यह मोहब्बत है या नफरत की इंतहा…
राजनीति में अब बिगड़े बोलों का एक फैशन ही चल पड़ा है, लेकिन बिगड़े बोलों की भी एक सीमा रेखा होती है। जब बिगड़े बोल सीमा रेखा को पार कर जाएं, तब स्थितियां विकृत और विस्फोटक होने लगती हैं। हम बात कर रहे हैं कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव के उस बयान की, जिसमें नफरत की इंतहा पार होती दिख रही है। अरुण के बयान को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान पर तंज की तरह देखा जा रहा है। भारतीय संस्कृति बड़ों का सम्मान करना सिखाती है। और कम से कम उनको तो राजनीति में नहीं घसीटा जाता, जो इस दुनिया में नहीं है और जिनका राजनीति से कोई वास्ता ही न रहा हो। अरुण यादव ने मध्यप्रदेश में भाजपा के बड़े नेताओं के आने के सवाल पर प्रतिक्रिया देते कहा कि मध्य प्रदेश में कोई भी आ जाए, चाहे मोदी जी आएं और उनके ऊपर कोई हो चाहे वो आ जाएं, नड्डा जी आ ही रहे हैं चल ही रहा है, मोदी जी के पिताजी भी आना चाहें तो आ जाएं, हमें कोई आपत्ति नहीं है। दरअसल यह बिगड़े बोल नफरत की खेती की तरह हैं, जिनमें कभी मौहब्बत का पौधा अंकुरित नहीं हो सकता।
और कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों भाजपा नेताओं पर नफरत फैलाने का आरोप चस्पा करते हुए देशभर में मोहब्बत की दुकान खोलने में जुटे हैं। ऐसे में अरूण यादव को उनके बयान ने बैकफुट पर ला दिया है। समस्या की बात यह है कि अरुण यादव को सौम्य नेताओं में गिना जाता है और उनके पिता स्वर्गीय सुभाष यादव की छवि भी व्यावहारिक और विपक्षी दलों के नेताओं के साथ सम्मान और आदर की रही है। इसीलिए अरुण यादव के बयान पर भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया भी दी है और सुभाष यादव के संस्कार से बेमेल अरुण के बोलों को कांग्रेस और परिवार विशेष की विचारधारा का दुष्प्रभाव ठहराया जा रहा है। तो इस एक बयान से ही कांग्रेस का यह ओबीसी फेस डैमेज होता दिख रहा है। लोगों की निगाहें अब एक बार फिर कमलनाथ पर हैं, जिन्होंने अपने दल के समाजवादी नेता राजा पटैरिया के मोदी पर आपत्तिजनक बयान से पल्ला झाड़ लिया था। अब नाथ का अरुण यादव के बयान पर क्या रुख है, सबकी निगाहें अब उन नाथ पर ही टिकी हैं।
तो चुनावी साल में प्रदेश का सियासी पारा उफान पर है। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी दौरे को लेकर उनके पिता स्व. दामोदर दास मोदी को लेकर विवादित बयान दे दिया। इसके बाद भाजपा नेता यादव पर भड़क उठे। उन्हें नसीहत देने के साथ ही कांग्रेस के संस्कारों को लेकर कड़ी निंदा व आलोचना की। दरअसल 14 जून 2023 को ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी रहे बैजनाथ यादव, विनय यादव, मीरा सिंह ने भोपाल पहुंचकर कांग्रेस की सदस्यता ले ली। कांग्रेस दफ्तर में हुए इस कार्यक्रम में सीएम कमलनाथ दिग्विजय सिंह और कांग्रेस नेता अरुण यादव ने उन सभी को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करवाई। इसी दौरान मीडिया से बात करते हुए अरुण यादव ने एक विवादित बयान दे दिया। यादव ने प्रदेश में भाजपा के बड़े नेताओं के आने के सवाल पर प्रतिक्रिया देते कहा कि मध्य प्रदेश में कोई भी आ जाए, चाहे मोदी जी आएं और उनके ऊपर कोई हो चाहे वो आ जाएं, नड्डा जी आ ही रहे हैं चल ही रहा