Habeas Corpus Petition Rejected : हाईकोर्ट ने 21 बच्चियों के अपहरण के आरोप को सही नहीं माना!, शासन के खिलाफ ‘वात्सल्यपुरम’ की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज!
Indore : हाईकोर्ट द्वारा वात्सल्यपुरम संस्था की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया। मामला वात्सल्यपुरम बालगृह विजयनगर से रेस्क्यू कराई गई 21 नाबालिग बालिकाओं का है। संस्था ने शासन के खिलाफ हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर शासन पर बच्चियों के अपहरण का आरोप लगाया गया था।
शासन ने गत 12 जनवरी को एक टीम के द्वारा इन बालिकाओं को वात्सल्यपुरम नामक अनाथगृह से रेस्क्यू किया था। जाँच के दौरान बालगृह का जेजे एक्ट के तहत पंजीकरण न होना, 4 बच्चियों का लापता होना, नाबालिग बालिकाओं से मारपीट, गर्म चिमटे से जलाना, निर्वस्त्र करने, खाने न देने जैसी वारदात सामने आने पर संस्था के खिलाफ विजयनगर थाने में विभिन्न धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किया गया।
जूनी इंदौर के एसडीएम घनश्याम धनगर ने बताया कि संस्था ने हॉस्टल की आड़ में अनाथ बच्चों का लेन-देन करती थी। इसके साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। संस्था के द्वारा शासन के खिलाफ उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण एवं शासन के द्वारा बच्चियों के अपहरण का आरोप लगाया गया। न्यायालय ने रविवार को अवकाश होने के बावजूद अर्जेंट हियरिंग डबल बेंच में की। न्यायालय ने संस्था को कोई अंतरिम राहत नहीं देते हुए 17 जनवरी 2024 से नियमित सुनवाई का आदेश प्रदान किया।
न्यायालय में शासन की तरफ से एडवोकेट जनरल अंकित नायक एवं अर्चना खेर ने पैरवी कर मजबूती से अपना पक्ष रखा। 23 जनवरी को न्यायालय ने संस्था की याचिका को डिसमिस करते हुए ऐसी संस्थाओं के विरूद्ध जो हॉस्टल की आड़ में गरीब माता-पिता के बच्चों को लाकर उनके नाम पर डोनेशन प्राप्त करते हैं और बच्चों पर निर्ममतापूर्वक दण्ड की कार्रवाई करते है।
हाई कोर्ट ने शासन के द्वारा की गई कार्रवाई को उचित ठहराया। उक्त संस्था पर कार्रवाही जूनी इंदौर के एसडीएम घनश्याम धनगर के नेतृत्व में सीडीपीओ दिनेश मिश्रा, डीपीओ ममता चौधरी एवं बाल कल्याण समिति की सदस्य संगीता चौधरी ने गत 12 जनवरी को की थी। अभी इस संबंध में जाँच चल रही है।
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