प्रदेश की इकलौती महिला मुख्य सचिव निर्मला बुच…

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प्रदेश की इकलौती महिला मुख्य सचिव निर्मला बुच…

रविवार 9 जुलाई 2023 को सुबह मध्यप्रदेश के लिए दु:खद समाचार था पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच के निधन का। हालांकि उन्होंने अपना जीवन पूरा जिया। जीवन में जो अच्छे कार्य किए जा सकते हैं, वह किए। पद पर रहते हुए ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। अपनी कार्यकुशलता के चलते ही भारतीय प्रशासनिक सेवा की मध्यप्रदेश कैडर की यह अफसर प्रदेश की पहली महिला मुख्य सचिव भी बनीं। और लगता तो यही है कि निर्मला बुच का नाम मध्यप्रदेश की पहली और इकलौती महिला मुख्य सचिव के रूप में ही दर्ज रहेगा।
वजह यह कि राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर 1956 में गठित मध्यप्रदेश को 34 साल बाद महिला मुख्य सचिव के रूप में निर्मला बुच मिली थीं और उनके बाद तीस साल बीत गए, पर कोई दूसरी महिला आईएएस अधिकारी इस पद को सुशोभित नहीं कर पाई। तो लगता यही है कि हो सकता है निर्मला बुच का नाम ही मध्य प्रदेश की इकलौती महिला मुख्य सचिव के रूप में दर्ज रहे। हालांकि कार्यकुशल महिला आईएएस अधिकारियों की प्रदेश में कमी नहीं है। हो सकता है कि उनके कार्यकाल के 34 वर्ष बाद फिर कोई महिला आईएएस अधिकारी मुख्य सचिव के पद पर आसीन हो जाए।
रविवार 9 जुलाई को निर्मला बुच के निधन की खबर आते ही मीडिया में खबरों का सिलसिला जारी रहा। प्रादेशिक, राष्ट्रीय, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया सभी में निर्मला बुच के निधन की खबरों को प्रमुखता से लिया गया। किसी एक जगह से उनकी उम्र को 97 वर्ष बताने की जो शुरुआत हुई, तो ज्यादातर जगह यही तथ्य नजर आता रहा। किसी ने एक कदम आगे बढ़कर उम्र 98 साल भी बता दी। किसी एकाध जगह जागरुकता नजर आई और उनकी उम्र 88 वर्ष बताई गई। पर उसे देखकर सही उम्र पता करने या अपनी गलती सुधारने की जेहमत किसी ने नहीं उठाई।
यह देखकर थोड़ा सा दु:ख हुआ कि आखिर हम किस तरफ जा रहे हैं। यह सभी ने लिखा कि निर्मला बुच 1990-1992 तक या किसी ने 1991-1993 तक मध्यप्रदेश की मुख्य सचिव रही थीं। पर 97 साल या 98 साल उम्र लिखने वालों ने यह भी नहीं सोचा कि अखिल भारतीय सेवाओं के अफसर 60 वर्ष में सेवानिवृत्त हो जाते हैं। और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर अपनी सेवा के अंतिम वर्षों में ही मुख्य सचिव बन पाते हैं। 1992-93 के बाद मात्र तीस साल का वक्त ही बीता है। फिर उम्र 90 पार कैसे हो सकती है। और मजे की बात यह भी कि जन्म का साल ही बदल दिया गया। 1935 में जन्मी निर्मला बुच की उम्र 97-98 साल बताने वालों ने उनके जन्म का साल 1925 कर दिया।
खैर शाम तक जनसंपर्क संचालनालय ने समाचार जारी कर दिया। आइए याद करते हैं निर्मला बुच को। मध्य प्रदेश की पहली महिला आईएएस अधिकारी एवं अब तक की एक मात्र महिला मुख्य सचिव निर्मला बुच ने अपने दीर्घ प्रशासनिक जीवन में जिस पद पर रहीं अपनी विशेष छाप छोड़ी। निर्मला बुच का जन्‍म 11 अक्‍टूबर 1935 को उप्र के खुर्जा में हुआ था। वर्ष 1960 में मसूरी से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उनकी पहली पदस्थापना 1961 में जबलपुर में हुई थी। वह 1961 से 1993 तक मध्य प्रदेश एवं भारत सरकार के विभिन्न विभागों के प्रशासन एवं प्रबंधन के पदों पर रहीं।
देवास और उज्जैन ज़िलों की कलेक्टर रहने के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश शासन में शिक्षा और सामाजिक सेक्टर के विभागों में कई महत्व पूर्ण पद सँभाले। पाँच वर्ष के लंबे कार्य काल में विकास आयुक्त रहते हुए ग्रामीण विकास में उनका विशेष योगदान रहा। वे इसके बाद प्रमुख सचिव गृह विभाग एवं सुन्दरलाल पटवा के मुख्य मंत्री काल के दौरान मुख्य सचिव रहीं। भारत सरकार में वे संयुक्त सचिव ( समाज कल्याण)  और सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय रही। शासकीय सेवा से रिटायर होने के बाद वे सामाजिक सेवा, विशेषकर महिला विकास, के क्षेत्र में व्यस्त रहीं। उन्होंने महिला चेतना मंच नामक संस्था की स्थापना कर उलेखनीय कार्य किया। वे बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं। कुशल नेतृत्व और संवेदनशील व्यक्तित्व के फलस्वरूप उन्हें मध्य प्रदेश के प्रभावी प्रशासकों की अग्रिम पंक्ति में लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
इसके अतिरिक्त बात करें तो फिलहाल वह कैंसर से पीड़ित थीं और बीते कुछ समय से अस्‍वस्‍थ चल रही थीं। उनके पति स्व. महेश नीलकंठ बुच भी मध्य प्रदेश कैडर के आइएएस थे, जिन्‍होंने भी प्रशासनिक क्षेत्र में कई उल्‍लेखनीय कार्य किए थे। जब वह देवास कलेक्टर थी, तो एमएन बुच‌ उज्जैन कलेक्टर थे। तभी दोनों ने विवाह बंधन में बंधने का फैसला किया था।बेबाक और निडर अफसर निर्मला बुच ने सेवानिवृत्त होकर महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार और गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम किया। उनके द्वारा महिला चेतना मंच का संचालन भी किया जा रहा था। विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने प्रदेश के विकास का जो मॉडल तैयार किया, वह मील का पत्थर साबित हुआ। और मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य दोनों ही उनकी सेवाओं के लिए उन्हें कभी भी नहीं भुला पाएंगे। स्वर्गीय निर्मला बुच को विनम्र श्रद्धांजलि।