है, मोदी जी के पिताजी भी आना चाहें तो आ जाएं, हमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस की बदलाव की बयार है, जो कि स्पष्ट हमें नजर आ रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस नेता अरुण यादव द्वारा प्रधानमंत्री के स्वर्गीय पिता जी पर जो अभद्र टिप्पणी की गई है, वह उनकी स्तरहीन मानसिकता का प्रतीक है। यही “कांग्रेसी कल्चर”, इनकी मोहब्बत की दुकान है। मोदी जी देश का मान और देशवासियों का स्वाभिमान हैं।कांग्रेस रसातल में जा रही है और जब देश के यशस्वी व लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी का सीधे मैदान में मुकाबला नहीं कर पा रही है, तो अभद्र और असभ्य भाषा पर उतर आई है। अरुण यादव द्वारा राजनैतिक मर्यादायें तार-तार की है, आपके बयान से मध्यप्रदेश शर्मिंदा है। अरुण जी आपकी और कांग्रेस की इस कुंठा का जवाब मध्यप्रदेश की जनता देगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिताजी पर अपमानजनक टिप्पणी पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा बोले कि “अरूण यादव द्वारा माननीय प्रधानमंत्री जी के स्वर्गीय पिताजी के लिए इस प्रकार के फूहड़ शब्दों का उपयोग करना. ये अत्यंत दुर्भाग्यजनक है। मैं इसकी कड़ी प्रतिक्रिया दे सकता हूं। जिस प्रकार की भाषा का उन्होंने उपयोग किया है… ये केवल मोदीजी का अपमान नहीं देश की 140 करोड़ जनता का अपमान है। अरूण यादव जी ने जिस प्रकार की ओछी शब्दावली का जो उपयोग किया है, अरूणजी आज मैं कहना चाहता हूं कि आपके स्वर्गीय पिता सुभाष यादव जी भी दुखी होंगे कि मैंने तो ये संस्कार अरूण को नहीं दिए थे। लेकिन ये देश के, दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता के स्वर्गीय पिताजी के लिए इस प्रकार की भाषा का उपयोग करना कहां से सीखे। अरूण जी हम तो सुभाष यादव जी का भी सम्मान करते हैं, क्योंकि हमें मोदीजी ने संस्कार दिए हैं। राजनीति में चाहें पक्ष में हो या विपक्ष में हों, इस प्रकार की शब्दावली का उपयोग क्या ये उचित है? आज आपने इन शब्दों का जो उपयोग किया है, ये आपके नेता राहुल गांधी जी ने शायद आपको ये संस्कार दिए होंगे और इस प्रकार की भाषा से ये सिद्ध होता है कि कांग्रेस का चरित्र क्या है? कांग्रेस के संस्कार क्या हैं? अरूण यादव जी आपको 140 करोड़ जनता से माफी मांगनी चाहिए। आपने जिस शब्दावली और जिस भाषा का उपयोग किया है…. वह दुर्भाग्यजनक है।”
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा बोले कि कांग्रेस संस्कार विहीन पार्टी है। अरुण जी को उनके पिता स्व. सुभाष यादव जी ने संस्कार देने में कोई कमी रख दी। उनके पुत्र की भाषा ऐसी नहीं हो सकती। यह इटली के वंशज की सरपरस्ती वाली भाषा है। जो कभी प्रधानमंत्री को जहरीला सांप बोलते हैं। कभी मौत का सौदागर बोलते हैं। यह भाषा संस्कार विहीन है, जो संस्कार विहीन लोग बोलते हैं। यह भारत देश है, यहां तो स्वर्गीय होने पर पानी देने तक का संस्कारों में बताया गया है। आप जो इटली के वंशजों की भाषा बोल रहे हो यह वास्तव में निंदनीय कृत्य है।
तो चुनावी साल में इस तरह की बयानबाजी सामने आती रहेंगीं। इसका किसको फायदा मिलेगा और किसको नुकसान उठाना पड़ेगा, यह आने वाला समय ही बताएगा। यह जनता ही तय करेगी कि यह मोहब्बत है या नफरत की इंतहा…।