Why Not Reconsider the Promotion : कर्मचारी पदोन्नति से अयोग्य घोषित नहीं, तो उसके नाम पर फिर से विचार क्यों नहीं!

पात्र पाए जाने पर पुरानी तारीख से पदोन्नत किया जाए और सभी लाभ दिए जाएं!

665

Why Not Reconsider the Promotion : कर्मचारी पदोन्नति से अयोग्य घोषित नहीं, तो उसके नाम पर फिर से विचार क्यों नहीं!

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि एक कर्मचारी के पास पदोन्नति का अधिकार नहीं होता है। लेकिन, जब तक वह अयोग्य घोषित नहीं किया जाता पदोन्नति के लिए उस पर विचार किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशू धूलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ तमिलनाडु के एक सिपाही की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जो सब-इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नति के लिए उसके नाम पर विचार न किए जाने से नाराज था।

पीठ ने कहा कि यह आम बात है कि कर्मचारी के पास पदोन्नति का अधिकार नहीं है। लेकिन, जब पदोन्नति के लिए चयन किया जा रहा हो और उसे अयोग्य न घोषित किया गया हो, तब उसके पास विचार के लिए नाम भेजे जाने का अधिकार है। उपरोक्त मामले में इस अधिकार का उल्लंघन अन्यायपूर्ण ढंग से किया गया। अदालत ने देखा कि उसके खिलाफ एक मामले में विभागीय और आपराधिक कार्रवाई की गई थी। उसे गिरफ्तार करने के बाद बरी कर दिया गया और 2009 में सरकार ने उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही के दंड को खत्म कर दिया।

योग्यता के आधार पर करें पदोन्नति पर विचार

पीठ ने कहा कि 2019 में उसे विचार योग्य सूची से अलग नहीं रखना चाहिए। उसकी पदोन्नति के लिए विचार किया जाना चाहिए, भले ही उसकी आयु ज्यादा होने के चलते उसे अयोग्य घोषित न किया जाए। अगर वह पात्र पाया गया तो 2019 से पदोन्नत किया जाए और इससे जुड़े सभी लाभ दिए जाएं। क्योंकि, उसके प्राधिकारी द्वारा उस सजा के आधार पर पदोन्नति पर विचार से इनकार कर दिया गया, जो पहले ही खारिज हो चुकी है। ऐसे में उसकी गलती नहीं है। अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अक्टूबर 2023 के मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी।