बूढ़े सलमान की घटी कीमत, जवान रानी सुर्खियों में

*परंपरागत रूप से लगने वाले गधों के मेले में दूर दराज से पहुंच रहे सौदागर*

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*बूढ़े सलमान की घटी कीमत, जवान रानी सुर्खियों में*

उज्जैन से सुदर्शन सोनी की रिपोर्ट

उज्जैन । उज्जैन में कार्तिक माह के चलते क्षिप्रा नदी के किनारे पर परंपरागत रूप से लगने वाला कार्तिक का मेला विश्व प्रसिद्ध है । लेकिन इसकी सबसे अलग व बड़ी पहचान गधों के (बाजार) मेले से है। कार्तिक माह में लगने वाले इस गधों के मेले में मध्यप्रदेश ही नहीं पड़ोसी राज्यों से भी जानवरों के व्यापारी अपने गधों, खच्चरों, व घोड़ों को यहां लाकर बोली लगाते हैं। विगत दो वर्षो से कोरोना के कारण कम ही व्यापारी इस परंपरागत मेले में पहुंच रहे थे । लेकिन इस वर्ष यह गधों का मेला अपने शबाब पर है। मध्यप्रदेश के उज्जैन में देवउठनी ग्यारस पर्व से इस मेले की शुरुआत होती है, जो पूर्णिमा तक चलता है। कोरोना प्रतिबंधों को खत्म किए जाने के बाद कार्तिक माह में गधों का यह मेला पूरे शबाब पर रहने की उम्मीद है जानवरों के कई सौदागर दूरदराज से यहा पहुंच रहे है ।

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*इन स्थानों से पहुंच रहे जानवरों के सौदागर*

गधों के सौदागर इस बार सुसनेर, शाजापुर, जीरापुर, भोपाल, मक्सी, सारंगपुर से उज्जैन पहुंचे हैं। गधों के व्यापारी कमल प्रजापत ने बताया कि मेले में मध्य प्रदेश सहित राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश से भी गधों के व्यापारी आते हैं। दूरस्थ क्षेत्रों जिनमे कोटा-इलाहाबाद से अभी तक कई गधे लाए जा चुके हैं। जानवरो एवम सौदागरों के आने का क्रम जारी है इस बार बिकने के लिए ज्यादा संख्या में जानवरो के आने की उम्मीद हैं।

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*5 हजार से 1 लाख तक की पहुंचती है कीमत*

कार्तिक माह में लगने वाले प्रसिद्ध गधों के इस मेले में अच्छी नस्ल के जानवरो की कीमत पर बोली लगाई जाती है जो लाखो तक पहुंचती है । इन जानवरों को आकर्षण देने के लिए इनके नाम चर्चित दिए जाते रहे है । इस वर्ष सलमान, कैटरीना, रानी, रणवीर आदि नाम के जानवर बिकने आए है। विभिन्न क्षेत्रों से आए जानवरो के व्यापारी बढ चढ़ कर इनकी बोली लगाते है । व्यापारी गधों को दांत देखकर खरीदते हैं। जानवरो की खरीदी करने आए व्यापारी ने बताया कि इनके तीन दांत होते हैं। जितनी कम उम्र के जानवर होते हैं, उतनी ज्यादा कीमत पर बिकते है। दांत का साइज भी देखा जाता है। अमूमन गधों की कीमत 5 हजार रुपए से शुरू हो जाती है व इनकी अधिकतम उम्र 4 से 5 साल होती है। इसके बाद यह बूढ़ा हो जाता है। गधों के व्यापारी कमल प्रजापत ने बताया कि इस बार गधों के मेले में रौनक धीरे धीरे बढ़ रही है।

मगर अब कारोबार पहले से काफी कम हो गया है । पहले गधों का इस्तेमाल ट्रांसपोर्टेशन में किया जाता था मगर अब केवल माल ढुलाई के कामों में होता है उसमें भी सबसे ज्यादा बिल्डिंग मटेरियल की ढुलाई के काम में गधों को लिया जाता है, इसके अलावा, ईंट-भट्‌टों में भी इनका इस्तेमाल किया जाता है।