राजपथ की विचारधारा को भी बदलना होगा…

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राजपथ की विचारधारा को भी बदलना होगा...

8 सितंबर से नई दिल्ली में स्थित राजपथ काल के गाल में समा गया और भव्यतम कर्तव्य पथ का जन्म हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्तव्य पथ का उद्धाटन किया। इससे पहले मोदी ने ‘कर्तव्य पथ’ पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया।कर्तव्य पथ पर 28 फीट ऊंची नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उस विचारधारा का प्रतीक है, जो लोगों में राष्ट्रभक्ति का भाव भरेगी, नई ऊर्जा से सराबोर करेगी और प्रेरणा देगी। कर्तव्य पथ लोगों को राष्ट्रवाद से ओतप्रोत होकर कर्तव्य करने की दिशा देगा। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का वही रास्ता अब कर्तव्य पथ है, जिसकी लंबाई 3.20 किमी है और जो इससे पहले तक राजपथ था। 2023 से हर वर्ष अब राजपथ की जगह कर्तव्यपथ पर ही गणतंत्र दिवस पर परेड निकलेगी।

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कर्तव्य पथ का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज हम गुजरे हुए कल को छोड़कर आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं। आज हर तरफ जो नई आभा दिख रही है वो नए भारत की आत्मविश्वास की आभा है। गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानी राजपथ आज से इतिहास की बात हो गया है। हमेशा के लिए मिट गया है। आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है। उन्होंने कहा कि मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृत काल में गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बधाई देता हूं। मोदी ने आगे कहा कि आज इंडिया गेट के पास हमारे राष्ट्र नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विशाल मूर्ति भी स्थापित हुई है। गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी, आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की मूर्ति की स्थापना करके आधुनिक और सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस की सरकारों पर भी निशाना साधा। पीएम ने कहा कि अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर पहुंचता। लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया।

बात यदि गुलामी के प्रतीकों को तिलांजलि देने की है, तो सबसे पहले सारे सरकारी कामकाज की भाषा हिंदी या राज्य की भाषा होना चाहिए। देश को अंग्रेजी भाषा की गुलामी से मुक्त होना चाहिए। हालांकि इस दिशा में भी मोदी सरकार कदम बढ़ा चुकी है। मध्यप्रदेश भी मेडिकल-इंजीनियरिंग की पढ़ाई को हिंदी में करवाने की दिशा में आगे बढ़ चुका है। सबसे बड़ी बात जब गुलामी से आजादी की हो रही है, तो गुलाम मानसिकता से खुद को आजाद करना होगा। अपने ही देश में अपनों से ही लूटमारी की आदत से पल्ला झाड़ना होगा। सामाजिक कुरीतियों से मुंह मोड़कर एक उन्नत और प्रगतिवादी सोच से आगे बढ़ना होगा। नफरत की जगह प्रेम और भेदभाव की जगह समभाव जैसी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मन में जगह देनी होगी। भ्रष्टाचार, जात-पात और सभी तरह की राजसी बुराईयों का विसर्जन और ईमानदारी से नए समाज का सृजन करना होगा। सबसे बड़ी बात यही है कि राजतंत्रीय सोच को बदलकर ही वास्तविक तौर पर गुलामी से मुक्त हुआ जा सकता है। और इस उपलब्धि के लिए जन-जन की सहभागिता जरूरी है। तभी कुपोषण, गरीबी, असमानता, अपराध, भ्रष्टाचार, जातिवाद जैसी सैकड़ों बुराईयों से समाज को आजादी दिलाकर कर्तव्य पथ की विचारधारा को स्वीकार्यता दिलाई जा सकेगी। तभी कर्तव्य पथ पर लगी क्रांतिकारी महापुरुष सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति को सेल्यूट किया जा सकता है। तो यही उम्मीद है कि जन-जन राजपथ की विचारधारा से मुक्त हो कर्तव्य पथ की विचारधारा को अंगीकार करेगा।