MEDIAWALA’s guess turned out to be correct : राज्य सहकारी प्राधिकारी के चेयरमैन पद पर एमबी ओझा नियुक्त 

तीन अधिकारियों की दौड़ में 'मीडियावाला' का अनुमान सही निकला

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MEDIAWALA's guess turned out to be correct : राज्य सहकारी प्राधिकारी के चेयरमैन पद पर एमबी ओझा नियुक्त 

  Bhopal : प्रदेश सरकार ने रिटायर्ड IAS अधिकारी एमबी ओझा को मध्य प्रदेश राज्य सहकारी प्राधिकारी का चेयरमैन नियुक्त किया है! इस आशय के आदेश भी जारी कर दिए गए! उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अति विश्वसनीय अधिकारियों में गिना जाता रहा है। वे उज्जैन और ग्वालियर के कमिश्नर भी रह चुके हैं। ‘मीडियावाला’ ने 12 मार्च को ही कह दिया था कि इस दौड़ में एमबी ओझा सबसे आगे हैं और वह बात सही भी साबित हुई।

इस पद की दौड़ में कई रिटायर अधिकारी थी, लेकिन मुख्यमंत्री के नजदीकी होने के कारण एमबी ओझा इसमें सबसे आगे थे। वे 4 साल तक विदिशा कलेक्टर और मुख्यमंत्री के उप सचिव भी रहे हैं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश राज्य सहकारी प्राधिकारी के चेयरमैन को लेकर महीनों से चली आ रही उलझन सुलझ गई। पूर्व सहकारिता आयुक्त नरेश पाल और पूर्व एक्साइज कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव इस दौड़ में पीछे रह गए। ‘मीडियावाला’ ने सारे समीकरणों का निष्कर्ष निकालते हुए ही कहा था कि एमबी ओझा ही राज्य सहकारी प्राधिकारी के चेयरमैन होंगे, वही हुआ भी।

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ब्यूरोक्रेसी इस कोशिश में थी कि इस कुर्सी पर अपर मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी ही पदस्थ हो! जबकि, नेताओं की कोशिश थी कि सचिव स्तर के पूर्व अधिकारी को ये जिम्मेदारी सौंपी जाए, अभी तक यही परंपरा भी रही! इस खींचतान के कारण 6 महीने से नियुक्ति लटकी थी। इस वजह से प्रदेश की 3 हज़ार सहकारी समितियों में चुनाव अटके पड़े थे। क्योंकि, राज्य सहकारी प्राधिकारी का चैयरमेन नहीं होने की स्थिति में चुनाव नहीं हो पा रहे थे।

दौड़ में दो पूर्व अधिकारी पिछड़े
यह माना जा रहा था कि सहकारिता आयुक्त पद से रिटायर हुए नरेश पाल आसानी से राज्य सहकारी प्राधिकारी का चैयरमेन पद पा जाएंगे। सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने भी उनके लिए कोशिश की थी। पूर्व एक्साइज कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव ने भी कोशिश की। उनका नाम चर्चा में भी आया था। लेकिन, ‘मीडियावाला’ ने स्पष्ट कहा था कि नरेश पाल और रजनीश श्रीवास्तव के प्रयास सफल होने में संदेह है। क्योंकि इस पद की दौड़ में एमबी ओझा सबसे आगे निकलते दिखाई दिए थे। उनकी अंदरूनी व्यूह रचना ही ऐसी थी, कि उनके नाम पर मुख्यमंत्री ने मुहर लगा दी।