

Two sisters take diksha: उन्हेल की दो बहनों ने संसार के मोह को त्यागकर आध्यात्मिक मार्ग में किया प्रवेश!
अल्पआयु में ही प्रभु महावीर के मार्ग पर अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए वितरागी बनी!
उल्लास पूर्ण धार्मिक माहौल में परोपकारी गुरुवर की प्रतिष्ठा एवं दोनों मुमुक्षु बालिकाओं की दीक्षा विधि संपन्न!
सतीश सोनी की रिपोर्ट
Unhel : रविवार का दिन मालवांचल के प्राचीन तीर्थ कामितपूरण पार्श्वनाथ तीर्थ उन्हेल नगर के लिए अविस्मरणीय रहेगा। इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना हजारों की संख्या में उपस्थित जैन समाज और अन्य समाजों के धर्म-प्रेमी जनमानस तथा सैकड़ों की संख्या में उपस्थित साधुभगवन्त तथा साघ्वीवर्या! बता दें कि इस ऐतिहासिक पल को आने वाली कई पीढ़ियां याद रखेगी!
यह गौरवशाली क्षण जिसका विगत काफी वर्षों से उन्हेल नगर के सकल श्री जैन संघ को इंतजार रहा। नगर के ही जैन समाज के ही वरिष्ठ समाजसेवी प्रकाश चौधरी की दोनों सुपुत्रियां मुमुक्षु वामा कुमारी एवं मुमुक्षु प्रार्थना कुमारी ने अल्पायु में ही सदमार्ग को अपनाते हुए वेराग की राह पर अपनी अंतरात्मा की शुद्धि के लिए निकल पड़ी। दीक्षा-प्रसंग के इस आयोजन को प्रथम बार निहारते हुए पंडाल में मौजूद धर्मप्रेमी जनमानस के हृदय में करुणा के भाव तथा जुबान पर एक ही शब्द था कि धन्य हैं इनके परिजन तथा धन्य हैं यह दोनों बिटिया जो कि अल्पआयु में ही प्रभु महावीर के मार्ग पर अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए वितरागी बनी।
अब मुमुक्षु वामाकुमारी साध्वी श्रीब्राम्हीरेखाश्रीजी मसा, एवं मुमुक्षु प्रार्थना कुमारी साध्वी श्री प्राणिधिरेखाश्रीजी मसा के नाम से जानी जाएगी।
दीक्षा महोत्सव के अंतिम दिवस 19 जनवरी को प्रातः काल पूज्यपाद आचार्य देव श्रीमद्विजय पदभूषणरत्नसूश्वरी जी मसा, पूज्यपाद आर्चायदेव श्रीमद्विजय जिनसुनंदरसूरीश्वर जी मसा, पूज्यपाद आर्चायदेव श्रीमद्विजय धर्मबोधिसूरीश्वर जी मसा आदि, पूज्य साध्वीजी भगवंत श्री भक्तिरेखा श्रीजीमसा के साथ लगभग 50 से अधिक भगवन्तों एवं साध्वियों की पावन निश्रा में प्रातः काल 6:30 बजे मालवांचल के परम उपकारी आचार्य भगवंत वीररत्नसुरीश्वर जी महारासाहब के भव्य गुरु मंदिर की प्रतिष्ठा विधि प्रारंभ हुई। शुभ मुहूर्त 7:15 के लगभग लाभार्थी परिवार एस एंड एस परिवार के सदस्यों द्वारा गुरु मंदिर में महारासाहब की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा विधि संपन्न हुई तथा नगर पर अनेकानेक उपकार करने वाले गुरुवर को आने वाली कई सदियों तक चिरस्म्यू रखने के लिए मंदिर की में स्थापित किया। तत्पश्चात प्रातः 8:30 बजे से दोनों मुमुक्षु बहनों की दीक्षा अंगीकार करने की विधि गुरु भगवंतो ने प्रारंभ की।
केश लोचन करने की विधि लाभार्थी परिवार ओमप्रकाश जैन के निवास स्थल पर साध्वीवर्या ने संपन्न कराई। एमबी परिसर में बनें भव्य पंडाल में मुमुक्षु बहने संसार के मोह को छोड़कर वितरागी जीवन की दिनचर्या में अपनाने वाली वस्तुओं जैसे कामली, दंडासन, बेटका, संथारा, चरवली, सुपड़ी, नवकार-माला, पात्रा, तर्पणी इत्यादि वस्तुओं को वैराने की बोली लगाई तथा लाभार्थी परिवार ने वेराई तत्पश्चात रजोहरण (ओगा) जो कि दीक्षा को अंगीकार करने का पर्याय है, दोनों मुमुक्षु बहनों को आचार्य भगवंतश्री ने वेराने के साथ ही संपूर्ण पंडाल ने मुमुक्षु बहनों पर अक्षद की वर्षा हुई, मुमुक्षु बहिनों के नामकरण के साथ ही दीक्षा विधि संपन्न हुई।
कार्यक्रम में जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक-संघ द्वारा दीक्षार्थी बहनों के सांसारिक माता-पिता का सम्मान किया साथ ही इस अवसर पर शिवपुर मातमौर तीर्थ पेढ़ी से पधारें तीर्थ उद्धारक संघ के ट्रस्ट मंडल द्वारा जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक संघ के अध्यक्ष सतीश मारू को ‘शासन रत्न’ पदवी से नवाजा गया। कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक सतीश मालवीय, शिवपुरी मातमौर संघ, उज्जैन के खाराकुआं तथा अरविंदनगर संघ, देवास के तीनों संघ, हाटपिपलिया, बागली, बोलिया, देपालपुर, खाचरोद, नागदा, रुई, गड़ा के साथ ही मालवांचल के 50 से अधिक संघों के ट्रस्ट मंडल के सदस्य उपस्थित रहे।