Amazing Travelogue : अमेरिका का “यलो स्टोन नेशनल पार्क” जहाँ ज्वालामुखी से निकले रंगीन लावा में भारत के राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंग दिखाई देते हैं

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Amazing Travelogue: अमेरिका का “यलो स्टोन नेशनल पार्क” जहाँ ज्वालामुखी से निकले रंगीन लावा में भारत के राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंग दिखाई देते हैं

महेश बंसल, इंदौर

घुमक्कडी़ में दो तरह की रचनाओं से रूबरू होते हैं, एक प्रकृति निर्मित तो दूसरी मानव निर्मित । आधुनिक विश्व में मानव कल्पनाओं को आकार देकर असंख्य पर्यटन स्थल बने हैं फिर भी प्रकृति निर्मित पर्यटन स्थलों की लोकप्रियता का कोई मुकाबला नहीं है। जून 2023 में बेटे के घर अमेरिका जाने के निमित्त परिवार सहित चार नेशनल पार्क अलकाट्राज़, द ग्रैंड टेटन, यलोस्टोन एवं ग्लेशियर नेशनल पार्क भ्रमण करने का अवसर मिला।। प्रकृति निर्मित यह संरचनाएं हम शहरी लोगों को अलग ही दुनिया में ले जाती है.. अचंभित हो जाते है .. नतमस्तक हो जाते है प्रकृति की कलाकारी को देखकर। अविस्मरणीय यादें रह रहकर आनंदित करती है। यही कारण है कि प्रतिमाह बागवानी पर लिखा जाने वाला यह कालम इस बार ईश्वरीय बागवानी की लीला से आपको रूबरू करवा रहा है।

ग्रैंड टैटन नेशनल पार्क
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तीन नेशनल पार्क श्रृंखला में पहला पड़ाव ग्रैंड टैटन का था। यहां की पर्वत श्रृंखला में सबसे अधिक पर्वत की ऊंचाई 13500 फीट है। पहाड़ों पर इस समय भी हल्की बर्फ थी। अनेक जानवर इस पर्वत श्रृंखला में विचरते है। अनेक झील , प्रपात , वृक्षों व असंख्य पीले फूलों को समेटे यह नेशनल पार्क प्रकृति की अनुपम धरोहर है। असाधारण वन्य जीवन, प्राचीन झीलों और अल्पाइन इलाके से समृद्ध टेटन रेंज उन लोगों के लिए एक स्मारक के रूप में खड़ा है जो इसकी रक्षा के लिए लड़े थे। पहाड़ों ने ग्रैंड टेटन नेशनल पार्क का निर्माण किया यहां दो सौ मील की पगडंडियां एवं स्नेक नदी हैं ।लगभग 310,000 एकड़ (1,300 किमी ) के इस पार्क में 40 मील लंबी (64 किमी) टेटन रेंज की प्रमुख चोटियों के साथ-साथ जैक्सन होल के रूप में जानी जाने वाली घाटी हैं । ग्रैंड टेटन नेशनल पार्क येलोस्टोन नेशनल पार्क के दक्षिण में केवल 10 मील (16 किमी) की दूरी पर है । इसका मानव इतिहास कम से कम 11,000 साल पहले का है । इसमें स्थित जेनी लेक की अधिकतम गहराई 256 फीट है। यहां बोट से दूसरे किनारे पर जाना पड़ता है। पानी का वेग अद्भुत संगीत की रचना करता है। इसी की परिधि में लकड़ी के पुराने मकान की कतार है जिसे मॉर्मन रो कहा जाता है। इनके पार्श्व में बर्फ के पहाड़ों के कारण इस लोकेशन के अनेकों चित्र सोशल मीडिया पर बहुत प्रसिद्ध हुए हैं ।

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यलो स्टोन नेशनल पार्क
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जहां सन् 1872 के पूर्व गर्म पानी के झरने में समीप रहने वाले नागरिक धोबी घाट के रूप में उपयोग कर कपड़े धोते थे, वह स्थान विश्व का प्रथम नेशनल पार्क ( कुछ इसे द्वितीय भी बताते है) बन गया है। बाईस लाख एकड़ से भी अधिक एवं लगभग 9000 स्केयर किलोमीटर के भू भाग पर इसकी उपस्थिति है। अमेरिका के तीन राज्यों तक इसका विस्तार है । यहां 5 % पानी,15% घास के मैदान एवं 80% वन क्षेत्र है। यहां 1350 प्रजाति के फूल, लाजपोल एवं व्हाइटबर्क पाइन के असंख्य पेड़, स्तनधारी पशुओं की 60 प्रजाति, 300 तरह के पक्षी, दर्जन-भर सरी-सृप एवं असंख्य मछलियां पाई जाती है। येलोस्टोन का प्रमुख आकर्षण इसकी हाइड्रोथर्मल विशेषताएं हैं, ( जिसे हाट स्पिंग ,थर्मल स्पिंग या गर्म पानी के झरने कहा जाता है ) जो दुनिया में ज्ञात सभी का लगभग आधा हिस्सा हैं। भारत में उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में हमने गर्म पानी के झरनों अथवा कुंड को देखा है, जिसमें सल्फर की गंध महसूस करते है।

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भूगर्भीय हलचल के फलस्वरूप वाल्केनो के आंचल में ओल्ड फेथफुल गीजर को फूटते देखना येलोस्टोन नेशनल पार्क का प्रमुख आकर्षण है। पार्क के वन्य जीवन और दृश्य आज भी प्रसिद्ध हैं, लेकिन यह ओल्ड फेथफुल गीजर जैसी अनूठी थर्मल विशेषताएं थीं, जिन्होंने 1872 में येलोस्टोन को दुनिया के पहले राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित करने के लिए प्रेरित किया … 60 से 90 मिनट के अंतराल में केवल देढ़ से पांच मिनट तक की अवधि में विस्फोट की ऊँचाई 106 से 185 फीट तक की होती है। पानी के साथ धुंए का प्रपात निर्मित हो जाता है। सुना था कि यलोस्टोन में एक ही दिन में गर्मी ठंड व बरसात होना आम बात है, हमने महसूस भी कर लिया।

येलोस्टोन नेशनल पार्क में ग्रैंड प्रिज़मैटिक स्प्रिंग संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे बड़ा गर्म पानी का झरना है और दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है । न्यूजीलैंड में फ्राइंग पैन झील और डोमिनिका में उबलती झील के बाद यह मिडवे गीजर बेसिन में स्थित है । इस झरने में गर्म पानी का स्राव,
इसके रंग एक ऑप्टिकल प्रिज्म द्वारा सफेद प्रकाश के इंद्रधनुषी रुप में दिखाई देते है। यलोस्टोन का यह दूसरा मुख्य आकर्षण है।

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लगता था दूसरे दिन अच्छा नहीं रहेगा, क्योंकि ढ़ाई घंटे से कार में बैठे रहे, ट्राफिक रूका हुआ था.. कभी कभी थोड़ा सा बढ़ जाता है। कुछ गाडियां पलटकर वापस भी हो जाती है। लेकिन कहते है ना.. सब्र का फल मीठा होता है.. ऐसा ही हुआ। ढ़ाई घंटे में केवल 12 मील का सफर करने के बाद दिखता है वह अद्भुत दृश्य..Bison का विशाल झुंड.. मैदान में विचरते एवं आराम फरमाते हुए .. मालूम पड़ा, यातायात भी इसीलिए बाधित हुआ था , क्योंकि यह झुंड सड़क पर था, वनकर्मियों ने सड़क से इन्हें हटाकर मैदान में जाने की ओर प्रवृत्त किया।

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इस नेशनल पार्क में Bison सबसे अधिक है। हमारी कार के सम्मुख से दो Black bear ने सड़क को पार किया। इसके अतिरिक्त Pronghorn , Mule deer, Elk भी दिखाई दिए ।
ज्वालामुखी से निर्मित पहाड़ पर मैमथ हॉट स्प्रिंग्स में लगभग 50 गर्म पानी के झरने है। प्रकृति के गर्भ से निर्मित एक रंगीन झरने ने तो अत्यंत प्रभावित किया। लगता था किसी और ही ग्रह में पहुंच गये। विभिन्न रंग, विशाल एवं आकर्षक आकार मन को मोहने वाला था। इसी प्रकार एक फाउन्डेशन लगता था बर्फ़ से बना है । इस पहाड़ की सबसे ऊंची जगह से सामने वाली पर्वत श्रृंखला को निहारना अनुपम था ।
टावर प्रपात पर सुहावना मौसम .. रिमझम फुहारें श्रावण के मौसम का अहसास करा रही थी। हमारे यहां महू के पातालपानी का झरना याद आ रहा था।

ग्रैंड कैनियन झरना - Grand Canyon Waterfall In Hindi
नॉरिस गीज़र बेसिन क्षेत्र को देखकर लगता है कि किसी और ही दुनिया में आ गये है.. ऐसा भी लगता था कि शतचंडी महायज्ञ हो रहा हो .. अथवा लगता है कि कहीं यह युद्ध क्षेत्र तो नहीं.. जिधर देखो.. धुंआ ही धुंआ ।
हमारा आजादी का अमृत महोत्सव यहां भी स्मरण में हो आया, जब देश के झंडे के तीनों रंग ज्वालामुखी से निकले रंगीन लावा में यहां दिखाई दिए । यही पर विश्व का सबसे ऊंचा लगभग 300 फीट ऊपर तक जाने वाला गर्म पानी का फव्वारा भी है। ग्रैंड कैनयन ऑफ़ द येलोस्टोन एक शानदार प्राकृतिक आश्चर्य है। यह कैनयन लगभग 24 मील लंबी है और 1,200 फीट गहरी है। इसमें विभिन्न रंगीन पत्थर, जलप्रपातों और जीवंत वनस्पति की उपस्थिति है।

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मड वॉल्केनो एक रोचक प्राकृतिक आकर्षण है। यह एक क्षेत्र है जहां भूगर्भिक गतिविधि ने एक अद्वितीय दृश्यस्थल पैदा किया है, जिसमें बुलबुले उठते कीचड़, बाष्पीय छेद, और श्वसनीय फ्यूमरोल्स शामिल हैं । मड वॉल्केनो क्षेत्र में भूगर्भीय विशेषताओं की एक श्रृंखला प्रदर्शित है, जो मनोरंजन करती है। उनमें से एक मुख्य आकर्षण ड्रैगन्स माउथ स्प्रिंग है, जो भूमि से उठते हुए जल और भाप के धमाकों को छोड़ता है । ऐसा ही मड वाल्केनो न्यूजीलैंड में भी देखा था।
यलोस्टोन एवं ग्रांड टिटोन नेशनल पार्क की घुमक्कड़ी के दौरान देखा है कि नेशनल पार्क में जाने वाले पर्यटक पहले विजिटर्स सेंटर पर जाते है। कितने दिन पार्क में घूमने वाले है, उस अनुसार सेंटर के अधिकारी (रेंजर) पर्यटकों को मार्गदर्शन के साथ मानचित्र ( MAP ) भी देते है, उस मानचित्र पर आपके समय, दिन व रूचि अनुसार मार्क भी कर देते है। इस हेतु सेंटर पर 3-4 रेंजर रहते है फिर भी प्रतीक्षा करना पड़ती है। क्योंकि प्रत्येक पर्यटक की जिज्ञासा का मार्गदर्शन करने में 5-10 मिनट का समय लग जाता है।
एक और महत्वपूर्ण बात है पर्यटकों के साथ आए उनके बच्चों को पार्क की जानकारी हेतु लगभग 20- 30 पेज की रंगीन बुकलेट व पेंसिल ( प्रत्येक बच्चों को पृथक पृथक) निशुल्क देते है। इस बुकलेट में पार्क से संबंधित प्रश्न भी रहते है। बुकलेट में लिखें पार्क से संबंधित प्रश्नों के उत्तर खोजने हेतु बच्चे भी रूचि से भ्रमण करते हुए व्यस्त रहते है । यात्रा के समापन पर पार्क के किसी भी विजिटर्स सेन्टर पर वह बुकलेट दिखाना होती है। रेंजर बच्चों से पार्क के बारे में प्रश्न करते हैं, अतिरिक्त जानकारी देते है, बुकलेट का निरीक्षण करते हैं .. संतुष्ट होने पर जूनियर रेंजर का बैज़ बच्चों को देते है। रेंजर इस समय अध्यापक की भूमिका में होते है । बैज़ देने के पूर्व पर्यावरण संवर्धन , सुरक्षा एवं जनजागृति हेतु यह शपथ दिलाते है –
“एक जूनियर रेंजर के रूप में, मैं.. (नाम), येलोस्टोन के वन्य जीवन, इतिहास और प्राकृतिक विशेषताओं को संरक्षित और संरक्षित करने में मदद करने के लिए मैं जो कुछ भी कर सकता हूं उसे सीखने का वादा करता हूं। जब मैं घर लौटूंगा, तो मैं दूसरों को सिखाऊंगा कि कैसे प्राकृतिक दुनिया की रक्षा की जाए।”
बालपन से पर्यावरण संवर्धन के प्रति रूचि जागृत करने की यह शैक्षणिक प्रक्रिया स्तुत्य एवं प्रेरणादायक है। इस हेतु एक नियम और भी है, यदि आपका बच्चा कक्षा चार में अध्यनरत है, वह पर्यटन के समय साथ में हैं तो प्रमाण देने पर अमेरिका के किसी भी नेशनल पार्क में प्रवेश शुल्क जो कि प्रति कार 35 डालर है, नहीं देना पड़ता है।
इस प्रवास में सड़क मार्ग से यात्रा करने पर रास्ते में आए सहस्त्र बुद्ध मंदिर को देखा। मंदिर के शिखर के नीचे बने कगुंरो पर चिड़ियों ने क्रमबद्ध घोंसले इस तरह बनाए है कि पहली नज़र में डिजाइन ही लगती है। अनेक चिड़ियों को वहां आते जाते देखने पर मालूम हुआ कि घोंसले है।
पता चला कि यह अबाबील नामक पक्षी है, जो गीली मिट्टी और भूसे में अपनी लार के गारे से अपना घोंसला बनाती है। खड़ी, सीधी, पक्की व पेंट की हुई दीवार पर लगभग दो किलो मिट्टी का मलवा शंकुआकर चिपका देना और वह भी दस वर्षों से अधिक समय तक चिपके रहना निश्चित तौर पर आश्चर्यजनक है। यह बहुत तेज दौड़ने वाला पक्षी है जो लगातार 6 महीने तक दौड़ सकता है।
एवलांच लेक – ग्लेशियर नेशनल पार्क
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जल जंगल जमीन व पर्वत … प्रकृति की इस अनुपम देन से एक ही जगह रूबरू होने का अवसर था.. एवलांच लेक हेतु ट्रेकिंग का । घने वृक्षों के मध्य घनघोर पहाड़ी जंगल में साढ़े तीन किलोमीटर की चढ़ाई और फिर इतनी ही वापसी .. ठंडे मौसम में भी गर्मी का अहसास .. फिर भी जंगल से ही उठाई बैसाखी के संबल ने राह आसान कर दी थी । आकाश की ऊंचाई को छूते प्रतीत होते वृक्ष एवं पर्वत श्रृंखला.. कलकल बहती पहाड़ी नदी, हिरण की अठखेलियां , ताम्र एवं रजत रंग के वृक्ष के तने । इन सभी को निहारते उस सौंदर्य में सराबोर होकर और कुछ आगे बढ़ने पर सहसा चौंक कर रुकना पड़ा। लगा कि सामने स्वर्ग का दरवाजा खुल गया है। प्रकृति के उस अद्भुत सौंदर्य ने एकबारगी चौंका दिया। आगे धरती का ऐसा विस्मय छिपा है इसकी कुछ देर पहले भी भनक नहीं थी। हम सभी मंत्रमुग्ध की तरह ठिठक कर रुक गये थे। उस अनंत सुंदर दृश्य ने सबके पाँव बाँध दिए थे, हमारे हृदय आनंद से बल्लियों उछलने लगे थे। अपनी विह्वलता से मुक्त होने में कुछ समय लगा, उसके बाद हम लोगों को हिम खंडों से सजी पर्वतमाला के मध्य निर्मित एवलांच लेक में पानी के विभिन्न रंग, हल्की लहरों के साथ अप्रतिम आंनद की अनुभूति करवा रहे थे। शिवमय पहाड़ और जलमय प्रकृति की इस अद्भुत लीला के सम्मुख नतमस्तक थे ।
लोगन पास, ग्लेशियर नेशनल पार्क
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गोइंग-टू-द-सन रोड .. इस पहाड़ी सड़क को यही कहा जाता है। पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के रॉकी पर्वत में , मोंटाना में ग्लेशियर नेशनल पार्क में एक सुंदर पहाड़ी सड़क है । यह एकमात्र सड़क है जो पार्क को पार करती है, 6,646 फीट की ऊंचाई पर लोगन पास के माध्यम से कॉन्टिनेंटल डिवाइड को पार करती है, जो सड़क पर उच्चतम बिंदु है। इस मार्ग से लोगन पास पर पहुंचना अप्रतिम अनुभव था । यह अमेरिका में तो है ही लेकिन कनाडा की सीमा रेखा के पास में भी आने से दोनों देश के झंडे यहां लगे हुए है।
9 अप्रैल, 2014 को लोगन पास में 139 मील प्रति घंटे की रफ्तार से रिकॉर्ड हवा का झोंका दर्ज किया गया था। उस समय पास बंद था। 13 दिसंबर, 2006 को लोगन दर्रे में रिकॉर्ड किया गया पिछला रिकॉर्ड झोंका 133 मील प्रति घंटे था। रिकॉर्ड झोंके के दौरान औसत हवा की गति 66 मील प्रति घंटे दर्ज की गई थी। हवा का वेग हमें भी अत्यधिक महसूस हुआ। यहां बर्फ़ पर चलना, जिधर नज़र घुमाएं उधर विशालकाय पहाड़ ही पहाड़.. पहाड़ों पर बर्फ, बर्फ़ के समीप पीले फूलों को हवा में लहराते देखना.. सभी कुछ अविस्मरणीय था।
आल्काट्राज़ .. काला पानी जेल
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आल्काट्राज़ .. सेन फ्रांसिस्को की खाड़ी में स्थित दुनिया भर में प्रसिद्ध जेल है जो कि एक छोटे से द्वीप में है । इसे कैद के द्वीप के साथ ही स्वतंत्रता का द्वीप भी कहते है। क्योंकि 1969 में, सभी जनजातियों ने स्वतंत्रता और मूल अमेरिकी नागरिक अधिकारों के नाम पर 19 महीनों के लिए अलकाट्राज़ पर कब्जा कर लिया।
जेल के 29 वर्षों के संचालन के दौरान, कुल 36 कैदियों ने भागने के 14 प्रयास किए , दो लोगों ने दो बार कोशिश की। 23 को जिंदा पकड़ा गया, छह को उनके भागने के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई, दो डूब गए, और पांच को “लापता और अनुमानित डूब गया” के रूप में सूचीबद्ध किया गया। सबसे हिंसक घटना 2 मई, 1946 को हुई, जब छह कैदियों द्वारा भागने के असफल प्रयास के कारण अलकाट्राज़ की लड़ाई हुई । शायद सबसे प्रसिद्ध 11 जून, 1962 को फ्रैंक मॉरिस , जॉन एंगलिन, क्लेरेंस एंगलिन द्वारा किया गया जटिल पलायन है। इन तीनों के जेल से भाग जाने के बाद ये तीनों कैदी कहां गये, डूब गये अथवा बच गये, इसकी कभी भी पुष्टि नहीं हो पाई। इसी घटना को लेकर फिल्म भी बनी। फिल्म बनने के पश्चात यह स्थान और भी प्रसिद्ध हो गया। सेन-फ्रांसिस्को के समुद्र तट से 15 मिनट में क्रूज द्वारा इस द्वीप पर पहुंच कर इसे निहारना अद्भुत अनुभव रहा।

