Chief Minister Bommai’s chair at stake in Karnataka: कर्नाटक में मुख्यमंत्री बोम्मई की कुर्सी दांव पर

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अजय कुमार चतुर्वेदी की खास खबर

नई दिल्ली: दक्षिण के राज्य कर्नाटक में एक के बाद एक हो रही राजनीतिक घटनाओं ने दिल्ली में बैठे भाजपा हाई कमान की चिंता बढा दी है। हिजाब का मामला तो ताजा है। इसके पहले कोरोना पाबंदियों के बावजूद कांग्रेस द्वारा पद यात्रा निकालना और स्थानीय निकाय के चुनावों में अपेक्षित सफलता न मिलना पार्टी की चिंता का मुख्य कारण बताया जा रहा है।

*क्या बोम्मई हटाए जायेंगे?*

कर्नाटक में भाजपा की सरकार कयी बार रही है। लेकिन इस बार पार्टी में असंतोष के स्वर लगातार दबी जुबान में उठते रहे हैं। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि इस बार भाजपा सरकार की परेशानी का एक प्रमुख कारण कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए कुछ विधायक हैं। सरकार चलाने के लिए उनसे किये गये कथित समझौते परेशानी का सबब बन रहे हैं। इस सच्चाई से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि भाजपा खुद अंदरूनी गुटबाजी से जूझ रही है। हालांकि इस रोग से कांग्रेस भी पीड़ित हैं। लेकिन सत्ता में होने के कारण फिलहाल भाजपा ज्यादा प्रभावित बताई जा रही है।

*लिंगायत और वोक्कलिंगा का पेंच*

कर्नाटक की राजनीति में लिंगायत और वोक्कलिंगा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। दोनों ही राजनीतिक दृष्टि से दमदार है। कर्नाटक में भाजपा को खड़ा करने और सत्ता दिलाने में बी एस येदियुरप्पा ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। हाई कमान भी यह बात समझता इसीलिए उन्हें ही राज्य का मुख्यमंत्री बनाता रहा। पार्टी के नये फार्मूले के कारण ७५ वर्ष की उम्र हो जाने के कारण उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा। उनके उत्तराधिकारी बसवराज बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से है।

 

हाल ही में मुख्यमंत्री बोम्मई ने एक समारोह में कह दिया कि कोई भी पद स्थाई नहीं होता। उनके इस बयान ने भी नेतृत्व में बदलाव की अटकलों को और हवा दे दी। राज्य के सूत्र भी बदलाव की संभावना से इंकार नहीं करते। इस बीच पता चला है कि येदियुरप्पा ने एक ही शर्त रखी है कि अगला नेता भी उन्ही के समुदाय का होना चाहिए। हालांकि मुख्यमंत्री को बदलना हाई कमान के लिए कोई बडी बात नहीं है, लेकिन यह देखना होगा कि लिंगायत के अलावा भाजपा किसी अन्य वर्ग के नेता को कमान सौंपती है अथवा नहीं। इस बीच यह भी चर्चा है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव खत्म हो जाने के बाद कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। क्योंकि पार्टी के एक बड़ा वर्ग का यह मानना है कि वर्तमान मुख्यमंत्री के रहते भाजपा कर्नाटक में सत्ता में वापसी नहीं कर सकती। बहरहाल, सभी को आला कमान के अगले कदम का इंतजार है।