E-Portal Started After Cyber Attack : साइबर अटैक के बाद निगम का ई-पोर्टल शुरू, पुराना रिकॉर्ड और कई सेवाएं गायब!

अधिकारियों का जोर चालू वित्त वर्ष का टैक्स जमा करने पर ही ज्यादा!   

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E-Portal Started After Cyber Attack : साइबर अटैक के बाद निगम का ई-पोर्टल शुरू, पुराना रिकॉर्ड और कई सेवाएं गायब!

Indore : साइबर अटैक के करीब ढाई महीने बाद अब ई-नगर पालिका का बंद पड़ा पोर्टल अब धीरे-धीरे शुरू हो रहा है। हालांकि, लोगों को अभी अपने पुराने टैक्स की जानकारी इस पोर्टल पर नहीं मिल रही। फिर भी चालू वित्त वर्ष का टैक्स इस पोर्टल पर जमा हो रहा है। निगम अधिकारी भी शहर वासियों के बकाया टैक्स की जानकारी अभी पोर्टल से नहीं जुटा पा रहे हैं। पुराना रिकॉर्ड नहीं मिलने के कारण भवन अनुज्ञा और लाइसेंस आदि के हजारों प्रकरण अटके हैं। नए प्रकरण भी अभी इस पर लोड नहीं हो पा रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार तो निगम को पोर्टल बंद होने के कारण करीब 250 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है।

जानकारी अनुसार दिसंबर में की नगर पालिका पोर्टल पर साइबर अटैक हुआ। तब से ही यह पोर्टल बंद हो गया, लेकिन अब धीरे-धीरे यह सिस्टम पटरी पर आ रहा है। करीब ढाई महीने बाद नए संपत्ति कर खाता खुलना शुरू हुए हैं, साथ ही चालू वित्तीय वर्ष का टैक्स भी जमा हो रहा है। अभी नामांतरण कराने और बिल्डिंग परमिशन लेने वालों को इंतजार करना होगा। क्योंकि, पोर्टल पर पुराना बकाया टैक्स का रिकॉर्ड नहीं मिलने के कारण हजारों की संख्या में भवन निर्माण के लिए प्रकरण अपलोड ही नहीं हो पा रहे हैं। वहीं, सामान्य दिनों में जहां नगर निगम को प्रतिमाह 35 से 40 करोड़ रुपए का राजस्व मिलता था, घटकर 5 से 10 करोड़ रह गया है।

बकायेदारों को नोटिस जारी नहीं 

वित्त वर्ष खत्म होने में अब केवल मार्च माह बाकी है, पोर्टल चालू नहीं होने के कारण नगर निगम अपने बड़े बकायेदारों से भी वसूली नहीं कर पाया है। अब 150 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ है। आउटस्टैंडिंग सूची नहीं निकलने के कारण वित्त वर्ष के अंतिम माह में बकायेदारों को नोटिस जारी नहीं हो पा रहे हैं। निगम अपर आयुक्त अभिलाष मिश्रा ने बताया कि वर्तमान में चालू की वर्ष का टैक्स जमा करवाने पर जोर दिया जा रहा है। जब तक ई-नपा पोर्टल से पुराने बकाया कर की सूची जारी नहीं होती तब तक नोटिस जारी करने निर्देश दिए गए हैं।

टैक्स जमा करने वाले भी परेशान

ई-नगर पालिका पोर्टल से जहां नगर निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है, वही आम नागरिक भी इससे परेशान हैं। संपत्ति के क्रय-विक्रय से पहले जल कर, संपत्ति कर एवं अन्य शुल्क का भुगतान विक्रेता द्वारा किया जाता है, जिससे निगम को भी अच्छा खासा राजस्व पंजीयन कार्यालय प्राप्त होता है, लेकिन वर्तमान में संपत्तियों की टैक्स आउटस्टैंडिंग लिस्ट ईनगर पालिका पोर्टल से नहीं निकलने के कारण यह टैक्स क्लीयरेंस नहीं हो रहा है, जिससे बड़े सौदे अटके हैं।

वहीं 70 दिनों से नगर निगम में मकान, दुकान सहित अन्य संपत्तियों का नामांतरण नहीं होने से लोग परेशान हैं। कई लोग बैंक से कर्ज लेने के लिए संपत्ति कर खातों में नामांतरण करवाना चाहते हैं जो निगम में पोर्टल चालू होने के लिए चक्कर काट रहे हैं। उधर, ऑनलाइन बिल्डिंग परमिशन सिस्टम में जिस भूखंड पर भवन निर्माण के लिए भवन अनुज्ञा का आवेदन किया जाता है, उसके सभी टैक्स भुगतान होने पर ही सिस्टम नक्शा पास करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ता है। फिलहाल नक्शे भी पास नहीं हो पा रहे हैं।