लाइब्रेरी ऐसी भी होती है..
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अमेरिका में शासन द्वारा प्रत्येक काउंटी (जिला) में अनेक लाइब्रेरी स्थापित की गई है। मैंने फ्रीमोंट मेन लाइब्रेरी को देखा वह एक काउंटी में स्थापित दस लाइब्रेरी में से एक एवं काउंटी की मुख्य लाइब्रेरी है। यहां अनेक भाषाओं की असंख्य पुस्तकें, डीवीडी सभी उम्र के व्यक्तियों के लिए निशुल्क उपलब्ध है।
पुस्तकों के अतिरिक्त यहां की व्यवस्था अचम्भित करने वाली है। बीस पुस्तकें आप इक्कीस दिन के लिए घर पर रख सकते है। यदि आपके पास रखी पुस्तक में किसी अन्य सदस्य ने लेने हेतु रूचि दिखाई है तो 21 दिन में पुस्तक जमा करना आवश्यक है जिन पुस्तकों में किसी अन्य ने रूचि नहीं दर्शायी हो तो 21 दिन से अधिक भी रख सकते हो। आपको जो पुस्तक चाहिए वह आपकी लाइब्रेरी में नहीं है तो काउंटी की अन्य लाइब्रेरी से बुलाकर उपलब्ध कराते हैं। यदि काउंटी की किसी भी लाइब्रेरी में नहीं है तो केवल एक डालर का शुल्क लेकर बाजार से खरीदकर उपलब्ध करवाते हैं। यहां बैठकर पढ़ने की सुविधा भी है, वहीं बैठकर दो घंटे के लिए लैपटॉप भी निशुल्क उपलब्ध है। यहां अनेक इवेंट (पेंटिंग, सेमिनार, पुस्तक मेला इत्यादि) भी आयोजित होते रहते है। कोरोना काल में पुस्तक देने की व्यवस्था चालू थी लेकिन वापसी करने की प्रक्रिया बंद कर रखी थी। इस कारण 200 –
300 पुस्तकें पाठकों के यहां एकत्रित हो गई थी। सामान्य स्थिति होने के बाद जमा करना शुरू हुआ था। यही नहीं कोरानाकाल में पौधों के बीज भी निशुल्क उपलब्ध करवायें गये थे, जिससे लाकडाउन के समय घर पर ही पौधे तैयार कर सके।
पुस्तक देने व वापसी करने की प्रक्रिया भी स्वमेव कंप्यूटर पर करना होती है। पुस्तकों पर बारकोड होने से एक मिनट का भी समय नहीं लगता। आपकी इच्छित पुस्तक अन्य लाइब्रेरी अथवा पाठक से आ जाने पर आपके लिए एक सप्ताह तक होल्ड पर रख दी जाती है जिसकी सूचना इमैल पर भेज देते है। यहां हिंदी विभाग में प्रसिद्ध साहित्यकार प्रतिभा राय एवं अलका सरावगी की पुस्तकें देखकर सुखद अनुभूति हुई। मैंने भी लाइब्रेरी से हिंदी की सात पुस्तकें लेकर पढ़ी ।
शासकीय लाइब्रेरी… सभी कुछ निशुल्क.. पुस्तक प्राप्त करना एवं वापसी करने की इन्ट्री पाठक को स्वयं करना .. ऐसी व्यवस्था की कल्पना तो मैंने तो कभी नहीं की थी, लेकिन अमेरिका में यह देखकर चमत्कृत होना लाज़मी है।
फ्रीमोंट मेन लाइब्रेरी के पश्चात डबलिन की लाइब्रेरी में भी अनेक भाषाओं की पुस्तकों में हिंदी व गुजराती भाषा की पुस्तकें मेरे आकर्षण का केंद्र रही। हिंदी फिल्मों के साथ अन्य भाषाओं की फिल्म व संगीत के dvd भी थी । बच्चों द्वारा पढ़ने के बाद अनुशंसा की गई पुस्तकों को अलग से प्रदर्शित किया गया था। एक तरफ विक्रय की जाने वाली पुस्तकों को रखा गया था, जिनका शुल्क आधा- एक और दो डालर का था, जबकि वे महंगी पुस्तकें थीं। यही नहीं शुल्क का भुगतान वहीं रखें एक बक्से में नगद डाल देना था। कोई भी कर्मचारी यह देखने वाला नहीं कि आपने खरीद की हुई पुस्तकों का सही भुगतान किया है अथवा नहीं। वहीं बैठकर पढ़ने व अपने लैपटॉप पर कार्य करने की वृहत व्यवस्था थी। वहां लगे कंप्यूटर पर भी आप कार्य कर सकते है।
इस प्रवास में चेरी फ्रूट फार्म , नर्सरी, कचरा गाड़ी, पेड़ों की कटाई, पौधारोपण की तकनीक, भूकंप वाले क्षेत्र में लकड़ी के सीमेंट सदृश मकान .. इत्यादि व्यवस्थाओं से भी रूबरू हुआ। बहुत कुछ देखते समझते प्रकृति की सुंदरता पर नतमस्तक हो सुखद स्मृतियां संजोए वापसी घर आया।
महेश बंसल, इंदौर

Ficus Benghalensis: कुछ ख़ास है कुछ पास है: बगल में छोरा और शहर में ढिंढोरा ” माखन कटोरी पेड़”