Mandsaur News – हम अपनी सुख – सुविधाओं के लिए जीव जंतुओं – पेड़ पौधों को भूलकर पर्यावरण बिगाड़ रहे हैं – वनस्पति विज्ञान प्राध्यापक डॉ प्रेरणा मित्रा

वनस्पति विज्ञान प्राध्यापक डॉ प्रेरणा मित्रा पर्यावरण संरक्षण के नाम दिखावा नहीं हो धरातल पर काम ही सुधार कर सकता है - - डॉ मिश्र समाजसेवी नाहरू खान मेव ने 2 हजार पौधे और 100 ट्रीगार्ड प्रदान करने की घोषणा की जनपरिषद की पर्यावरण संगोष्ठी सम्पन्न

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Mandsaur News – हम अपनी सुख – सुविधाओं के लिए जीव जंतुओं – पेड़ पौधों को भूलकर पर्यावरण बिगाड़ रहे हैं – वनस्पति विज्ञान प्राध्यापक डॉ प्रेरणा मित्रा

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर । सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था जनपरिषद जिला मंदसौर चैप्टर द्वारा शहीद हेमू कालानी चौराहा स्थित मेडिपॉइंट सभागृह में शनिवार शाम आयोजित पर्यावरण संगोष्ठी की मुख्य वक्ता शिक्षाविद एवं वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ प्रेरणा मित्रा ने कहा कि जलस्तर का कम होना और गर्मी का बढ़ना बिगड़ते पर्यावरण का ही कारण है क्योकि मनुष्य ने विकास तो खूब किया लेकिन वह जीव-जंतु और पेड़-पौधों को भूल गए। यदि इसी तरह से पर्यावरण का दोहन होता रहा तो शीघ्र ही हमे दूसरी प्रथ्वी की आवश्यकता होगी जबकि अभी किसी दूसरे ग्रह पर जीवन संभव नही है।

डॉ मित्रा ने कहा इसलिये विकास के साथ हमें पर्यावरण को बचाने की पहल शुरू करनी होगी, इसके लिये हमें खुद आगे आकर प्रयास करना पड़ेंगे।

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डॉ मित्रा ने कहा कि पर्यावरण को किस तरह बचाया जा सकता है यह जीव जंतुओं से सिखा जा सकता है वे प्रकृति से उतना ही लेते हैं जितनी उनको आवश्यकता है लेकिन मनुष्य की कामनाओ का कोई अंत नहीं है। मनुष्य की प्रवृत्ति न केवल अधिक संग्रहण की हो गई है बल्कि व्यर्थ करने की भी हो गई जिससे पर्यावरण को सर्वाधिक नुकसान हो रहा है। आपने कहा कि भारतीय संस्कृति में अन्न को देवतुल्य माना गया है, इसलिए कहा गया है कि उतना ही ले जितना व्यर्थ ना जाऐ क्योंकि अन्न के व्यर्थ होने से न केवल भुखमरी पैदा होती है बल्कि पका हुआ अन्न पर्यावरण को बिगाड़ने में अपना अहम् योगदान देता है। पका हुआ भोजन जब सड़ता है तो उससे मिथेन गैस उत्पन्न होती है जो जीवन के लिए घातक होती है, इसके साथ ही मांसाहार का प्रयोग भी पर्यावरण को बिगाड़ने मे ंसहायक होता है।

पर्यावरण को बिगाड़ने में पेट्रोल-डीजल का अत्यधिक उपयोग, पेडों की अंधाधुंध कटाई के साथ ही प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग भी है ऐसे में हमें विकास के साथ पर्यावरण को किस तरह बचाएंे इसका भी चिंतन करना होगा। हम पर्यावरण के लिए घातक तत्वों को किस प्रकार उपयोगी बना सकते है इस पर मंथन करना होगा ताकी पर्यावरण भी बचे और स्टॉटअप भी हो सके।

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डॉ प्रेरणा मित्रा ने शिवना नदी में पाई जाने वाली जलकुंभी से वस्त्र , साड़ियां और पेपर बनाऐ जाने का उल्लेख किया और बताया कि महाराष्ट्र में जलकुंभी के माध्यम से साडियां बनाने का स्टार्टअप शुरू किया गया है इससे कागज भी बनाऐ जा रहे है इसलिए हम भी अपने यहां शिवना नदी की जलकुंभी का उपयोग इस तरह कर सकते है ताकी शिवना नदी से जलकुंभी समाप्त हो जाऐ और उसी जलकुंभी से रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हो। इसी तरह से वेस्ट प्लास्टिक को भी कई तरह से उपयोगी बनाया जा सकता है।

प्रमुख समाजसेवी नाहरू खान मेव ने कहा कि कोरोना आपदा में वृक्ष याद आऐ थे उसके बाद आज जब भीषण गर्मी है तक पर्यावरण की याद आ रहीं है लेकिन अब समय आ गया है कि हमें पर्यावरण को बचाने के लिए ठोस उपाय करने होंगे, जनपरिषद के मिशन के साथ जागरूकता लाना होगी।
श्री नाहरू खान मेव ने इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए दो हजार पौधे और सौ ट्री-गार्ड अपनी ओर से दिए जाने की घोषणा की और कहा कि यदि जलकुंभी को रिसायकल की व्यवस्था हो जाऐ तो मंदसौर की शिवना नदी से जलकुंभी वे स्वयं निकालने का बीड़ा उठाने के लिए तैयार है।

