Kissa-A-IAS: ऐसा अफसर जिसने अपनी रिपोर्ट से सरकार को तिलमिला दिया!

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Kissa-A-IAS: ऐसा अफसर जिसने अपनी रिपोर्ट से सरकार को तिलमिला दिया!

Kissa-A-IAS: ऐसा अफसर जिसने अपनी रिपोर्ट से सरकार को तिलमिला दिया!

प्रशासनिक अफसरों के कामकाज का अपना तरीका होता है। कुछ नियम-कायदों का पालन करने में किसी भी हद तक चले जाते हैं, तो कुछ अपने तरीके से व्यवस्था चलाते हैं। यही कारण है कि दूसरे तरह के अफसर हमेशा चर्चा में रहते हैं। ऐसे ही अफसरों में शामिल हैं 2008 बैच के आईएएस अफसर डॉ धवल पटेल। इन दिनों वे गुजरात के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर अपनी रिपोर्ट को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्होंने सरकार के निर्देश पर आदिवासी बहुल इलाके छोटा उदयपुर जिले के 6 स्कूलों को दौरा किया था। इसके बाद धवल पटेल ने अपनी रिपोर्ट में जो लिखा उससे गुजरात की राजनीति गरमा गई। विपक्ष ने तो इसे मुद्दा ही बना लिया।

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अपनी इस रिपोर्ट में धवल पटेल ने चिंता व्यक्त करते हुए लिखा कि स्कूलों के निरीक्षण में छात्र भारत के नक्शे में गुजरात को नहीं बता पाए। वे गणित के सामान्य से सवाल और शब्द तक नहीं पढ़ पाए। उनकी रिपोर्ट काफी चिंताजनक रही। उनका कहना था कि क्या हम इन आदिवासी बच्चों को मजदूर बनाए रखने के लिए शिक्षा दे रहे हैं! राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर उनकी रिपोर्ट में जो लिखा है, वो बातें निश्चित रूप से सरकार को चुभी तो होगी, लेकिन उन्होंने सच्चाई लिखकर गुजरात की शिक्षा व्यवस्था की हालात को चर्चा में तो ला ही दिया।

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अपनी प्रशासनिक सेवा की शुरुआत धवल पटेल ने पाटन से की थी। इसके बाद वे राजकोट, आणंद और अहमदाबाद में भी रहे। लेकिन, बतौर सूरत कलेक्टर उन्होंने राज्य सरकार की 8 करोड़ की जमीन को सुरक्षित करके अपनी काबलियत जरूर दिखा दी थी। यह जमीन यदि निजी हाथों में चली जाती तो सरकार का इतना ही नुकसान भोगना पड़ता। उनके साथ काम कर चुके अधिकारी कहते हैं कि उन्होंने इस मामले में जिस तरह और जिस मजबूती से कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा था, ये जमीन कहीं जाना ही नहीं थी। वे दबाव में काम करने वाले अफसर नहीं है। उस समय भी वे काफी सुर्खियों में भी रहे थे। उन्होंने चुनावों के दौरान भी चुनाव अधिकारी बनकर बेहद मुस्तैदी से काम किया था।

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गांधीनगर के रहने वाले धवल पटेल का जन्म 2 जुलाई 1975 को हुआ था। वे मूलरूप से गांधीनगर जिले के सरधाव गांव के रहने वाले हैं। पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर और काम से आईएएस अधिकारी। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब आणंद से उनका तबादला हुआ तो लोगों ने इसका विरोध किया था। वे दिखावे और चमक-दमक से दूर रहकर खामोशी से अपना काम करने में ज्यादा यकीन रखते हैं। ये भी आश्चर्यजनक तथ्य है कि कि आज जब अधिकांश अफसर सोशल मीडिया पर नजर आते हैं, धवल पटेल उससे भी दूर हैं।

