New Delhi : गंभीर बीमारियों से ग्रसित और हेल्थ वर्करों को कोरोना वैक्सीन की जिस ‘प्रिकॉशनरी डोज’ लगाई जाएगी। यह प्रिकॉशनरी डोज उस वैक्सीन से अलग हो सकती है, जिसकी दोनों डोज पहले ही लगाई जा चुकी हैं। कोविड टीकाकरण के शीर्ष टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप में इस बात को लेकर सहमति है कि प्रिकॉशनरी डोज उस वैक्सीन से अलग होनी चाहिए, जिसकी दोनों डोज पहले ली जा चुकी है।
वैक्सीन की तीसरी खुराक को बूस्टर के बजाए ‘प्रिकॉशनरी डोज’ कहे जाने के पीछे एक वजह यह भी है कि सभी विकल्प खुले रहें और तीसरी खुराक किसी और वैक्सीन की भी दी जा सके। इस बात की प्रबल संभावना है कि प्रिकॉशनरी डोज उस वैक्सीन से अलग हो, जिसकी दोनों डोज पहले ली गई हों।
अगले कुछ महीनों में भारत के पास वैक्सीन के कई विकल्प होंगे। इस दौड़ में सबसे आगे हैदराबाद के बायोलॉजिकल-ई की बनाई कोरबावैक्स है, जो प्रोटीन सब-यूनिट कोविड-19 वैक्सीन है। केंद्र सरकार ने कोरबावैक्स की 30 करोड़ खुराक रिजर्व रखने के लिए पहले ही 1500 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया है। अगले दो हफ्तों के अंदर कोरबावैक्स को आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है।
इसके अलावा प्रिकॉशनरी डोज के लिए जिस वैक्सीन को मंजूरी दी जा सकती है, उसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की बनाई कोवावैक्स शामिल है। यह एक नैनोपार्टिकल प्रोटीन आधारित कोरोना वैक्सीन है। अमेरिका स्थित नोवावैक्स और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को फिलिपींस ने इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे दी है।
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तीसरी डोज के लिए सरकार ‘भारत बायोटेक’ की इंट्रानेजल वैक्सीन को भी मंजूरी दे सकती है। यह वैक्सीन जनवरी के दूसरे पखवाड़े में आ सकती है। इसके अलावा भारत की पहली एम-आरएनए वैक्सीन को भी प्रिकॉशनरी डोज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस वैक्सीन को पुणे स्थित जेनोवा बायोफार्मासूटिकल्स ने विकसित किया है।
दुनियाभर के एक्सपर्ट्स बूस्टर खुराक के लिए एमआरएनए वैक्सीन लगाने का सुझाव दे रहे हैं। सितंबर माह में अलग-अलग कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज की प्रतिक्रिया पर अध्ययन के बाद ब्रिटेन की एक्सपर्ट बॉडी ने भी फाइजर की एमआरएनए वैक्सीन को तीसरी या बूस्टर खुराक के तौर पर लगाए जाने का सुझाव दिया था।
टीकाकरण 3 जनवरी से
पीएम मोदी ने शनिवार को बताया कि देश में 3 जनवरी से 15 से 18 साल तक की उम्र वाले करीब 8 करोड़ बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी। इसके अलावा 10 जनवरी से हेल्थ वर्कर्स सहित करीब 3 करोड़ फ्रंट लाइन वर्कर्स को प्रिकॉशन डोज दी जाएगी। वहीं, 60 से अधिक आयु वाले को 10 जनवरी से मॉरबिटी यानी गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को भी उनके डॉक्टर की सलाह पर वैक्सीन की प्रिकॉशन डोज का विकल्प दिया जाएगा।