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वरिष्ठ चिकित्सक और दशपुर रत्न से अलंकृत डॉ विजयशंकर मिश्र ने कहा कि दिखावे के लिए काम ना हो बल्कि ऐसा काम किया जाऐ जो सीधे जनता तक पहुंचे इसके लिए जागरूकता की आवश्यकता है, प्रेरणा देने की आवश्यकता है क्योंकि देखने में आता है कि आज पर्यावरण के लिए भी काम होता है तो वह दिखावा मात्र बन रहा है। परन्तु अब वह समय आ गया है जब धरातल पर काम करने की आवश्यकता है क्योंकि पर्यावरण बचेगा तभी जीवन संभव हो पाऐगा इसलिए प्रत्येक व्यक्ति पर्यावरण के प्रति जागरूक बनें और पर्यावरण को बचाने के लिए प्रयास करें। आपने जनपरिषद की पहल का स्वागत किया और कहा कि पौधे भेंट से प्रेरित होंगे हम सब , पौधे लगाने से ही नहीं अब उनका पौषण भी समाज को करना होगा ।

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक श्री नरेंद्र सिंह सिपानी ने कहा खाद्यान्नों में उत्पादन बढ़ा है और निर्यात कर रहे हैं पर रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं बल्कि दुरुपयोग कर रहे हैं इसके प्रतिकूल प्रभाव पर्यावरण के साथ जैविक विविधताओं का नुकसान भी कर रहे हैं । खाद्यान्नों के साथ दलहन – तिलहन , फलों और सब्जियों की गुणवत्ता बुरी तरह बिगड़ रही है ऐसे में सावधानी बरतने की आवश्यकता है ।

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राष्ट्रपति पुरस्कृत पुरावेत्ता , दशपुर प्राच्य शोध संस्थान निदेशक डॉ कैलाश चंद्र पांडेय ने अपने संबोधन में दशपुर जनपद के पर्यावरण वैभव का तथ्यात्मक विवरण प्रस्तुत कर चकित कर दिया । आपने सात रियासतों से धिरे तत्कालीन मंदसौर के जल , जंगल और जमीन की समृद्धि को रेखांकित करते हुए स्पष्ट किया कि समाज और सरकारों की उदासीनता से पर्यावरण के साथ प्राकृतिक विरासतों में विकृति बढ़ रही है इसे समय रहते संरक्षित करना होगा ।

पर्यावरणविद एवं सार्थक संस्था अध्यक्ष डॉ उर्मिला सिंह तोमर ने कहा जनपरिषद एवं रचनात्मक कार्यों को समर्पित लोग मिलकर पर्यावरण सुधार में साथ देंगे तो अवश्य बदलाव होगा ।
आपने सार्थक संस्था द्वारा आगामी 16 जून गंगा दशहरा से शिवना नदी के उद्गम स्थल से लोकचेतना जागरण शिवना यात्रा आरंभ कर रहे हैं जो चंबल नदी तक जाएगी ग्रामीण स्थानों पर पड़ाव होंगे और समीपवर्ती क्षेत्रों में जनजागरण के साथ शिवना शुद्धि का संदेश देंगे ।

आरंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती चित्र पर माल्यार्पण व दीप दीपन किया ।
संगोष्ठी में प्रेस क्लब अध्यक्ष ब्रजेश जोशी , असद अंसारी , कवि नरेंद्र भावसार , लोकेन्द्र पाण्डे , राजकुमार अग्रवाल , चेतन व्यास , मनीष मनी श्यामगढ़ वाले , राजाराम तंवर आदि ने विचार रखे गीत कविता और मुक्तक प्रस्तुत किये।
स्वागत उद्बोधन और संचालन जनपरिषद जिला अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल ने किया । आभार सचिव नरेंद्र कुमार त्रिवेदी ने माना ।

संस्था सदस्य शिक्षाविद अजीजुल्लाह ख़ालिद का जन्मदिन भी मनाया गया ।
अतिथियों को प्रतीक स्वरूप पौधे सम्मान के साथ श्री मनीष मनी के सहयोग से भेंट किये गए ।
पर्यावरण संगोष्ठी की मुख्य वक्ता डॉ प्रेरणा मित्रा को पौधे के साथ जनपरिषद स्मृति चिन्ह और साहित्य भेंट किया ।

इस संगोष्ठी में अजय डांगी , राजाराम तंवर बंशीलाल टांक पुष्पेंद्र चौहान नंदिनी शर्मा हिमांशु पांडेय , ब्रजेश सेन मारोठिया , बैंक प्रबंधक पी सी सिसोदिया , विनोद मेहता दाऊ विजयवर्गीय सचिन पारिख , पंडित देवेश्वर जोशी साहित्यकार गोपाल बैरागी , डॉ आरती जैन , प्रदीप शर्मा सुनील व्यास पुरषोत्तम भट्ट ,श्रीमती स्वाति रिचावरा , डॉ देवेंद्र पुराणिक सत्येंद्र सिंह सोम , लोकेश पालीवाल , संजय भारती , अनंत तारे अमित परमार गायत्री प्रसाद शर्मा डॉ रविन्द्र पांडेय , गोपाल पंचारिया , लालबहादुर श्रीवास्तव कवि साहित्यकार मुकेश निडर पिपलियामंडी , राजेंद्र चाष्टा , भाई मुलासिया , चंदा डांगी ,सिद्धार्थ तंवर सहित विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे ।