CBI raid at Ex Governor Satyapal Malik’s Premises: जम्मू-कश्मीर में 30 ठिकानों पर छापे

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CBI raid at Ex Governor Satyapal Malik’s Premises: जम्मू-कश्मीर में 30 ठिकानों पर छापे

म्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के घर सीबीआई ने सर्च की है। कीरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के ठेके के मामले में सीबीआई ने यह ऐक्शन लिया है। एएनआई ने सूत्रों के हवाले से दी जानकारी में बताया है क एजेंसी ने कुल 30 ठिकानों पर छापेमारी की है।

जानकारी के मुताबिक प्रोजेक्ट की ठेकेदारी देने में भ्रष्टाचार का आरोप है और उसकी ही जांच के सिलसिले में सीबीआई की टीम पूर्व राज्यपाल के आवास पर पहुंची थी। सत्यपाल मलिक ने ही इस घोटाले का आरोप लगाया था। इस मामले में सीबीआई ने केस दर्ज किया था।

केस के मुताबिक करीब 2,200 करोड़ रुपये का सिविल वर्क का ठेका इस प्रोजेक्ट के लिए एक निजी कंपनी को 2019 में दिया गया था। आरोप है कि इस ठेके में घोटाला किया गया था। सीबीआई ने इस केस में दिसंबर में भी कई जगहों पर छापेमारी की थी। इन लोगों में कंपनी से जुड़े कंवलजीत सिंह दुग्गल और डीपी सिंह भी शामिल थे, जिन पर छापेमारी की गई थी। सत्यपाल मलिक ने एक इंटरव्यू में आरोप लगाया था कि उन्हें इस प्रोजेक्ट समेत दो फाइलों को मंजूर करने के लिए 200 करोड़ रुपये का ऑफर भी दिया गया था, लेकिन उन्होंने उसे खारिज कर दिया था।

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सत्यपाल मलिक 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे थे। उनका कहना था कि इसी दौरान इस प्रोजेक्ट की फाइल उनके पास आई थी, जिस पर उन्हें मंजूरी के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत का ऑफर मिला था। इस केस में एजेंसी ने चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन नवीन कुमार चौधरी, पूर्व अधिकारियों एम.एस. बाबू, एम.के मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा और पटेल इंजीनियरिंग के खिलाफ केस दर्ज किया है।

क्या है आरोप और कैसे हुई ठेके में खेल की कोशिश

सीबीआई से जुड़े सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने सत्यपाल मलिक के आवास पर इस केस से जुड़ी कुछ चीजों के लिए सर्च किया। इस मामले की जांच सीबीआई अप्रैल, 2022 से ही कर रही है। कीरू प्रोजेक्ट किश्तवाड़ से 42 किलोमीटर की दूरी पर है। 20 अप्रैल, 2022 को जम्मू-कश्मीर सरकार ने सीबीआई से मांग की थी कि वह इस मामले की जांच करे। आरोप है कि इस प्रोजेक्ट के लिए ठेके देने में ई-निविदाएं आमंत्रित न करने का फैसला लिया गया था। आरोप है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि कॉन्ट्रैक्ट देने में घोटाला किया जा सके।

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