Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : सिंधिया और पायलट के बीच क्या खिचड़ी पक रही!

2196

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : सिंधिया और पायलट के बीच क्या खिचड़ी पक रही!

इन दिनों मध्यप्रदेश और राजस्थान की राजनीति खासी गरमाई हुई है। उसका कारण है कि दोनों राज्यों में साल के आखिरी में चुनाव होना है। मध्य प्रदेश में चुनावी गर्माहट के कई कारण है। इन दोनों राज्यों में एक सबसे बड़ी खबर यह है कि मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान के सचिन पायलट में इन दिनों खासी नजदीकी देखी जा रही है।
दोनों के बीच कई मीटिंग होने की खबर भी है। राजनीतिक जानकर इसे अलग दृष्टि से देख रहे है। सियासी गलियारों की खबरों पर अगर भरोसा किया जाय तो दोनों अपनी-अपनी पार्टियों से अंदर अंदर ही कहीं न कहीं खफा लगते हैं।

Vallabh Bhawan Corridors To Central Vista : सिंधिया और पायलेट के बीच क्या खिचड़ी पक रही!

ज्योतिरादित्य सिंधिया तो इस बात का खुलासा नहीं करते, पर सचिन पायलट का नजरिया दर्शाता है कि वे चुनाव से पहले कुछ ऐसा करने वाले हैं, जिसके बारे में सोचा नहीं गया।

ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट की मुलाकातें किसी नए गुल को खिलाने का संकेत दे रही है। अब वह क्या होगा, इसके लिए इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि, दोनों युवा है और दोनों के पास समर्थकों की बड़ी फ़ौज है। यह बात अलग है कि चुनाव में उनको और उनके समर्थकों को कितनी तवज्जो मिलती है, सारा दारोमदार इसी बात पर है।

New DGP Of Karnataka: 1987 बैच के IPS अधिकारी डॉ आलोक मोहन बने कर्नाटक के नए DGP 

लक्ष्मण सिंह का राग सिंधिया आलापने का कारण क्या!

वैसे तो कांग्रेस के नेता लक्ष्मण सिंह गुना जिले की चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, लेकिन उनकी पहचान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के छोटे भाई के रूप में ज्यादा होती है। यही कारण है कि उन्हें पार्टी में तवज्जो मिलती रही है और उनकी बातों पर कान नहीं धरे जाते! पर, वे हैं कि अपनी बयानबाजी से बाज नहीं आते।

19 10 2022 laxman and digvijay 23150964

एक तरफ दिग्विजय सिंह यह कह रहे हैं कि यदि पार्टी ने इजाजत दी, तो वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार हैं। लेकिन, लक्ष्मण सिंह का ताजा बयान है कि कांग्रेस में उन्हें सिंधिया की कमी खलती है। पर, उन्होंने यह नहीं कहा कि कमी खलने का कारण क्या है! बस इतना बोले कि वे बहुत अच्छे वक्ता हैं। देखा गया है कि जब भी लक्ष्मण सिंह को कोई विवादास्पद बयान देना होता है, वे इंदौर आते हैं और बयान देकर निकल जाते हैं!

इस बार भी यही हुआ। वे इंदौर आए सिंधिया की कमी खेलने की बात कही और चले गए। लेकिन, साथ में थोड़ी-बहुत सिंधिया की बुराई भी कर गए। बोले कि ग्वालियर-चंबल संभाग में सिंधिया के कारण कांग्रेस को फायदा होगा और सिंधिया के अधिकांश लोग चुनाव हारेंगे। वे यह बताने से भी नहीं चूके कि कई सिंधिया समर्थक कांग्रेस के संपर्क में हैं और वे भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आना चाहते हैं। इसके बावजूद यह बात समझ से परे है कि लक्ष्मण सिंह को यह बयान देने की जरूरत क्यों पड़ी!

बर्खास्त, पूरा थाना सस्पेंड, आपके आदेश का क्या हुआ मंत्रीजी

आखिर यह बात स्पष्ट हो गई कि किसी मंत्री के कहने से किसी थाने का कोई सिपाही भी बर्खास्त तो छोड़ सस्पेंड भी नहीं होता है। यहां तक की उसे हटाया तक नहीं जा सकता। देवास जिले के सतवास थाने पर कृषि मंत्री कमल पटेल जिस तरह थाने में आकर एक रात खूब हंगामा मचाया था, उसका कोई नतीजा नहीं निकला। वायरल वीडियो में मंत्री जी ने जिस तरह से चिल्ला-चिल्लाकर पूरा थाना गुंजा दिया था, वो कई ने वीडियो में देखा और सुना।

IMG 20230512 WA0078

उनकी आवाज थी ‘बर्खास्त, पूरा थाना सस्पेंड, नौकरी नहीं करने दूंगा!’ वे भूल गए थे कि ऐसा कुछ नहीं होगा और न हुआ! थाना भी वहीं है, सारे कर्मचारी भी वहीं हैं। लेकिन, जो नतीजा हुआ वो यह रहा कि मंत्री कमल पटेल की बात का कोई मतलब नहीं होता। खानापूरी के लिए मामले की जांच एसडीओपी को सौंपी गई है।

पूरा मामला सड़क के किनारे खड़े एक खराब डंपर का था, जिसकी शिकायत मिलने पर रास्ते से गुजर रहे मंत्रीजी ने थाने में जाकर हंगामा किया। लेकिन, शायद वे भूल गए था कि वे न तो मुख्यमंत्री हैं और न गृहमंत्री जिनकी बात को कोई तवज्जो दे! उनकी बात और धमकी का पुलिस की कार्रवाई से कोई सरोकार नहीं होता और अब ये साबित भी हो गया है।

महापौर जो कर रहे, उसके पीछे राजनीतिक मकसद!

अब यह स्पष्ट होता जा रहा है कि इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव की नजरें इंदौर के क्षेत्र क्रमांक 4 पर टिकी है। उन्हें ऐसा लग रहा है कि यदि विधायक होते हुए महापौर बना जा सकता है, तो महापौर होते हुए विधायक भी तो बना जा सकता है! उन्हें ऐसा लगने लगा है कि इस बार शायद पार्टी मालिनी गौड़ को टिकट नहीं देगी और इसलिए उनकी लॉटरी खुल सकती है। वे इसी इलाके में रहते हैं और यही कारण है उन्होंने महापौर बनने के बाद अपना सारा ध्यान क्षेत्र-4 पर ही लगा रखा है।

Pushyamitra Bhargava

वे यह नहीं जानते कि वे इंदौर के महापौर हैं, एक विधानसभा क्षेत्र के नहीं! उनके सारे कार्यक्रम, गतिविधियां और घोषणाएं दशहरा मैदान तक ही सीमित है। हाल ही में उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए एक पार्टी की, जिसका उन्होंने नाम लिया ‘सिंगल यूज प्लास्टिक की फेयरवेल पार्टी!’ यह पार्टी भी दशहरा मैदान पर ही हुई। क्योंकि, अब यही उनकी राजनीति का एक केंद्र बन गया।

शहर के पश्चिमी क्षेत्र पर महापौर की नजरें जिस तरह इनायत हो रही है, उससे पूर्वी क्षेत्र के लोग बेहद नाराज हैं। इस इलाके के नेताओं को भी लग रहा है की महापौर जिस दुर्भावना से काम कर रहे हैं, उसका नुकसान पार्टी को चुनाव में भोगना पड़ सकता है। दरअसल, पुष्यमित्र भार्गव का राजनीति से कोई वास्ता नहीं रहा! वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राजनीति के बाद महापौर बन गए। यहां तक तो ठीक है, लेकिन इंदौर के एक बड़े हिस्से की उपेक्षा करके क्षेत्र क्रमांक 4 को अपनी राजनीति का केंद्र वे जिस तरह बना रहे हैं, यह उनके और पार्टी दोनों के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

क्या Retired IAS बीएम शर्मा फिर होंगे CM के OSD?

भारतीय प्रशासनिक सेवा के रिटायर्ड अधिकारी बीएम शर्मा को मुख्यमंत्री के फिर से OSD बनाने की चर्चा को लेकर सोशल मीडिया पर रविवार को दिनभर खबरें चलती रही। हालांकि इस बारे में स्वयं बीएम शर्मा ने कहा कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उधर मुख्यमंत्री सचिवालय से जुड़े सूत्रों ने भी इस तरह की खबरों से फिलहाल इनकार किया है।
बता दें कि बीएम शर्मा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सवा 3 साल पहले पुनः सत्ता संभालने के बाद जून 2020 में बड़े पैमाने पर हुए उपचुनाव के पहले नियुक्त किए गए थे और उपचुनाव समाप्त होने के बाद दिसंबर 2020 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

WhatsApp Image 2023 05 22 at 7.44.29 AM

मीडियावाला ने जब इस खबर के बारे में तहकीकात तो यह कहा जा सकता है कि पूर्व में बीएम शर्मा ने चुनावों के दौरान अपने अनुभव के द्वारा अपनी उपयोगिता सिद्ध की है। हो सकता है मुख्यमंत्री फिर एक बार उन्हें चुनाव के पूर्व अपना ओएसडी बनाने का मन बना रहे हो और शायद हो सकता है इस बारे में उन्होंने कहीं संकेत भी दिए हो लेकिन फिलहाल इसे लेकर शासकीय स्तर पर कोई आदेश जारी नहीं हुए हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले दिनों में क्या बीएम शर्मा मुख्यमंत्री शिवराज के ओएसडी के रूप में फिर से काम करते दिखाई देंगे?

कई रिटायर्ड IAS विधानसभा चुनाव में टिकट जुगाड़ की दौड़ में!

