चिकित्सीय पेशे को शर्मसार करने वाले डॉ. सुनील मंत्री को ड्राइवर की जघन्य हत्या करने पर हुई आजीवन कारावास की सजा एवं जुर्माना

चिकित्सीय पेशे को शर्मसार करने वाले डॉ. सुनील मंत्री को ड्राइवर की जघन्य हत्या करने पर हुई आजीवन कारावास की सजा एवं जुर्माना

जिला ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की विशेष खबर

नर्मदापुरम। नर्मदापुरम में अपने ड्रायवर वीरेन्द्र पचौरी की हत्या करने वाले डॉ. सुनील मंत्री को न्यायालय ने धारा 302, 201, आईपीसी के तहत दोषी माना है। मिली जानकारी के अनुसार डॉ. मंत्री को धारा 302 में आजीवन कारावास और 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है। धारा 201 में 3 वर्ष का कारावास और पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गयी है।

ज्ञात रहे कि डॉक्टर सुनील मंत्री ने अपने ड्राइवर वीरू पचौरी की हत्या कर शव के टुकड़े करके शव के उन टुकड़ों को एसिड से गला दिया था। दुर्गंध आने की शिकायत पर पुलिस मौके पर पहुंची थी और हत्या का खुलासा हुआ था। तब से डॉ. मंत्री जेल में है और न्यायालय में मामला चल रहा था। आज मामले में कोर्ट ने डॉ. को दोषी मानकर सजा सुनाई है।

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जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा एवं अरूण कुमार पठारिया, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी जिला नर्मदापुरम के अनुसार फरियादी लक्ष्मीनारायण ने बताया था कि उसका लड़का वीरेन्द्र उर्फ वीरू पचौरी उसकी पत्नी रानी बाई के साथ जुमेराती होशंगाबाद में रहता था। होशंगाबाद में ही डॉ. सुनील मंत्री के यहां ड्राइवरी करता था। पहले मेरी बहू रानी बाई भी वहीं काम करती थी। 04 फरवरी 19 को शाम करीब 4 बजे मेरी बहू रानी बाई ने फोन करके बताया कि वीरू का फोन नहीं लग रहा है, आपके यहां आये हैं क्या? तब फरियादी ने कहा कि नहीं आया है।

कहा कि कहीं गाड़ी लेकर गया होगा आ जायेगा। 05 फरवरी 19 को रानी बाई ने फिर फोन करके बताया कि अभी भी वीरू नहीं आया है, तब फरियादी, भतीजे पंकज और अभिषेक के साथ करीब 1 बजे डॉक्टर सुनील मंत्री से पूछने उनके घर गये, किंतु डॉक्टर ने उनसे अच्छे से बात नहीं की और बहस करके हमें भगाने लगे। इसी दौरान वहां पर टीआई एवं स्टाफ आ गये। जिन्हें मैंने वीरू के गायब होने के संबंध में बताया और डॉक्टर पर शक जाहिर किया था।

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टीआई ने डॉक्टर सुनील मंत्री के घर में तलाशी की थी तो ऊपर के एक कमरे में रखे नीले रंग के प्लास्टिक के ड्रम में पानी जैसा भरा था। जिसमें से एसिड की बदबू आ रही थी। उसमें मेरे लड़के वीरू का कटा सिर और कटा, पांव, धड़ जैसा दिख रहा था। वहीं बगल में बने बाथरूम में बांया पैर कटे हुये हिस्से तथा 03 आरी और एक लोहा काटने की आरी भी पड़ी दिखी । मैंने ड्रम के पड़े सिर, चेहरे के हिस्से को देखकर वीरू उर्फ वीरेन्द्र को पहचाना। वीरू उर्फ वीरेन्द्र को डॉ. सुनील मंत्री ने किसी बात को लेकर मार डाला था और लाश के टुकड़े गलाने के लिये ड्रम में एसिड डाल दिया था।

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रिपोर्ट पर आरोपी डॉ. सुनील मंत्री का कृत्य अपराध धारा 302, 201 भादवि का पाया जाने पर प्रकरण दर्ज कर विवेचना में लिया। प्रकरण में संपूर्ण विवेचना उपरांत आरोपी डॉ. सुनील मंत्री के विरूद्व अभियोग पत्र अंतर्गत धारा 302,201 भादवि. का प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से 25 गवाहों के कथन कराये गये व प्रकरण संपूर्ण परिस्थितिजन्य साक्ष्य होकर डीएनए रिपोर्ट वैधानिक साक्ष्य के आधार पर दोषी पाया गया। न्यायालय हिमांशु कौशल द्वितीय अपर सेशन न्यायाधीश नर्मदापुरम के समक्ष विचारण में अभियोजन के साक्षियों को परीक्षित कराया गया।

अभियोजन के साक्षियों की साक्ष्य से एवं जिला अभियोजन अधिकारी के द्वारा दिये गये तर्कों से सहमत होकर आरोपी डॉ. सुनील मंत्री को धारा 302, 201 भा.द.वि. में दोषी पाते हुए आजीवन सश्रम कारावास तथा 15,000 रुपए अर्थदंड से दंडित किया गया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा एवं अरूण कुमार पठारिया, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी जिला-नर्मदापुरम द्वारा सशक्त पैरवी की गई।