानसभा चुनाव में मुलायम के सामने कुम्हला गए हों, पर संसदीय चुनाव में भाजपा के दर्शन सिंह चौधरी के सामने दम भरने वाला चेहरा हैं। ऐसे ही कुछ और नामों की चर्चा हो सकती है, जिसमें फूल सिंह बरैया का नाम भी शामिल है। पर इन सबमें अगर 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मध्यप्रदेश में सिर्फ एक सीट जीत पाई थी, तो वह थी छिंदवाड़ा संसदीय सीट। और 2024 लोकसभा चुनाव में भी इसी सीट की तरफ भाजपा और सभी की निगाहें हैं। दरअसल कमलनाथ के कई करीबी और थोक के भाव में कांग्रेस के सैकड़ों नेता इस बार भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। और लंबे समय‌ तक कमलनाथ और नकुलनाथ के भी भाजपा में जाने की अटकलें लगती रहीं। पर अपनों से कितना भी मतभिन्नता और कुछ हद तक मतभिन्नता का भी अहसास रहा हो, पर नाथ ने कांग्रेस न छोड़कर यह संदेश दे दिया है कि उनकी तह पाना और उन्हें उनके संकल्प से डिगाना इतना भी आसान नहीं है। एक समय ऐसा लग रहा था कि नाथ, दिग्विजय और सिंधिया जैसे कांग्रेस के तीन कद्दावर चेहरों में से सिंधिया ने तो कांग्रेस को ठोकर मारकर भाजपा का दामन थाम ही लिया था, अब यदि कमलनाथ भी चले जाते तो फिर बस राजा का चेहरा ही कांग्रेस में देखने को मिलता। पर नाथ ने जता दिया है कि उनका हाथ तो कांग्रेस के साथ ही रहा है और रहेगा भी। और नकुलनाथ जीतेंगे इसका भरोसा भी उन्हें पूरा है। कमलनाथ का दावा है कि उन्होंने अपनी पूरी जवानी छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र को समर्पित कर दी है। नाथ का भरोसा कायम है कि छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र का मतदाता उन्हें निराश नहीं करेगा। नकुलनाथ ही छिंदवाड़ा से संसद में प्रतिनिधित्व करेंगे।

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ ने 26 मार्च 2024 को कलेक्ट्रेट पहुंचकर नामांकन दाखिल किया। उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, मां एवं पूर्व सांसद अलकानाथ और पत्नी प्रिया नाथ शामिल थीं। नामांकन के बाद रैली और सभा में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी एवं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी शामिल हुए। तो यह कमलनाथ का प्रभाव और व्यक्तिगत पूंजी ही है कि चार दिन पहले पुत्र अजय सक्सेना के भाजपा में प्रवेश के चलते कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना लोकसभा प्रत्याशी नकुलनाथ के प्रस्तावक बने, भले ही वह नामांकन रैली और सभा में शामिल नहीं हुए। और जैसा कि कहा जाता है कि छिंदवाड़ा में भाजपा भी नाथमय नजर आती है। तब यह माना जा सकता है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले नेता भी नाथ के मामले में अपने ह्रदय के कोमल कोने में नकुलनाथ के प्रति प्रेम भरा भाव सहेजकर रखे रहने को मजबूर रहेंगे। और तब नाथ के भरोसे पर छिंदवाड़ा का मतदाता खरा उतरे बिना नहीं रह पाएगा।

नाथ परिवार ने छिंदवाड़ा की जनता के संग अपने भावनात्मक रिश्तों को भी उजागर किया। नकुल नाथ ने कहा कि नाथ परिवार और छिंदवाड़ा के लोगों का राजनीतिक नहीं, पारिवारिक संबंध है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि छिंदवाड़ा की अलग पहचान है। आप दुनिया में जहां जाएं, वहां सीना ठोंककर कह सकते हैं कि छिंदवाड़ा से आए हैं। मैंने मेरी पूरी जवानी यहां लगा दी। जिस पातालकोट में लोगों को आटा नहीं मिलता था। लोग सीमित कपड़े पहनते थे, अब वे जींस-टीशर्ट में घूमते हैं। नौजवानों ने वो पुराना पातालकोट नहीं देखा। ‘वर्ष 1980 में छिंदवाड़ा के 2000 से अधिक गांवों में सिर्फ़ 400 गांव में बिजली थी। आज छिंदवाड़ा की पहचान विकास के मॉडल से हुई है। इस विकास के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित किया। उनकी आखिरी सांस छिंदवाड़ा को समर्पित रहेगी। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि नाथ का छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं पर भरोसा कायम है, पर 4 जून ही बताएगा कि छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं की सांस 2024 लोकसभा चुनाव में वोट के रूप में किस दल को समर्पित हुई। हालांकि नाथ के स्वभाव से यह पंक्तियां मेल खाती हैं कि हार में न जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं…।