मंत्रियों के 1191 आश्वासन अधूरे, CS ने ली अफसरों की क्लास

114 लोक लेखा सिफारिशों पर भी कार्यवाही नहीं, 389 सवालों के नहीं भेजे जवाब

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आगामी विधानसभा सत्र में सदन में गूंजेगी नीति आयोग की रिपोर्ट और प्रदेश की गरीबी ...

भोपाल:समय-समय पर विधानसभा सत्र के दौरान सदन के भीतर विधायकों द्वारा प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण के जरिए उठाए गए मामलों, बजट चर्चा के दौरान सदस्यों के द्वारा उठाए गए मामलों पर प्रदेश के विभिन्न मंत्रियों ने सदन के भीतर इन समस्याओं को हल करने,मामलों के निपटारे के लिए आश्वासन दिए लेकिन विभागों के अफसर मंत्रियों के आश्वासन पूरे करने में रुचि नहीं ले रहे है। ऐसे 1191 आश्वासनों पर विभागों ने कोई कार्यवाही नहीं की है। विधानसभा में लोक लेखा समितियों द्वारा की गई 114 सिफारिशों पर भी अफसरों ने कोई कार्यवाही नहीं की।

इसको लेकर कल मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने वीडियो कांफ्रेसिंह के जरिए अफसरों से बात की। लंबित आश्वासनों पर धीमी गति से कार्यवाही को लेकर उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इतनी लेटलतीफी ठीक नहीं है सभी लंबित मामलों पर त्वरित कार्यवाही करें।

मुख्य सचिव ने विधानसभा की लोक लेखा समिति की सर्वाधिक सिफारिशों को सबसे ज्यादा समय तक लंबित रखने वाले विभागों वाणिज्यकर, राजस्व और लोक निर्माण के अफसरों पर नाराजगी जताई। वाणिज्य कर में 29, राजस्व में 25 और लोक निर्माण में 11 सिफारिशों पर अब तक विभागों में कार्यवाही नहीं की गई है।

पशुधन एवं डेयरी विभाग ने भी 11 सिफारिशों पर कार्यवाही नही की है। वहीं नगरीय प्रशासन विभाग ने मंत्रियों के सर्वाधिक 124 आश्वासनों पर कोई कार्यवाही नही की है। स्कूल शिक्षा विभाग इस मामले में दूसरे नंबर पर है यहां के 120 आश्वासनों पर कार्यवाही नहीं की गई है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास के 106 और कृषि विभाग के 105 तथा गृह विभाग के 85 आश्वासनों पर कार्यवाही नहीं की गई है।

मुख्य सचिव ने इन सभी लेटलतीफ विभागों के अफसरों पर नाराजगी जताते हुए उनसे कहा है कि इन सभी लंबित आश्वासनों और सिफारिशों पर तेजी से काम कर इन्हें पूरा करें।

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बार-बार निर्देश फिर भी सवालों के अपूर्ण उत्तर-कृषि, सामान्य प्रशासन और गृह विभाग 27 विभाग ऐसे है जो विधानसभा के सवालों के पूर्ण उत्तर ही नहीं दे रहे है। ऐसे 389 सवालों के जवाब सत्र के पहले दिन तक देना है।

मुख्य सचिव ने कहा कि इन पर सभी अफसर काम करे और तत्काल जवाब समयसीमा के भीतर भेजे। शून्यकाल की 16 सूचनाओं पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इन्हें भी प्राथमिकता से निपटाने को कहा गया।