Affidavit of Center : NGO को विदेशी चंदा लेने का अधिकार नहीं

संशोधित कानून से विदेशी योगदान का ट्रांसफर प्रतिबंधित

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New Delhi : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा पेश किया कि गैर सरकारी संगठनों (NGO) को विदेशी फंडिंग का अधिकार नहीं है। NGO को विदेशी धन के चैन-ट्रांसफर बिजनेस बनाने से रोकने के लिए FCRA (विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम ) प्रावधान बनाए गए हैं। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल हलफनामे में कहा है कि संशोधित कानून केवल भारत में अन्य व्यक्तियों / गैर सरकारी संगठनों (NGO) को मिले विदेशी योगदान के ट्रांसफर को प्रतिबंधित करता है।

NGO को इसका उपयोग उन उद्देश्यों के लिए करना होगा, जिसके लिए उसे पंजीकरण (Registration) का प्रमाण पत्र या सरकार द्वारा पूर्व अनुमति दी गई है। किसी भी विदेशी दानदाताओं से विदेशी योगदान प्राप्त करने में किसी भी NGO के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं किया गया। संसद ने विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम बनाकर देश में कुछ गतिविधियों के लिए विदेशी योगदान पर सख्त नियंत्रण की एक स्पष्ट विधायी नीति निर्धारित की है।
दो याचिकाओं में संशोधनों की वैधता को चुनौती दी गई है। एक याचिका में संशोधनों को सख्ती से लागू करने की मांग की गई। नोएल हार्पर और जीवन ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा दायर याचिकाओं में संशोधनों को यह कहते हुए चुनौती दी है, कि संशोधन ने विदेशी धन के उपयोग में गैर सरकारी संगठनों पर कठोर और अत्यधिक प्रतिबंध लगाए हैं। जबकि, विनय विनायक जोशी द्वारा दायर अन्य याचिका में FCRA की नई शर्तों का पालन करने के लिए MHA द्वारा गैर सरकारी संगठनों को दिए गए समय के विस्तार को चुनौती दी गई।
संसद द्वारा डिजाइन किए गए और कार्यपालिका द्वारा लागू किए गए ढांचे के बाहर किसी भी विदेशी योगदान को प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। FCRA, 2010 के लागू करने के दौरान यह नोट किया गया था कि कुछ गैर सरकारी संगठन मुख्य रूप से केवल विदेशी योगदान के मार्ग में शामिल थे। दूसरे शब्दों में ‘प्राप्त करने’ और ‘उपयोग करने’ के बजाए, जैसा कि अधिनियम का इरादा है, NGO केवल विदेशी योगदान प्राप्त कर रहे थे और इसे अन्य गैर सरकारी संगठनों को ट्रांसफर भी कर रहे थे।
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