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आईएएस को लेकर जो ज्यादातर कहानियां लोगों के सामने आती हैं, इनमें एक बात कॉमन होती है कि ऐसे लोगों का लक्ष्य ही प्रशासनिक सेवा में आना होता है। लेकिन, धवल पटेल के साथ कुछ अलग है। वे दिल से डॉक्टर बनना चाहते थे, पढ़ाई भी डॉक्टरी की ही कर रहे थे। लेकिन, मन में कुछ आया तो डॉक्टरी की पढ़ाई से वक्त निकालकर यूपीएससी की तैयारी करने लगे। नतीजा ये रहा कि पहले ही प्रयास में सफलता मिल गई। उन्हें 2008 की बैच में आल इंडिया में 12वीं रैंक मिली और गुजरात में वे अव्वल रहे। यही कारण रहा कि उन्हें उनके गृह राज्य में सेवा करने का मौका मिल गया। लेकिन, डॉक्टरी को लेकर उनका जज्बा कम नहीं हुआ। वे कहते हैं कि डिग्री से आज भी डॉक्टर हैं। क्योंकि, उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद भी अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई को जारी रखा और एमबीबीएस की डिग्री हासिल की।

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धवल पटेल जहां भी रहे अपने कामकाज से सुर्ख़ियों में रहे। फ़िलहाल वे जियोलॉजी और माइनिंग कमिश्नर के तौर गांधीनगर में तैनात हैं। उन्हें राज्य के सबसे ज्यादा शिक्षित आईएएस अफसरों में गिना जाता हैं। उनके पास एमबीबीएस की डिग्री तो है। इसके साथ उन्होंने पब्लिक पॉलिसी में एमए और पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल पर संस्कृत में पढाई की है। इतना सब होने के बाद भी आईएएस धवल पटेल बेहद धार्मिक हैं। उन्होंने वैदिक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक वेबसाइट ‘संस्कृत वर्ड’ भी बनाई है। इस वेबसाइट में वे वैदिक साहित्य, महाकाव्य, पुराण, धार्मिक साहित्य, काव्य, शास्त्र का संकलन किए हैं।

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जब धवल पटेल ने यूपीएससी क्लियर की तब वे महज 23 साल के थे और रेडियोलोजी में स्नातकोत्तर की तैयारी कर रहे थे। यानी एमबीबीएस करके पोस्ट ग्रेजुएशन प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाला लड़का धवल पटेल आईएएस बन गया। यूपीएससी की परीक्षा में अच्छी रैंक होने से धवल पटेल को आईएएस की पोस्ट मिली और कैडर भी गृह राज्य यानी गुजरात मिला। वे पिछले 14 साल से गुजरात के कई शहरों में डिप्टी कमिश्नर सहित कई पदों पर रह चुके हैं।

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उनका परिवारिक बैकग्राउंड इतना प्रभावशाली नहीं रहा कि उनकी बुद्धिमत्ता को उससे जोड़कर देखा जाए। उनके पिता किरीट पटेल वीरमगाम के एक तालुका में विकास अधिकारी थे। उनकी मां पश्चिम रेलवे में एक्स-रे तकनीशियन हैं। लेकिन, उन्होंने बेटे जो संस्कार और शिक्षा का माहौल दिया, उसी का नतीजा था कि उन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली। लेकिन, इसके बावजूद वे मेडिकल लाइन में ही जाना चाहते थे। वे यूपीएससी को भी साइड में करना चाहते थे। लेकिन, वे घर वालों के यह समझाने के बाद माने कि वे मेडिकल पढ़ाई यूपीएससी की जॉइन करने के बाद भी जारी रख सकते हैं। यही कारण था कि धवल पटेल आईएएस के बाद भी मेडिकल की पढाई अहमदाबाद से करते रहे और एमबीबीएस की डिग्री ली। धवल पटेल कहते हैं कि मैं डिग्री से डॉक्टर हूं और पेशे से सरकारी अधिकारी।