

और योग और संगीत से महकाएं जिंदगी…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
योग और संगीत दोनों ही मानव जीवन के लिए अमूल्य हैं। योग और संगीत दोनों ही मानव को सुखी बनाते हैं निरोगी बनाते हैं, सुंदर बनाते हैं और संपूर्णता का भाव भरते हैं। यह गर्व की बात है कि योग और संगीत दोनों की उत्पत्ति वसुधैव कुटुंबकम् का भाव रखने वाले भारत में ही हुई है। योग और संगीत दोनों ही भारत की अमूल्य धरोहर हैं जिन पर पूरी दुनिया का हक है। आज पूरी दुनिया योग कर रही है तो संगीत के बिना किसी भी जीवन की कल्पना भी अधूरी लगती है। आईए हम सब योग और संगीत की कुछ बातें करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घायु बनाता है। 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। भारत के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अन्दर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो किसी प्रस्तावित दिवस को संयुक्त राष्ट्र संघ में पारित करने के लिए सबसे कम समय है। 21 जून 2015 को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। इस अवसर पर 192 देशों और 47 मुस्लिम देशों में योग दिवस का आयोजन किया गया। दिल्ली में एक साथ 35985 लोगों ने योगाभ्यास किया। इसमें 84 देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे। इस अवसर पर भारत ने दो विश्व रिकॉर्ड बनाकर ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में अपना नाम दर्ज करा लिया है। पहला रिकॉर्ड एक जगह पर सबसे अधिक लोगों के एक साथ योग करने का बना, तो दूसरा एक साथ सबसे अधिक देशों के लोगों के योग करने का। योग का उद्देश्य योग के अभ्यास के कई लाभों के बारे में दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाना है। लोगों के स्वास्थ्य पर योग के महत्व और प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 21 जून को योग का अभ्यास किया जाता है। शब्द ‘योग‘ संस्कृत से लिया गया है जिसका अर्थ है जुड़ना या एकजुट होना।
वर्तमान समय में अपनी व्यस्ततम जीवन शैली के कारण लोग संतोष पाने के लिए योग करते हैं। योग से न केवल व्यक्ति का तनाव दूर होता है बल्कि मन और मस्तिष्क को भी शांति मिलती है। योग बहुत ही लाभकारी है। योग न केवल हमारे दिमाग, मस्तिष्क को ही ताकत पहुंचाता है बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है। आज बहुत से लोग मोटापे से परेशान हैं, उनके लिए योग बहुत ही फायदेमंद है। योग के फायदे से आज सब ज्ञात है, जिस वजह से आज योग विदेशों में भी प्रसिद्ध है। अगर आप इसका नियमित अभ्यास करते हैं, तो इससे धीरे-धीरे आपका तनाव भी दूर हो सकता है। योग का लक्ष्य स्वास्थ्य में सुधार से लेकर मोक्ष (आत्मा को परमेश्वर का अनुभव) प्राप्त करने तक है। जैन धर्म, अद्वैत वेदांत के मोनिस्ट संप्रदाय और शैव संप्रदाय के अन्तर में योग का लक्ष्य मोक्ष का रूप लेता है, जो सभी सांसारिक कष्ट एवं जन्म और मृत्यु के चक्र (संसार) से मुक्ति प्राप्त करना है, उस क्षण में परमब्रह्म के साथ समरूपता का एक एहसास है। महाभारत में, योग का लक्ष्य ब्रह्मा के दुनिया में प्रवेश के रूप में वर्णित किया गया है, ब्रह्म के रूप में, अथवा आत्मन को अनुभव करते हुए जो सभी वस्तुओं मे व्याप्त है।
तो विश्व संगीत दिवस भी सम्पूर्ण विश्व में प्रत्येक वर्ष 21 जून को मनाया जाता है। विश्व संगीत दिवस को “फेटे डी ला म्यूजिक” के नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ है “संगीत उत्सव”। विश्व संगीत दिवस कुल 110 देशों में ही मनाया जाता है। विश्व में सदा ही शांति बरकरार रखने के लिए ही फ्रांस में पहली बार 21 जून 1982 में प्रथम विश्व संगीत दिवस मनाया गया था। सुव्यवस्थित ध्वनि, जो रस की सृष्टि करे, संगीत कहलाती है। गायन, वादन व नृत्य तीनों के समावेश को संगीत कहते हैं। संगीत नाम इन तीनों के एक