सत्ता के रथ के आगे पथरीले रास्ते के बावजूद नई विजय पताका की उम्मीदें

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सत्ता के रथ के आगे पथरीले रास्ते के बावजूद नई विजय पताका की उम्मीदें

सामान्यतः लोग वर्ष के अंत में घटनाओं का लेखा जोखा करते हैं | मुझे बेहतर लगता है कि आने वाली चुनौतियों और संभावनाओं पर विचार करना चाहिए | इस दृष्टि से 2023 सचमुच भारतीय राजनीति के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेगा , क्योंकि उसमें 2024 के लोक सभा चुनाव का और भविष्य का आधार तय हो जाएगा | दक्षिण , पश्चिम और पूर्वोत्तर के राज्यों की विधान सभा के चुनावों से कुछ हद तक देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों की शक्ति का अनुमान लग सकेगा | वहीँ देश दुनिया की आर्थिक दशा दिशा से समाज में संतोष अथवा आक्रोश की स्थिति स्पष्ट होने लगेगी | सबसे गंभीर समस्या कोरोना महामारी के नए रुप से भारत में बचाव के समुचित प्रयास से नया विश्वास कायम हो सकेगा | दूसरी तरफ जी -20 देशों के संगठन का नेतृत्व करने और भारत में दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली संपन्न देशों के नेताओं की अगवानी से विश्व में भारतीय पहचान का मधुर शंखनाद गूंज सकेगा |

पिछले वर्षों के दौरान केंद्र सरकार कई ऐसी जन कल्‍याणकारी योजनाएं लेकर आई, जिनसे आम लोगों को बेहद लाभ पहुंचा। जन धन योजना, आयुष्‍मान योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना और उज्‍ज्‍वला योजना से करोड़ों लोगों के जीवन में परिवर्तन देखने को मिला। मोदी सरकार की जन धन  योजना की कई अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍थाओं ने भी तारीफ की है। इस योजना के जरिए लाखों गरीब लोगों का बैंक अकाउंट जीरो बैलेंस पर खुलवाया गया है।कोरोना महामारी के दौरान  प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना ने लाखों लोगों का पेट भरा। अब खाद्य सुरक्षा कानून के तहत 2023 तक   5 किलो राशन प्रति व्‍यक्ति हर महीने मुफ्त दिया जा रहा है। योजना का सीधा लाभ 80 करोड़ से अधिक लोगों को पहुंच रहा है। केंद्र सरकार ने कोरोना काल में खाद्य सुरक्षा कानून के तहत शुरू किया गया था। अगर ये योजना शुरू न होती, तो शायद कोरोना महामारी के दौरान जब काम धंधे बंद हो गए थे, तब लोगों को भूखे मरने की स्थिति आ जाती।आयुष्‍मान भारत योजना गरीबों के लिए जीवनदान साबित हो रही है। इसके तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये प्रतिवर्ष फ्री बीमा की सुविधा दी जा रही है। इसी तरह उज्ज्वला योजना में गरीबों को घरेलु गैस  , शौचालय और छोटे घर बनाने के लिए अनुदान ,  करोड़ों छोटे किसानों को 6 हजार का अनुदान और फसल बीमा से गांवों  और शहरों में सामाजिक आर्थिक दशा बदल गई | इससे भविष्य के प्रति अधिक अपेक्षा भी होती जा रही है |

गुजरात विधान सभा के चुनाव परिणाम ऐतिहासिक सफलता का प्रमाण और 2023 में होने वाले विधान सभा चुनावों के मानदंड बन गए हैं | सत्ताइस वर्षों से सत्ता में रही भाजपा को व्यापक जन समर्थन और 156 सीटें मोदी के नेतृत्व और कार्यों के आधार पर ही मिला है | इसलिए मध्य प्रदेश में भी शिवराज – मोदी के लिए न केवल 2023 बल्कि 2024 के लिए चुनौती के बाद भी अधिकाधिक स्थान की अपेक्षा रहेगी | मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान , छत्तीसगढ़ और कर्णाटक  में कांग्रेस से सीधा मुकाबला है | कमलनाथ , दिग्विजय सिंह , अशोक गेहलोत , शरद पवांर जैसे अनुभवी क्षत्रपों को टक्कर देना केवल नरेंद्र मोदी से संभव है | मजेदार बात यह है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में शून्य सी है | पार्टी के नए अध्यक्ष  मल्लिकार्जुन खरगे का उत्तर भारत में कोई प्रभाव नहीं और दक्षिण में भी एक वर्ग मात्र का थोड़ा समर्थन | राहुल गाँधी की पद यात्रा  से स्वयं के अनुभव और छवि बदलने का लाभ , लेकिन रास्तों में जुटाई गई भीड़ को वोट मैं परिवर्तित करने की सम्भावना नहीं दिखाई देती |  हाँ , निरंतर प्रयासों से आने वाले दस वर्षों में संगठन राजनीतिक मोर्चे पर संघर्ष की क्षमता बना सकता है |

यों भारतीय जनता पार्टी को भी नए वर्ष में अध्यक्ष का फैसला करना है | हिमाचल की पराजय के बाद जयप्रकाश नड्डा के कार्यकाल को ही आगे बढ़ाने या नए अध्यक्ष को 2024 की राजनीतिक चुनौती के लिए बागडोर सौंपने के लिए भाजपा संघ की राय और प्रधान मंत्री की पसंद तथा निर्णय जल्द ही सामने आ जाएगा | इसके साथ कुछ राज्यों में भी संगठन की कमजोरियां दूर करने के लिए विचार आवश्यक है | संगठन के बिना केवल सत्ता के प्रभाव से मतदाताओं का विश्वास पाने का युग अब नहीं है | सरकार और संगठन के एकजुट प्रयासों और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाए बिना कोई पार्टी चुनावी सफलता नहीं पा सकती है |

