प्रथा: यहां गायें देती हैं सुअर को मौत

565

छतरपुर से राजेश चौरसिया की रिपोर्ट

छतरपुर: बुंदेलखंड में यह एक अजीब प्रथा है जो कि छतरपुर जिले के एक गांव ग्वालटोली बिलहरी में मनाई जाती है। यह प्रथा यहां के पूर्वज लोग जो प्रथा को विरासत में दे गए हैं, जहां इस प्रथा को समस्त गांव वाले आज भी बनाए हुऐ हैं।

बड़ी दीपावली के सुबह बरार जाति के लोगों से सुअर खरीदते हैं और उसको रस्सियों से बांधकर गांव के बाहर जहां खंजरा का चौतरा बना है उसे उस पर ले जाकर पूजा कर गाय के पास करते हैं जहां गाय उसे सींगो से मारती है और सभी ग्वालबाल, बच्चे, बूढ़े, युवा, उसका आंनद लेते हैं।

WhatsApp Image 2021 11 13 at 9.27.17 AM

यह सब ग्वालबाल (बतौर ट्रेनिंग) इसलिए करते हैं कि जंगल मे गाय चराते समय अगर कोई जानवर ग्वालों पर हमला करता है तो यह गायें उस पर हमला कर देती हैं और चरवाहे अपने मालिक को बचा लेतीं हैं।

पूर्वज बताते हैं कि पहले के समय में गाय इतनी ट्रेंड होतीं थीं कि लंगडिया ढौलक की आवाज आने पर गाय रस्सी-खूंटा उखाड़कर जहां कार्यक्रम होता है अपने आप वहां पहुंच जाती थी। अगर किसी ने जांगले में लोगों पर हमला किया तो सब गायें एक साथ होकर हमला कर उसका बदला लेती थीं और यही कारण है कि इस तरह का प्रशिक्षण/ट्रेनिंग पुराने समय में गाय को दी जाती थी जो आज भी दी जा रही है।