हृदयाघात आने पर प्राथमिक उपचार के लिए सीपीआर का जेल में प्रशिक्षण दिया! 

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हृदयाघात आने पर प्राथमिक उपचार के लिए सीपीआर का जेल में प्रशिक्षण दिया! 

 

Ratlam : सर्किल जेल में बुधवार को विशेष प्रशिक्षण सत्र, प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।हृदयाघात होने पर प्राथमिक उपचार के लिए सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) देने के बारे में

डॉक्टरों की टीम ने जानकारी दी।

 

कार्यक्रम में जिला अस्पताल के डाक्टरों ने जेल कर्मचारियों, अधिकारियों व बंदियों को सीपीआर या कृत्रिम श्वसन की जानकारी देते हुए दुर्घटना, अटैक आने या किसी अन्य कारण से किसी व्यक्ति की सांस रुकने पर उसकी जान बचाने के लिए दिए जाने वाले सीपीआर का प्रशिक्षण दिया। इस दौरान 18 कर्मचारियों, अधिकारियों व 44 बंदियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

एक दिवसीय स्वास्थ्य शिविर में जिला अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डा.निर्मल जैन, अस्थि रोड विशेषज्ञ डा. कृपाल सिंह राठौर, मेडिकल विशेषज्ञ डा.कैलाश चारेल, पीजीएमओ व ईएनटी विशेषज्ञ डा.अदिति भावसार, स्त्री रोग डॉ ममता शर्मा, सर्जन डॉ गोपाल यादव, नेत्र रोग विशेषज्ञ डा.एसएस गुप्ता ने बंदियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया।

 

इस दौरान किसी बंदी ने कान में दर्द होने तो किसी ने आंखों की रोशनी कम होना बताया।डाक्टरों ने उनकी आंखों, कान, शुगर व ब्लड प्रेशर की शिकायत होने से उन्हें नियमित दवा लेने की सलाह दी तथा बंदियों को दवाईयां जेल से उपलब्ध कराई गई।

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इसके साथ ही डाक्टरों ने बंदियों को बताया की छोटी-छोटी चोट लगती हैं या किसी को खरोंच आती हैं तो तत्काल फर्स्ट एड बाक्स का उपयोग कर मल्हम पट्टी करें। खून बहता तो तत्काल पट्टी बांधकर खून बहना रोकें और संबंधित व्यक्ति को डाक्टर को दिखाए। शिविर में जेल अधीक्षक लक्षमण सिंह भदौरिया, जेलर ब्रजेश मकवाने सहित बड़ी संख्या में बंदी उपस्थित थे। जेल अधीक्षक लक्षमण सिंह भदौरिया ने बताया कि जेल में वर्तमान में 524 बंदी है। इनमें 26 महिलाएं शामिल है। महिला बंदिनी का स्वास्थ्य परीक्षण स्त्री रोग चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा किया गया।

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*क्या हैं सीपीआर* 

सीपीआर कोई दवा या इंजेक्शन नहीं है। यह एक तरह की प्रक्रिया है, जिसे उस व्यक्ति के शरीर पर इस्तेमाल किया जाता हैं, जिस व्यक्ति की सांस रुकती है या दिल की धड़कन बंद हो जाती हैं। इस प्रक्रिया में व्यक्ति की सांस रुकने पर सांस वापस लाने तक या दिल की धड़कन सामान्य हो जाने तक छाती को दबाया जाता है, जिससे शरीर में पहले से मौजूद खून संचारित होने लगता हैं। साथ ही इस प्रक्रिया में संबंधित व्यक्ति के मुंह में मुंह से सांस भी दी जाती हैं। इस तरह रोगी या घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए सीपीआर एक महत्वपूर्ण तरीका हैं। कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक आपातकालीन प्रक्रिया हैं, जो किसी व्यक्ति की सांस या दिल की धड़कन रुकने पर उसकी जान बचाने में मदद कर सकती हैं।