Red Beacon Costing 7 Cr: लाल बत्ती ऐसे पड़ी 7 करोड़ में!

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Red Beacon Costing 7 Cr: लाल बत्ती ऐसे पड़ी 7 करोड़ में!

संसार माया है तो राजनीति है इंद्रजाल .कुर्सी के माया मृग के पीछे दौड़ते लोगों का अक्सर यहाँ स्वर्ण मृग की बजाय किसी मारीच से ही सामना होता है .अपनी जमापूँजी फूँककर या ज़मीनें बेचकर सरपंची से विधायक सांसद तक का चुनाव लड़ने वाले योद्धा कई बार जीतकर भी पछताते देखे हैं .

लगभग एक डेढ़ दशक पहले भोपाल की प्रशासन अकादमी में ज़िला पंचायतों के नवनिर्वाचित अध्यक्षों को प्रशिक्षण देने मुझे बुलाया गया .अकादमी पहुँचा तो कार्यक्रम प्रभारी ने मुझे बताया कि पहले के सत्रों में इन लोगों ने कितना उपद्रव किया है .मैंने कहा आप बेफिक्र रहिये मेरा सत्र अच्छा रहेगा .मैं मुस्कुराते हुए कक्षा में गया .अपना परिचय देकर उनका परिचय लेते लेते उनसे संवाद का सूत्र क़ायम कर लिया .अफ़सरी रौब और रूखेपन की जगह सहजता सरलता देखकर वे अच्छा महसूस कर रहे थे .

मैंने उन्हें पढ़ाना शुरू किया तो एक युवा अध्यक्ष जी खड़े हुए और बोले -साब आप अच्छा मानो या बुरा पर आपके क़ानून हमें नहीं पढ़ने .हमारी कोई सुनता नहीं .हम लाखों खर्च कर चुनाव जीते यहाँ एक पाई की जुगाड़ नहीं .बताइये क्या करें .ध्वनि मत से पूरे सदन का समर्थन भाई के साथ था .एक और अच्छी क़द काठी के अध्यक्ष खड़े हुए और बोले -गंगा क़सम साब ये लाल बत्ती मुझे सात करोड़ की पड़ी है और यहाँ चाय बिस्कुट का बजट भी नहीं है .आप तो ये प्रशिक्षण दो कि उधार कैसे चुकायें ?

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अब शोर तेज होने लगा था मैंने लोगों को शांत किया और पूछा -इतना पैसा कैसे खर्च हुआ ?उन्होंने बताया -एक एक वोट के बदले एक एक स्कॉर्पियो देनी पड़ी तब जीते .सुनकर मैं चित हो गया .यह तो कल्पना के बाहर था .मैं प्रज़ातंत्र के अदृश्य लोक के दर्शन कर स्तब्ध था .हम नियमों क़ानूनों के जिस द्वीप में जीते हैं यह उसे बौना बनाता सच्चाइयों का महासागर था जिसकी उफनती लहरें मेरे सामने सर पटक रहीं थीं.

मैंने सबको बोलने का अवसर दिया .उन सबने जो कहा उसका सार यही था कि उनको बताया गया था विशाल बजट है ,अपार अधिकार साथ में मंत्री का दर्जा .कथित खूब कमाई और फ़ुल जलवा का छद्म उनको चुनावी अखाड़े में खींच लाया था और यहाँ वैसा कुछ नहीं है .जो कुछ लोग अच्छे उद्देश्य से जनसेवा का भाव लेकर आये थे उनकी समस्या थी कि उनकी कोई सुनता नहीं .सबके मन की बात सुनने के बाद मैंने उन्हें कहा आप चाहे जैसे भी चुनकर आये हैं अगर क़ानून नहीं जानेंगे तो दूसरों की कठपुतली हो जायेंगे .कुर्की वसूली जेल से बचना है तो क़ानून जान लो सरकार में काम कैसे कराते हैं ये विद्या मैं आपको सिखा सकता हूँ ? वे सहमत हो गए .शान्ति से उन्होंने सारे प्रावधान सुने .अच्छा सत्र हुआ .

अंत मैं सात करोड़ वाले सज्जन फिर खड़े हुए बोले आपने मेरा समाधान नहीं किया .मैंने मुस्कुराकर कहा -आप भाग्यशाली हैं जो सम्मान आपको सात करोड़ में मिल गया वह सौ करोड़ में भी कहाँ मिलता है .आप ख़ुशी मनाइये आप पर अपराध क़ायम नहीं हुआ .लालबत्ती का सुख भोगिये यही समाधान है .