मप्र साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित ‘ईसुरी पुरस्कार’ डॉ सुमन चौरे को देने की घोषणा

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मप्र साहित्य अकादमी का प्रतिष्ठित ‘ईसुरी पुरस्कार’ डॉ सुमन चौरे को देने की घोषणा

 

मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी ने लोकभाषा का प्रतिष्ठित ‘ईसुरी पुरस्कार’ डॉ सुमन चौरे को उनकी पुस्तक ‘निमाड़ का सांस्कृतिक लोक’ के लिए देने की घोषणा की है। डॉ सुमन चौरे लोक संस्कृति और लोक साहित्य के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में निरन्तर सक्रिय हैं। उन्हें *‘निमाड़ की लोक संस्कृति की चलती फिरती पाठशाला’ और ‘निमाड़ की लोक संस्कृति का जीवंत ज्ञानकोष’* कहा जाता है। उनकी करीब 425 पृष्ठ की पुस्तक ‘निमाड़ का सांस्कृतिक लोक’ में लुप्त हो रही या लुप्त हो गई अनेकों परम्पराओं और लोकगीतों की व्याख्या है। जून 1948 में निमाड़ के गाँव कालमुखी में जन्मी डॉ चौरे ने निमाड़ एवं प्रतिवेशी क्षेत्रों मालवा बुंदेलखंड गुजरात और खानदेश (महाराष्ट्र) में घूम-घूमकर लोक गीतों, लोक कथाओं, लोक नाट्यों आदि का अध्ययन एवं शोध किया है।

 

राष्ट्रकवि *माखनलालजी चतुर्वेदी के संपादन काल में उनके साप्ताहिक ‘ कर्मवीर‘ में डॉ चौरे की रचनाएं प्रकाशित हुई।* उनकी प्रथम रचना सन् 1963 में संस्थापित हिंदी साहित्य की प्रतिनिधि संस्था ‘श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति‘ द्वारा प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका ‘वीणा‘ में प्रकाशित हुई थी। गीता प्रेस, गोरखपुर के प्रतिष्ठित प्रकाशन ‘कल्याण’ के वार्षिकांकों जैसे – श्रीराधामाधव अंक, बोध कथा अंक, साहित्य अमृत, अक्षरा, स्वदेश, दैनिक भास्कर आदि में लोक संस्कृति पर उनकी रचनाएँ प्रकाशित होती हैं।

 

मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित लोक संस्कृति के प्रतिष्ठित उत्सवों मे भागीदारी करती रही हैं। सन् 1975 में इंदौर में आयोजित ‘निमाड़- मालवा लोकोत्सव’ में लोकगीतों का गायन किया। आकाशवाणी और दूरदर्शन से लोकसंस्कृति पर उनके कार्यक्रमों का प्रसारण होता है।

लोक साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में सतत कार्य के लिए उन्हें देश की अनेकों संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। वाराणसी, उत्तर प्रदेश की 1940 में स्थापित गौरवशाली साहित्यिक संस्था ‘साहित्यिक संघ’ द्वारा उन्हें ‘सेवक साहित्य श्री सम्मान’ से अलंकृत किया गया। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, मध्यप्रदेश, मध्यप्रदेश लेखक संघ, मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन आदि द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया है।