Center Opposes Giving Legal Recognition To Gay Marriage: हलफनामा दायर, कल SC में होगी मामले में सुनवाई
केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का विरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर केंद्र ने एक हलफनामा भी दाखिल किया है. केंद्र ने समलैंगिक विवाह को मान्यता मामले में सुप्रीम कोर्ट से कहा कि समलैंगिक संबंध और विषमलैंगिक संबंध अलग-अलग वर्ग हैं.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि समान-लिंग वाले व्यक्तियों द्वारा भागीदारों के रूप में एक साथ रहना, जो अब डिक्रिमिनलाइज किया गया है, उसकी पति-पत्नी और बच्चों की भारतीय परिवार इकाई की अवधारणा के साथ तुलना नहीं की जा सकती है.
कल होगी मामले पर सुनवाई: गौरतलब है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता मामले में कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. इस मामले में दायर याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ सुनवाई करेगी. बता दें, इस मामले में न्यायालय ने कहा था कि केन्द्र की ओर से पेश हो रहे वकील तथा याचिका दायर करने वालों की अधिवक्ता अरुंधति काटजू साथ मिलकर सभी लिखित सूचनाओं, दस्तावेजों और पुराने उदाहरणों को एकत्र करें, जिनके आधार पर सुनवाई आगे बढ़ेगी.
सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने कर लिया था स्थानांतरित: बता दे, उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय समेत देश के सभी उच्च न्यायालयों में समलैंगिक विवाह से जुड़ी लंबित याचिकाओं को एक साथ संबंध करते हुए अपने पास स्थानांतरित कर लिया था. न्यायालय ने कहा था कि केन्द्र की ओर से पेश हो रहे वकील तथा याचिका दायर करने वालों की अधिवक्ता अरुंधति काटजू साथ मिलकर सभी लिखित सूचनाओं, दस्तावेजों और पुराने उदाहरणों को एकत्र करें, जिनके आधार पर सुनवाई आगे बढ़ेगी.
गौरतलब है कि 2018 में आपसी सहमति से किए गए समलैंगिक यौन संबंध को सुप्रीम कोर्ट ने अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाला फैसला सुनाने वाले उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़ भी शामिल थे. न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़ ने पिछले साल नवंबर में केंद्र को इस संबंध में नोटिस जारी किया था और याचिकाओं के संबंध में महाधिवक्ता आर वेंकटरमणी की मदद मांगी थी.
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