बात बस इतनी सी है कि हर इंसान सम्मान का भूखा है …

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चाहे कोई कितना भी गरीब हो, वह अपनी गरीबी से जूझने का हौसला तो पैदा कर सकता है…लेकिन खुद्दार व्यक्ति अपना जमीर कतई नहीं बेच सकता। पर हर इंसान सम्मान का भूखा जरूर है, क्योंकि सम्मान मिलने से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक भाव का संचार होता है। और यह सकारात्मक भाव इंसान को संघर्ष करनेे की असीमित शक्ति दे देता है। “पथ विक्रेताओं के साथ, मुख्यमंत्री की बात” में राजधानी के पथ विक्रेताओं ने निर्मल मन से अपनी यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से साझा की। तो सम्मान पाने की उनकी खुशी देखकर कोई भी भावविभोर हुए बिना नहीं रहा।

संघर्ष करने और सफलता पाने का जज्बा अगर सीखना हो, तो इन आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से सीखा जा सकता है। एक मां दर्शना ने अपनी आपबीती बताई कि पति की मौत के बाद भी उसने हार नहीं मानी। पुराने कपड़ों से थैला बनाकर बेचे और बच्चों का पालन पोषण जारी रखा। फीस जमा न कर पाने से बेटे को इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी। बेटे ने भी हार नहीं मानी और बैंगलुरु से डिकोडिंग का छह महीने का कोर्स कर उसी इंस्टीट्यूट में साढ़े सात लाख रुपए साल के पैकेज की नौकरी भी हासिल कर ली। आंखों में आंसू लिए मां जब 29 अगस्त को मुख्यमंत्री निवास में अपना दर्द, संघर्ष और हौसला बयां कर रही थी, उसी दिन उसका बेटा अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर रहा था। और अब उस मां की चाहत है कि जनसेवा के कार्य से जुड़कर दूसरे जरूरतमंदों की जिंदगी संवारी जाए। वाह, है न प्रेरणादायी जीवन। मन भर आया यह दृश्य देखकर। आखिर दुनिया के कुबेर कहां ठहरते हैं उस मां के जज्बे के सामने, जिसके मन में पैसों का सुख भोगने की किंचित चाहत नहीं है। बेटा विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के बाद भी मां-पिता के मिले संस्कारों से अपने मुकाम पर पहुंच गया, तो मां के दिल में जनसेवा का भाव जिंदा है।

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कोई सब्जीवाला था, तो कोई मिस्त्री, कोई कठपुतली वाला था, तो कोई कपड़े का ठेला लगाने वाला…। किसी ने हॉकर्स लोन स्कीम से पहले बिना ब्याज वाला दस हजार का ऋण लिया। तो किसी ने यह लोन चुकाकर बीस हजार का ले लिया। और यह चुकाने वाले पचास हजार बिना ब्याज लोन के पात्र हो गए। पर आत्मसम्मान के मामले में कोई समझौता नहीं। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी जारी है। हां सब इस बात को लेकर भावुक जरूर दिखे कि मुख्यमंत्री ने सम्मान के साथ बुलाया और गले लगाया, हाथ मिलाया, अपनापन दिखाया, हौसला आफजाई की और चिंता करते हुए उनकी जिंदगी को अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने का भरोसा दिलाया। तो सभी यह सम्मान पाकर बेहद खुशी जाहिर किए बिना नहीं रह पाए, बोलकर भी और भाव और शाब्दिक अभिव्यक्ति के जरिए भी। सम्मान देने पर कृतज्ञता भी जाहिर की और सम्मान देने पर दिल से शुक्रिया भी अदा किया। बात बस इतनी सी ही तो है कि पैसों के भूखे सब नहीं हैं, पर हर इंसान सम्मान का भूखा जरूर है…। 

और सम्मान देने में मुख्यमंत्री शिवराज का कोई सानी नहीं है…। एक व्यक्ति ने तब की लिखी कविता भेंट की, जब उसकी बेटी को सरकारी योजना से निःशुल्क शिक्षा पाने का हक मिला। और अब बेटी नौवीं कक्षा में पहुंच गई है। सीएम ने कलेक्टर को उनकी बेटी की चिंता करने का आदेश दे दिया। कठपुतली वालों को मदद का निर्देश जनसंपर्क को दे दिया। पथ विक्रेता की मांग पर उनके रहवासी क्षेत्रों में समग्र कैंप लगाने का आदेश दे दिया, जिसमें स्वास्थ्य के साथ-साथ वंचितों के राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड और अन्य मिल सकने वाली सुविधाओं की चिंता भी कर ली जाए। आखिर यह सम्मान ही तो है और यही सम्मान भरोसे और संबंधों में बदलकर स्थायी हो जाता है। और शिवराज खुद भी यह बताने से नहीं चूकते कि प्रधानमंत्री मोदी के आशीर्वाद से हम आप सभी की जिंदगी बदलने में सफल हो रहे हैं…। यानि हम आपका सम्मान रख रहे हैं, तो कोई हमारे सम्मान को भी बनाए है…यह भी खुली स्वीकारोक्ति…। बात वही है कि हर इंसान बस सम्मान का भूखा है…!