Voting in Jammu & Kashmir : जम्मू कश्मीर में आज सबसे अधिक 77.35% वोट चांबा सीट पर पड़े।

तीसरे चरण के लिए पड़े वोटों ने पहले दो चरणों के रिकॉर्ड तोड़ दिए!

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Voting in Jammu & Kashmir : जम्मू कश्मीर में आज सबसे अधिक 77.35% वोट चांबा सीट पर पड़े।

New Delhi : जम्मू-कश्मीर में 1 अक्टूबर को तीसरे चरण का मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। इसी के साथ ही जम्मू-कश्मीर में मतदान का कार्य भी पूरा हो गया। अब 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी। इन चुनावों में तीसरे चरण के लिए पड़े वोटों ने पहले दो चरणों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। लेकिन, ओवरआल वोटिंग टर्नआउट जम्मू-कश्मीर में 2014 में हुए विधानसभा चुनावों से कम रहा।

जम्मू-कश्मीर में सात जिलों की बाकी बची 40 विधानसभा सीटों के लिए मंगलवार को अंतिम तीसरे चरण के लिए मतदान हुआ। चुनाव आयोग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इसमें शाम 5 बजे तक 65.48% वोटिंग हुई। जबकि, पहले चरण में 24 सीटों के लिए हुए मतदान में 61.38% और 26 सीटों के लिए दूसरे चरण के लिए हुए मतदान में 57.31% वोट पड़े थे। इस लिहाज से तीनों चरणों में खबर लिखे जाने तक वोटिंग टर्नआउट 61% को पार हो गया। लेकिन, 2014 में जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनावों में 65.23% पड़े थे। इस हिसाब से 2024 विधानसभा चुनावों में काफी कम वोट पड़े।

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शांतिपूर्ण तरीके से मतदान

चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए मतदान पर खुशी जाहिर की है। इस अंतिम तीसरे चरण में सात जिलों में से सबसे अधिक 72.91% वोट उधमपुर जिले में पड़े। इस जिले की सभी चार और सांबा जिले की सभी तीन विधानसभा सीटों पर वोटिंग टर्नआउट 70% से अधिक रहा। जबकि, सबसे कम 55.73 फीसदी वोट बारामुला जिले में पड़े।

सबसे अधिक मतदान होने के रूप में उधमपुर जिला टॉप पर रहा। लेकिन, अगर विधानसभा सीटों की बात की जाए तो सबसे अधिक 77.35% वोट जम्मू जिले की चांबा सीट पर पड़े। सबसे अधिक वोट पड़ने में भी इसी जिले की अखनूर और मारह सीट रही। जहां क्रमश 76.28% और 76.10% वोट पड़े। जबकि, सबसे कम वोट पड़ने वाली सीटों में बारामुला जिले की सुपौर सीट रही। जहां 41.44% ही वोट पड़े। दूसरे नंबर पर इसी जिले की बारामुला सीट रही। यहां 47.95% वोट पड़े।

शांतिपूर्ण तरीके से मतदान 

विधानसभा चुनावों की घोषणा होने से पहले जिस तरह से आए दिन आतंकी हमले हो रहे थे। उसे देखते हुए यहां चुनाव कराना काफी चुनौतीपूर्ण लग रहा था। लेकिन चुनाव आयोग, सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, बीएसएफ और सीआरपीएफ समेत देश की विभिन्न सिक्योरिटी और खुफिया एजेंसियों की रणनीति कामयाब रही। चुनावों के लिए इस तरह की रणनीति बनाई गई थी। जिसमें चुनावों के दौरान खून-खराबा होने की आशंका बेहद कम थी। नतीजा सभी के सामने है। यहां आराम से चुनाव संपन्न हो गए।