Bulldozer on garment showroom : 5 मंजिला अवैध कमर्शियल कॉम्प्लेक्स ढहाया

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Indore : नगर निगम ने आज सुबह एलआईजी मेन रोड पर एक गारमेंट शोरूम ढहा दिया। इससे पहले लगभग दो घंटे से ज्यादा समय तक शोरूम मालिक और कर्मचारियों का निगम टीम से विवाद चलता रहा। कार्रवाई रोकने शोरूम का मालिक पोकलेन के आगे लेट गया और समय देने की मांग करता रहा। हालांकि, पुलिस की मदद से निगम अफसरों ने उसे हटाकर कार्रवाई शुरू करा दी।

नगर निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी के मुताबिक 4500 स्क्वेयर फीट के प्लॉट पर प्लॉट मालिक मिलिंद वाशिनकर को जी प्लस-2 की अनुमति दी गई थी। जबकि, उसने भूखंड पर जी प्लस-5 का निर्माण कर लिया था। साथ ही अवैध रूप से बेसमेंट का निर्माण भी कर रखा था। शुक्रवार को निगम की और से उसे 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया था। इसके बाद शनिवार सुबह नगर निगम का अमला पहुंचा और अवैध निर्माण हटाया।

निगम द्वारा पिछले दिनों शहर के अवैध निर्माणों को चिन्हित कर उन्हें तोड़ने की कार्रवाई फिर शुरू की गई है। इसी के चलते सुबह निगम के आला अधिकारियों की टीम 6 पोकलेन, 5 जेसीबी और बड़ी संख्या में निगम कर्मियों को लेकर एलआईजी मेन रोड पर बने ‘अन्नपूर्णा ड्रेसेस’ पर पहुंची थी। नगर निगम द्वारा 6 बार भवन मालिक को नोटिस भी दिया गया। लेकिन, वह उसे लगातार नजरअंदाज करता रहा।

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अवैध हिस्सा हटाया गया

कर्मचारी निगम अफसरों से भी यह सवाल भी कर रहे थे कि जब बिल्डिंग गलत और अवैध बन रही थी तो अधिकारी उस समय क्यों नहीं आए? आखिर बिल्डिंग बन जाने के बाद ही निगम की टीम उसे तोड़ने क्यों पहुंचती हैं? इस तरह के मामले में बिल्डिंग परमिशन अधिकारी व जोनल अधिकारी पर भी कार्रवाई होना चाहिए। जब बिल्डिंग का निर्माण शुरू होता है, उस वक्त नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारियों को यह निर्माण नहीं दिखता। बिल्डिंग बनने के लंबे समय बाद नगर निगम के अधिकारी इस तरह की कार्रवाई करते हैं।

 

पोकलेन के नीचे लेटा

निगम के अधिकारियों से बार-बार मोहलत देने की मांग करते हुए शोरूम संचालक वाशिनकर शोरूम के मुख्य द्वार पर खड़ी दो पोकलेन के आगे लेट गए। निगम अफसरों से कहने लगे कि अगर शोरूम तोड़ा गया तो कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। शोरूम पर करीब 100 महिला-पुरुष कर्मचारी काम करते हैं, जो निगम अधिकारियों से समय देने की मांग करते रहे। इसी दौरान बातचीत में विवाद हो गया, जिसके चलते सारे कर्मचारी उग्र हो गए। उनका कहना था कि अभी कोरोना से उबरे हैं और ऐसे में निगम की तोड़फोड़ से वे न केवल बेरोजगार हो जाएंगे, बल्कि उनका परिवार भी संकट में पड़ जाएगा।