Culture of Freebies : मुफ्तखोरी पर नारायण मूर्ति का तीखा प्रहार, सरकार देखे कि 200 यूनिट फ्री बिजली का क्या उपयोग हो रहा!

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Culture of Freebies : मुफ्तखोरी पर नारायण मूर्ति का तीखा प्रहार, सरकार देखे कि 200 यूनिट फ्री बिजली का क्या उपयोग हो रहा!

रोजगार सृजन पर जोर दिया, कहा कि असली बदलाव रोजगार और इनोवेशन के जरिए आएगा!

Mumbai : यहां आयोजित ‘टाईकॉन 2025 सम्मेलन’ में इन्‍फोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने मुफ्तखोरी की संस्कृति पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि नौकरियां पैदा करने पर फोकस करना चाहिए, न कि मुफ्त की चीजें बांटने पर। उन्होंने जोर देकर कहा कि नए बिजनेस शुरू करके गरीबी मिटाई जा सकती है। उन्होंने AI के बढ़ते इस्तेमाल पर भी कटाक्ष किया। इसे पुराने प्रोग्राम को नया रूप देने जैसा बताया। उन्होंने फ्री की बिजली का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार देखे कि इसका क्या उपयोग हुआ।

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नारायण मूर्ति ने ‘टाईकॉन मुंबई 2025’ में कहा कि मुफ्तखोरी से गरीबी नहीं मिटेगी। उन्होंने उद्यमियों से इनोवेशन और रोजगार सृजन पर फोकस करने की अपील की। उनका मानना है कि इनोवेशन से ही गरीबी दूर होगी। उन्होंने AI के अति-प्रचार पर भी निशाना साधा। इन्‍फोसिस के सह-संस्‍थापक ने कहा कि कई AI सॉल्‍यूशन सिर्फ पुराने प्रोग्राम हैं जिन्हें नए नाम से पेश किया जा रहा है। यह आयोजन ऐसे समय में हुआ जब भारत में 80 करोड़ लोग सरकारी सहायता पर निर्भर हैं और मुफ्तखोरी बनाम आर्थिक विकास पर बहस जारी है।

ऐसे तो गरीबी की समस्‍या का समाधान नहीं होगा

मूर्ति ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि आप में से हर कोई हजारों नौकरियां पैदा करेगा और गरीबी की समस्या का समाधान यही है। आप मुफ्त की चीजें देकर गरीबी की समस्या का समाधान नहीं करते। कोई भी देश इसमें सफल नहीं हुआ है। उन्होंने साफ किया कि वह राजनीतिक या प्रशासनिक नजरिये से नहीं बोल रहे हैं, बल्कि नीतिगत सुझाव दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी सहायता के साथ जवाबदेही होनी चाहिए। जो लोग लाभ ले रहे हैं, उन्हें दिखाना होगा कि उनकी स्थिति में सुधार हुआ है।

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उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि अगर 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाती है, तो राज्य छह महीने बाद ऐसे घरों में रैंडम सर्वे कर सकता है कि क्या बच्चे ज्यादा पढ़ाई कर रहे हैं या माता-पिता की बच्चे में रुचि बढ़ी है। मूर्ति का यह बयान ऐसे समय में आया है जब सुप्रीम कोर्ट भी मुफ्तखोरी वाली योजनाओं की व्यवहारिकता पर सवाल उठा रहा है। देश में इस मुद्दे पर व्यापक बहस चल रही है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर मूर्ति ने यह कहा

मूर्ति ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अति-उपयोग पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि कई तथाकथित AI सॉल्‍यूशन सिर्फ ‘बेवकूफ और पुराने प्रोग्राम’ हैं जिन्हें उन्नत तकनीक के रूप में दोबारा ब्रांड किया गया है। उन्होंने कहा कि AI का असली इस्तेमाल समस्याओं को हल करने में होना चाहिए, न कि सिर्फ दिखावे के लिए। उन्होंने युवा उद्यमियों से आग्रह किया कि वे वास्तविक समस्याओं का समाधान खोजें और देश के विकास में योगदान दें। मुफ्त की चीजें बांटने से देश का भला नहीं होगा, बल्कि नौकरियां पैदा करने से होगा।

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मूर्ति ने साफ किया कि उनके सुझाव सिर्फ नीतिगत सिफारिशें हैं। वह किसी राजनीतिक दल या सरकार की आलोचना नहीं कर रहे हैं। उनका मानना है कि अगर सही नीतियां बनाई जाएं तो गरीबी जैसी समस्याओं का समाधान हो सकता है। उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे देश के विकास में अपना योगदान दें।