Indore : आठ बार इंदौर की सांसद और लोकसभा की अध्यक्ष तक रही सुमित्रा महाजन ‘ताई’ धीरे-धीरे पार्टी के हाशिए पर आ रही है। अब न तो उनकी बात को तवज्जो दी जाती है और न उन्हें हर मंच पर जगह मिलती है। देश के 13 राज्यों के राज्यपाल बदले गए, बीच में सुमित्रा महाजन का भी नाम चला पर उन्हें ऐसा नहीं दिया गया। अब उन्हें उन दो स्थानों के जीर्णोद्धार कार्यक्रम से भी दूर रखा गया, जिसकी पहल उन्होंने ही की थी। चर्चा है कि ये स्वाभाविक भूल है या इसके पीछे कोई राजनीति है!
तीन दशक तक लोकसभा में इंदौर का प्रतिनिधित्व करने वाली वरिष्ठ नेता को राजवाड़ा और गोपाल मंदिर के लोकार्पण में नगर निगम ने भुला दिया। मुख्यमंत्री ने सोमवार को लोकार्पण किया, पर ‘ताई’ को औपचारिक न्यौता तक नहीं दिया। ‘ताई’ भी वहीं गई, जहां का उन्हें न्यौता मिला। राजवाड़ा और गोपाल मंदिर का जीर्णोद्धार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपए खर्च करके किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका लोकार्पण किया। स्मार्ट सिटी का कार्यक्रम था और ये प्रोजेक्ट निगम के ही अधीन है। कार्यक्रम में नगर निगम ने थके-चुके और हारे हुए नेताओं तक न्यौता! लेकिन, नगर निगम सुमित्रा महाजन को भूल गया।
नगर निगम के पास ऐसे कार्यक्रमों में आमंत्रितों की एक वीआईपी लिस्ट होती है, इसलिए ये नहीं कहा कि ये मानवीय भूल है। चर्चा है कि जानबूझकर यह किया गया। नगर निगम ‘ताई’ को क्यों अनदेखा है, इसे लेकर कई तरह की बातें चल रही है। ज्यादातर चर्चाओं में पार्टी में स्थानीय स्तर पर चल रही गुटबाजी को कारण बताया जा रहा है।
निमंत्रण पत्र तक नहीं दिया गया
तीन दशक प्रतिनिधित्व करने वाली ‘ताई’ को नगर निगम कैसे भूल गया, ये आश्चर्य का विषय है। उन्हें निमंत्रण पत्र तक नहीं दिया गया। जबकि, राजवाड़ा और गोपाल मंदिर के जीर्णोद्धार में पहले से उनकी विशेष रुचि थी। उन्होंने ही इसे लेकर पहल भी की थी। लोकसभा स्पीकर रहते कई बार दौरे किए और अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए।
तत्कालीन कमिश्नर संजय दुबे भी इन दोनों प्रोजेक्ट को लेकर ‘ताई’ से संपर्क कर चर्चा करते रहे हैं। लेकिन, आठ बार की सांसद के योगदान को नगर निगम एक झटके में भूल गया। ‘ताई’ को उसी दिन एमवाय अस्पताल के आई हॉस्पिटल कार्यक्रम का न्यौता मिला तो वे दोपहर में वहां गईं और मुख्यमंत्री के साथ कार्यक्रम में भी मौजूद रहीं। इसके बाद उन्हें किसी कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया और वे कहीं गई भी नहीं!
‘ताई’ की मंशा का आयोजन नहीं
राजवाड़ा और गोपाल मंदिर दोनों ही नए स्वरूप में तैयार हो गए। ‘ताई’ की इच्छा थी कि इसके लिए तीन दिन का भव्य आयोजन हो। जिसमें पूरा शहर सहभागी बने। लेकिन, नगर निगम ने ताबड़तोड़ कार्यक्रम करके ‘ताई’ की मंशा पर पानी फेर दिया। बुलाना तो दूर उनसे इस बारे में कुछ पूछा तक नहीं गया। सुमित्रा महाजन चाहती थी, कि इंदौर के स्थापना दिवस 31 मई को राजबाड़ा के नए स्वरुप और गोपाल मंदिर का लोकार्पण किया जाता तो ये हमेशा के लिए यादगार हो जाता। पर, ऐसा कुछ नहीं हुआ और ये महज औपचारिक कार्यक्रम बनकर रह गया।