साथ व्यवहार से पड़ा है। गाना, बजाना और नाचना प्रायः इतने पुराने है जितना पुराना आदमी है। बजाने और बाजे की कला आदमी ने कुछ बाद में खोजी-सीखी हो, पर गाने और नाचने का आरंभ तो न केवल हज़ारों बल्कि लाखों वर्ष पहले उसने कर लिया होगा, इसमें कोई संदेह नहीं। गायन मानव के लिए प्राय: उतना ही स्वाभाविक है जितना भाषण। कब से मनुष्य ने गाना प्रारंभ किया, यह बताना उतना ही कठिन है जितना कि कब से उसने बोलना प्रारंभ किया है। परंतु बहुत काल बीत जाने के बाद उसके गायन ने व्यवस्थित रूप धारण किया। संगीत हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। और यह हमारी दैनिक जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। संगीत केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं सुना जाता है। वरन इसके कई सारे फायदे हैं। अब संगीत का प्रयोग वैज्ञानिक अनेक रोगों के उपचार के अंदर भी कर रहे हैं। अनेक वैज्ञानिक रिसर्च ने इस बात को प्रमाणित किया है कि संगीत सुनने से कई सारे मानसिक फायदे होते हैं।
आज कल हर इंसान की जिंदगी दौड़ धूप से भरी रहती है। काम करते करते हम बुरी तरह से थक जाते हैं। जब संगीत सुनते हैं तो हमारा दिमाग रिलेक्स मोड के अंदर आता है। हमारे दिमाग में नई एनर्जी का संचार होता है। व हम अच्छा फील करते हैं। संगीत हमारे मूड को बदल देता है। संगीत दिमाग में कार्टिसोल के स्तर को कम करता है। जिससे दिमाग बेहतर तरीके से काम करता है। काम की वजह से दिमाग की नसें ज्यादा थक जाती हैं। संगीत सुनने से दिमाग को आराम मिलता है जहां पर कई बार दवाएं काम नहीं करती हैं। वहां म्यूजिक थैरेपी काम करती है। स्वर- तरंगें संगीत का रूप लेकर जीवन दायनी सामर्थ्य उत्पन्न करती हैं। कुछ वैज्ञानिक शोध यह बताते हैं कि जब इंसान किसी तरह के दर्द से पीड़ित होता है तो उसे उसका मन पसंद संगीत सुनाया जाना चाहिए। जिससे उसका ध्यान दर्द से हट जाता है। और उसे दर्द का एहसास कम होता है। संगीत सुनने से दिमाग में डोपामाइन का स्तर अधिक होता है। जो खुशी पैदा करता है। अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार संगीत थेरैपी फेफड़ों के लिए काफी अच्छी रहती है। सांस से संबंधित रोगी को संगीत थैरेपी से ईलाज करने से फायदा मिलता है। संगीत सुनने से यादाश्त अच्छी हो जाती है। संगीत सुनने से दिमाग के अंदर एंडोर्फिंस हार्मोन का स्त्राव होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार रोजाना 30 मिनट संगीत सुनने से दिल की क्षमता के अंदर बढ़ोतरी होती है। एक्सरसाइज के साथ संगीत सुनने से दिल की कार्यक्षमता के अंदर इजाफा होता है। अच्छे संगीत सुनने से दिमाग के अंदर चल रहे बेकार के विचारों को विराम मिलता है। और रात के समय दिमाग पूरा खाली हो जाने से अच्छी नींद आती है। आमतौर पर जिन लोगों को नींद नहीं आती उनको सोने से पहले कुछ देर अच्छे गाने सुनने चाहिए।
तो 21 जून 2025 को पूरी दुनिया में 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया और 44वां विश्व संगीत दिवस मनाया गया। देखा जाए तो योग और संगीत दोनों ही एक दूसरे के पर्याय हैं। अगर योग में डूब जाएं तो जिंदगी संगीतमय हो ही जाती है। और संगीत के साथ योग में डूब जाए तो जिंदगी में आनंद ही आनंद बिखर जाता है। तो हम सब मिलकर यही संकल्प लेते हैं कि हम सब अपनी जिंदगी में योग और संगीत की महक को कम नहीं होने देंगे। 21 जून साल में एक बार आएगा लेकिन हम साल के हर दिन को संगीत और योग का अभिन्न हिस्सा बनाते हैं। तब योगमय जिंदगी में संगीत और संगीतमय जिंदगी में योग बिखरा बिखरा सा नजर आने लगेगा… और तब सर्वे भवन्तु सुखिना सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चित दु:ख भागभवेत… श्लोक हमारी जिंदगी में आनंद का सागर बनकर समा जाएगा… और जब यह सागर हिलोरें मारेगा तब योग और संगीत की जुगलबंदी इसमें इठलाती नजर आएगी…।