

Badar Khan Suri Likely to be Deported : अमेरिका में भारतीय रिसर्च स्कॉलर बदर खान सूरी पर ‘हमास’ से संबंध का आरोप!
सूरी को इस आरोप में अमेरिका से निर्वासित किए जाने की संभावना!
Washington : अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के एक भारतीय शोधकर्ता बदर खान सूरी को इमिग्रेशन अधिकारियों ने हिरासत में लिया है। उन पर फिलिस्तीनी संगठन ‘हमास’ से संबंध रखने और सोशल मीडिया पर हमास का प्रचार करने का आरोप है। यह कार्रवाई डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के उस अभियान का हिस्सा है, जिसमें कॉलेज कैंपस में फिलिस्तीन समर्थक कार्यकर्ताओं पर नकेल कसी जा रही है। सूरी को अमेरिका से निर्वासित (डिपोर्ट) किया जा सकता है।
अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की सहायक सचिव ट्रिशिया मैक्लॉफलिन ने कहा कि सूरी के एक आतंकी से करीबी रिश्ते हैं, जो हमास का सीनियर सलाहकार है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि सूरी जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्र थे और हमास का प्रचार कर रहे थे। साथ ही, वे यहूदी-विरोधी बातें फैला रहे थे। मैक्लॉफलिन ने बताया कि 15 मार्च 2025 को विदेश मंत्री ने फैसला लिया कि सूरी की गतिविधियां अमेरिका की विदेश नीति के लिए खतरा हैं, इसलिए उन्हें देश से निकाला जा सकता है।
इस बारे में जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी का बयान
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने कहा कि बदर खान सूरी एक भारतीय नागरिक हैं और स्टूडेंट वीजा पर अमेरिका में पढ़ाई व शोध कर रहे है। उनका शोध इराक और अफगानिस्तान में शांति स्थापना से जुड़ा है। प्रवक्ता ने कहा कि हमें नहीं पता कि उन्होंने कोई गैरकानूनी काम किया है। हमें उनकी हिरासत का कारण भी नहीं बताया गया। हम अपने लोगों के विचार व्यक्त करने के अधिकार का समर्थन करते हैं, भले ही वे विचार मुश्किल या विवादित हों। हम उम्मीद करते हैं कि कानून इस मामले को निष्पक्षता से सुलझाएगा।
क्या कहा सूरी के वकील ने
सूरी के वकील ने कहा कि उसने एक अमेरिकी नागरिक से शादी की हैं। अभी इमिग्रेशन कोर्ट में उनकी सुनवाई की तारीख तय होने का इंतजार है। वकील ने दावा किया कि सूरी का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने कहा कि सूरी को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया जा रहा है, क्योंकि उनकी पत्नी का फिलिस्तीन से संबंध है। यह मामला उस घटना से जुड़ा है, जिसमें कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्र महमूद खलील को 2024 में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों के कारण हिरासत में लिया गया था। यह ट्रंप प्रशासन के तहत ऐसा पहला मामला था।
यह है पूरा मामला?
बदर खान सूरी जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टरल फेलो हैं। वे शांति और संघर्ष से जुड़े मुद्दों पर काम करते हैं। लेकिन, अमेरिकी सरकार का कहना है कि उनकी गतिविधियां देश की नीतियों के खिलाफ हैं। अब लोग इस बात पर नजर रखे हैं कि क्या सूरी को सचमुच भारत भेजा जाएगा या कोर्ट में उनकी बात सुनी जाएगी? यह मामला अमेरिका में अभिव्यक्ति की आजादी और इमिग्रेशन नीतियों को लेकर बहस को तेज कर रहा है।