 पूर्वोत्तर राज्यों में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों के पतन के बाद भाजपा ने संघ द्वारा वर्षों से तैयार की जमीन पर अपनी सरकारें बनाने में सफलता पाई है | गठबंधन की राजनीति अब कांग्रेस और प्रतिपक्ष के दलों की मज़बूरी है | नए साल में आम आदमी पार्टी के विस्तार के इरादों की हकीकत सामने आ जाएगी | पंजाब और दिल्ली में सफलता भले ही मिली हो , उत्तर प्रदेश , हिमाचल , गुजरात , गोवा में तो उसकी पराजय संगठन की कमजोरी और दिशाहीनता साबित हुई है | दक्षिण में अब भाजपा कर्नाटक के अलावा आंध्र , तेलंगाना , तमिलनाडु , केरल में पैर फ़ैलाने की तैयारी कर रही है और 2024 में उसकी परीक्षा होगी |

सत्तारुढ़ राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों और सरकारों के लिए आर्थिक चुनौतियां अधिक गंभीर है | महंगाई , बेरोजगारी की समस्या से राहत , शिक्षा – स्वास्थ्य की सुविधाएं जनता का  समर्थन पाने  के लिए आवश्यक है | अर्थ व्यवस्था पर विश्व राजनीति और आर्थिक स्थिति का असर बराबर बना हुआ है और बहुत जल्दी सुधरने के आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं |  फिर भी चीन की दुर्दशा से दुनिया की नजर भारत में पूंजी निवेश और इसके विशाल बाजार पर अनुकूल होती जाना नई आशा जगा रही है | विपक्ष की सारी आलोचनाओं के बावजूद यह स्वीकारना होगा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्षों के दौरान भारत की छवि को मजबूत किया और विकसित देशों के नेताओं का विश्वास अर्जित किया है | यूक्रेन – रुस के युद्ध में भारत की शांति और तटस्थ नीति का प्रभाव कई देशों ने स्वीकारा है | अब जी 20  समूह देशों के अध्यक्ष के नाते 2023 में अनेक गतिविधियां भारत में संपन्न होने से भारत की प्रतिष्ठा और आर्थिक शक्ति बढ़ने की संभावना बनी है | इसका लाभ 2024 के चुनाव में उठाने का प्रयास भाजपा करेगी | संसद का नया भवन नई पीढ़ी , नई दिशा और नई आशा का शुभ संकेत दे रहा है |

 ( लेखक आई टी वी नेटवर्क – इंडिया न्यूज़ और आज समाज के सम्पादकीय निदेशक हैं )

Author profile
ALOK MEHTA
आलोक मेहता

आलोक मेहता एक भारतीय पत्रकार, टीवी प्रसारक और लेखक हैं। 2009 में, उन्हें भारत सरकार से पद्म श्री का नागरिक सम्मान मिला। मेहताजी के काम ने हमेशा सामाजिक कल्याण के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है।

7  सितम्बर 1952  को मध्यप्रदेश के उज्जैन में जन्में आलोक मेहता का पत्रकारिता में सक्रिय रहने का यह पांचवां दशक है। नई दूनिया, हिंदुस्तान समाचार, साप्ताहिक हिंदुस्तान, दिनमान में राजनितिक संवाददाता के रूप में कार्य करने के बाद  वौइस् ऑफ़ जर्मनी, कोलोन में रहे। भारत लौटकर  नवभारत टाइम्स, , दैनिक भास्कर, दैनिक हिंदुस्तान, आउटलुक साप्ताहिक व नै दुनिया में संपादक रहे ।

भारत सरकार के राष्ट्रीय एकता परिषद् के सदस्य, एडिटर गिल्ड ऑफ़ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष व महासचिव, रेडियो तथा टीवी चैनलों पर नियमित कार्यक्रमों का प्रसारण किया। लगभग 40 देशों की यात्रायें, अनेक प्रधानमंत्रियों, राष्ट्राध्यक्षों व नेताओं से भेंटवार्ताएं की ।

प्रमुख पुस्तकों में"Naman Narmada- Obeisance to Narmada [2], Social Reforms In India , कलम के सेनापति [3], "पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा" (2000), [4] Indian Journalism Keeping it clean [5], सफर सुहाना दुनिया का [6], चिड़िया फिर नहीं चहकी (कहानी संग्रह), Bird did not Sing Yet Again (छोटी कहानियों का संग्रह), भारत के राष्ट्रपति (राजेंद्र प्रसाद से प्रतिभा पाटिल तक), नामी चेहरे यादगार मुलाकातें ( Interviews of Prominent personalities), तब और अब, [7] स्मृतियाँ ही स्मृतियाँ (TRAVELOGUES OF INDIA AND EUROPE), [8]चरित्र और चेहरे, आस्था का आँगन, सिंहासन का न्याय, आधुनिक भारत : परम्परा और भविष्य इनकी बहुचर्चित पुस्तकें हैं | उनके पुरस्कारों में पदम श्री, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, पत्रकारिता भूषण पुरस्कार, हल्दीघाटी सम्मान,  राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार, राष्ट्रीय तुलसी पुरस्कार, इंदिरा प्रियदर्शनी पुरस्कार आदि शामिल हैं ।