पिछले दिनों राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के भी चुनाव लड़ने की खबरें आई थी। अकेली निशा बांगरे ही नहीं,कई और भी ऐसे डिप्टी कलेक्टर है जिन्हें बाद में IAS अवार्ड हुआ और वे अब रिटायर्ड है, टिकट पाने की जुगाड़ में लग गए है।

IMG 20230522 WA0016

प्रशासनिक सेवा के बाद अब रिटायर अधिकारियों का दूसरा ठिकाना राजनीति बनने लगी है। जब भी विधानसभा चुनाव आते हैं, टिकटों की जुगाड़ शुरू हो जाती है। यही सब इस बार भी शुरू हो गया! सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 84 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और 2000 बैच के IAS अफसर रहे एसएस कुमरे भाजपा नेताओं के लगातार संपर्क में हैं। वे सिवनी जिले के बरघाट से बीजेपी के टिकट के लिए कोशिश में लगे हैं। यह सीट एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है और कुमरे पूरी कोशिश में हैं कि उन्हें भाजपा से टिकट मिल जाए।

WhatsApp Image 2023 05 22 at 7.46.52 AM

एक अन्य अधिकारी केपी राही 82 बैच के डिप्टी कलेक्टर और 98 बैच के आईएएस अधिकारी रहे है। वे किसी भी एससी सीट के लिए प्रयास कर रहे हैं। शिवनारायण सिंह चौहान 87 बैच के डिप्टी कलेक्टर और 2003 बैच के IAS अफसर है। वे सोंधिया समाज के हैं और राजगढ़ ब्यावरा सीट में इस समाज की बहुतायत है। इसलिए वे इस सीट के लिए पूरी ताकत से बीजेपी से टिकट पाने में जुटे हैं।

किसी समय भोपाल के कमिश्नर रहे कवींद्र कियावत का नाम भी चुनाव लड़ने वालों की चर्चा में गाहे बगाहे आता रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इनमें से कितने अधिकारियों को टिकट मिलता है! क्योंकि, किसी रिटायर्ड अधिकारी को टिकट देने का मतलब है उस सीट के लिए सालों से मेहनत कर रहे किसी स्थानीय नेता का हक मारना। भाजपा अभी जिस स्थिति में है, देखना है कि क्या वो ऐसा कोई प्रयोग करेगी?

Quad Nation Summit: विदेश में PM मोदी का जलवा, अमेरिकी प्रेजिडेंट जो बाइडेन ने ऑटोग्राफ मांगा 

दिल्ली के सत्ता के गलियारे में जब अचानक मची हलचल

दिल्ली के सत्ता के गलियारे बीते सप्ताह लगभग सुस्त पडे थे लेकिन शुक्रवार को अचानक हलचल मच गई। मौका था सरकार द्वारा एक अध्यादेश जारी करना जिसमें दिल्ली के अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग के लिए एक नया प्राधिकरण बनाना और उप राज्यपाल को पुनः प्रशासनिक मुखिया घोषित करना। जाहिर इसे लेकर राजनीतिक बयानबाजी शुरू होनी थी। चूंकि दिल्ली सरकार को यह अधिकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही मिले थे, इसलिए आप सरकार ने फिर अदालत का दरवाजा खटखटाया है। गलियारों में अब सुप्रीम कोर्ट के अगले कदम का इंतजार है।

IPS अफसर को है अपनी पोस्टिंग का इंतजार

यू टी काडर के आई पी एस अधिकारी अधिकारी आर पी उपाध्याय अपने विदेश डेपुटेशन पोस्टिंग से समय पूर्व वापस आ गए और दिल्ली पुलिस मे अपनी आमद दर्ज करा दी। अब उन्हें पोस्टिंग की प्रतीक्षा है। उपाध्याय तीन साल के लिए यू एन पोस्टिंग पर गये थे लेकिन दो साल बाद ही वापस आ गये।

PM मोदी ने जब सबको चौंकाया

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रिमंडल मे नाममात्र का फेरबदल करके सबको चौंका दिया। पिछले सप्ताह रिजुजू को कानून मंत्री से एकदम हटाना, देश में चर्चा का विषय रहा।

PM Modi's Tweet

लेकिन इससे भी ज्यादा वे नेता ज्यादा परेशान हुए जिन्हें शामिल किये जाने की उम्मीद थी। अब तो यह बात साफ हो गई कि मोदी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कब करेंगे, इस बारे में कोई भी कुछ नहीं कह सकता।

Author profile
Suresh Tiwari
सुरेश तिवारी

MEDIAWALA न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक सुरेश तिवारी मीडिया के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। वे मध्यप्रदेश् शासन के पूर्व जनसंपर्क संचालक और मध्यप्रदेश माध्यम के पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहने के साथ ही एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी और प्रखर मीडिया पर्सन हैं। जनसंपर्क विभाग के कार्यकाल के दौरान श्री तिवारी ने जहां समकालीन पत्रकारों से प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ते बनाकर सकारात्मक पत्रकारिता के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई, वहीं नए पत्रकारों को तैयार कर उन्हें तराशने का काम भी किया। mediawala.in वैसे तो प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खबरों को तेज गति से प्रस्तुत करती है लेकिन मुख्य फोकस पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी की खबरों पर होता है। मीडियावाला पोर्टल पिछले सालों में सोशल मीडिया के क्षेत्र में न सिर्फ मध्यप्रदेश वरन देश में अपनी विशेष पहचान बनाने में कामयाब रहा है।