MP को रास नहीं आ रही केन्द्र की सस्ती दाल,कलेक्टरों ने किया लेने से इंकार, MDM और ICDS का नहीं आया जवाब

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MP को रास नहीं आ रही केन्द्र की सस्ती दाल,कलेक्टरों ने किया लेने से इंकार, MDM और ICDS का नहीं आया जवाब

भोपाल
मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में महंगाई आसमान छू रही है। टमाटर सौ रुपए किलो बिक रहा है, अन्य सब्जियां भी महंगी है। दाल डेढ़ सौ रुपए किलो से उपर बिक रही है, चावल सहित रोजमर्रा की जरुरतों वाले कई खाद्यान्न महंगे हो गए है। केन्द्र सरकार आमजन को महंगे दाल-चावल से राहत दिलाने राज्यों को साठ रुपए किलो दाल और सस्ता चावल दे रही है लेकिन मध्यप्रदेश को यह सस्ती दाल-चावल रास नहीं आ रहे है।

प्रदेश के कलेक्टरों ने यह दाल लेने से इंकार कर दिया है। वहीं अन्य योजनाओं से जुड़े विभागीय अफसरों ने अब तक इसके लिए कोई सहमति नहीं दी है।
केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार को भी राज्य में चना दाल रियायती दाम पर देने के लिए भारत दाल नाम से दाल भेजने का प्रस्ताव दिया था। मध्यप्रदेश के खाद्य विभाग ने प्रदेश के दो कलेक्टरों के पास साठ रुपए किलो वाली सस्ती दाल का उपयोग करने के लिए उनसे सुझाव मांगा था। लेकिन कलेक्टरों ने यह दाल लेने से इंकार कर दिया।

महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित समेकित बाल विकास योजना और स्कूलों और आंगनबाड़ियों में संचालित मध्यान्ह भोजन योजना में इस दाल का उठाव करने के लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने इन योजनाओं का संचालन कर रहे विभागों को पीडीएस के सस्ते अनाज के साथ सस्ती दाल लेने का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन दोनो ही योजनाओं के संचालन कर्ताओं ने अभी तक खाद्य विभाग को सहमति नहीं दी है इसके चलते प्रदेश में केन्द्र की सस्ती दाल वितरण योजना की संभावनाएं कमजोर हो गई है।

इसलिए नहीं तैयार एमपी के लोग-
मध्यप्रदेश में भोजन के रुप में अधिकांश लोग मूंग, उड़द और अरहर की दाल का उपयोग करते है। चने की दाल का उपयोग मध्यप्रदेश में अधिकांश स्थानों पर नहीं होता है। इस दाल का जायका भी मूंग,उड़द और अरहर की तरह नहीं है। इसलिए आमजन इस दाल को पसंद नहीं कर रहे है इसलिए इनका उठाव मुश्किल है। वहीं सार्वजनिक वितरण प्रणाली में इस दाल को बुलाने से उसके परिवहन, भंडारण और कमीशन पर भी अतिरिक्त राशि खर्च होगी जिससे इस दाल को वितरित कराने पर अधिक राशि खर्च हो जाएगी।