Vampire Facial: सावधान खूबसूरत और जवां दिखने के चक्कर में हो सकते हैं HIV के शिकार!
खूबसूरत और जवां दिखने के चक्कर में हर कोई नई-नई चीजें ट्राई करता है। चेहरे की खूबसूरती, कसावट, चमकदार बनाए रखने के लिए कई लोग अपनी जान को जोखिम में डालने से भी नहीं डरते हैं।खूबसूरती बढ़ाने के लिए तरह-तरह के ट्रीटमेंट लेते हैं। सैलून में आजकल कई तरह के स्किन केयर ट्रीटमेंट मौजूद हैं, जो खूबसूरती बरकरार रखने का दावा करते हैं। हालांकि, कुछ ट्रीटमेंट कई जोखिम भी बढ़ा देते हैं।
वैम्पायर फेशियल में बाजुओं से खून को निकालकर फेस पर इंजेक्ट किया जाता है. इसे प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा माइक्रोनीडलिंग प्रोसेस कहा जाता है और आम भाषा में फेशियल ही पुकारा जाता है.
बीते कुछ दिनों से ऐसे कई मामले सुनने को मिल रहे हैं। एक ऐसा ही मामला पहले आया था, जिसमें पार्लर में जाकर एक महिला की किडनी खराब हो गई। अब हाल ही में एक मामला आया है, जहां स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस बात की है कि अमेरिका में एक ब्यूटी स्पा में “वैम्पायर फेशियल” के दौरान इस्तेमाल की गई सुइयों से तीन महिलाएं एचआईवी की चपेट में आ गईं। दो को शुरुआती स्टेज में एचआईवी का पता चला था, जबकि तीसरे को एड्स हो गया था।
अमेरिका में आया एचआईवी का मामला
यह पहली बार है कि अमेरिकी अधिकारियों ने गंदे कॉस्मेटिक इंजेक्शनों से ब्लड बोर्न वायरस की चपेट में आने वाले लोगों के मामले दर्ज किए हैं। क्लिनिक की जांच में पाया गया कि 40 से 60 साल की उम्र के बीच की तीन महिलाओं में स्पा में “खराब संक्रमण कंट्रोल प्रथाओं” के कारण वायरस होने की संभावना है।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (Centers for Disease Control and Prevention) और न्यू मैक्सिको स्वास्थ्य विभाग (New Mexico Department of Health) के एक्सपर्ट के अनुसार, सभी चार महिलाओं को वैम्पायर फेशियल कराया गया था और इसके तुरंत बाद उन्हें एचआईवी हो गया।
कैसे फैलता है ये वायरस
एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के असुरक्षित यौन संबंध, प्रेगनेंसी के दौरान सुई, सीरिंज या अन्य इंजेक्शन इक्विपमेंट्स यूज करने से अजन्मे बच्चे तक भी पहुंच सकता है।
बीमारी का यह चरण, जिसे पहली स्टेज एचआईवी के रूप में भी जाना जाता है, वायरस के शरीर में प्रवेश करने के लगभग दो से चार सप्ताह बाद होता है और फ्लू जैसा महसूस हो सकता है। तीसरी महिला को उसके चेहरे के चार साल बाद 2023 में निदान मिला, उस समय तक एचआईवी एड्स में विकसित हो चुका था।
एड्स होने का मतलब है कि इम्यूनिटी आपकी बहुत डैमेज हो गई है। प्लेटलेट रिच प्लाज्मा (Platelet Rich Plasma ) को चेहरे पर दोबारा डालने से पहले एक सेंट्रीफ्यूज का यूज करके खून से अलग किया जाता है। जिन लोगों को हेपेटाइटिस सी, एचआईवी या एड्स, ब्लड कैंसर, स्किन कैंसर या ऐसी बीमारियां हैं जिनके लिए खून पतला करने वाली दवा लेने की जरूरत होती है, उनके लिए फेशियल की मनाही होती है।
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