

ED Challan Presented Against Saurabh Sharma : सौरभ शर्मा के खिलाफ ED का चालान पेश, 52 किलो सोने और ₹11 करोड़ कैश का खुलासा!
Bhopal : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भ्रष्टाचार के एक और बड़े मामले में पूर्व आरटीओ कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया। 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकद बरामद होने के बाद, ईडी की चार्जशीट ने कई हैरान कर देने वाले खुलासे किए हैं। सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर के खिलाफ यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के नेटवर्क को उजागर करने में अहम कदम साबित हो सकती है।
ईडी ने अपनी चार्जशीट में कुल 12 आरोपियों के नाम हैं। इनमें सौरभ शर्मा, उसकी मां, पत्नी दिव्या शर्मा, सहयोगी शरद जायसवाल, और चेतन सिंह गौर सहित इनकी फर्में और इनके डायरेक्टर भी शामिल हैं। इस केस में सौरभ की मां भी कोर्ट में मौजूद थीं, हालांकि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। ईडी की जांच में यह बात सामने आई कि सौरभ ने अपने रिश्तेदारों और सहयोगियों के नाम पर करोड़ों की संपत्ति जमा की, जिसे कुर्क करने की कार्रवाई शुरू की जा चुकी है।
52 किलो सोना और 11 करोड़ कैश का खुलासा
ईडी की रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया कि 19 दिसंबर 2024 को आयकर विभाग ने चेतन सिंह गौर की इनोवा कार से 52 किलो सोना और ₹11 करोड़ नकद जब्त किए थे। यह कार भोपाल के मेंडोरी जंगल में परित्यक्त हालत में मिली थी। शुरू में इस संपत्ति का मालिकाना हक अस्पष्ट था, लेकिन ईडी की जांच ने साबित कर दिया कि यह सोना और नकद राशि सौरभ शर्मा का ही था। इस खुलासे ने पूरे मामले को और भी सनसनीखेज बना दिया है।
मामले में लोकायुक्त की नाकामी और ईडी की सक्रियता
सबसे बड़ा सवाल लोकायुक्त की कार्यप्रणाली पर उठ रहा है। लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल के खिलाफ लगभग 60 दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं की। इस कारण उन्हें जमानत मिल गई। इस सुस्ती के कारण लोकायुक्त की आलोचना हो रही थी। इसके विपरीत, ईडी ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए सोमवार को कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी। यह कार्रवाई लोकायुक्त की नाकामी के बाद ईडी द्वारा उठाए गए एक निर्णायक कदम के रूप में देखी जा रही है।
अघोषित प्रॉपर्टी की जब्ती शुरू
ईडी के वकील हरीश मेहता ने कोर्ट में बताया कि चार्जशीट में सौरभ, चेतन और शरद के ठिकानों से मिली अनक्लेम्ड प्रॉपर्टी को राजसात करने की मांग की गई है। अब तक इन तीनों के खिलाफ ₹100.36 करोड़ की संपत्तियां कुर्क की जा चुकी हैं। जांच में यह भी सामने आया कि सौरभ शर्मा ने अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं ज्यादा संपत्ति जमा की और उसे रिश्तेदारों और फर्जी फर्मों के नाम पर छिपाया था। ईडी ने इन संपत्तियों को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत कुर्क किया है।
सौरभ का भ्रष्टाचार साम्राज्य
सौरभ शर्मा ने 2015 में अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति पर आरटीओ में कॉन्स्टेबल के पद पर नौकरी शुरू की थी। 2023 में उसने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर रियल एस्टेट और अन्य कारोबारों में कदम रखा। ईडी का कहना है कि सौरभ ने अपने सरकारी पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार से अकूत संपत्ति बनाई। उसने चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल के साथ मिलकर फर्जी कंपनियों का निर्माण किया और अपने परिवार के नाम पर करोड़ों की संपत्ति जमा की। इस भ्रष्टाचार के साम्राज्य में दुबई में 150 करोड़ की विला और मध्य प्रदेश में एक मछली पालन फार्म जैसी संपत्तियां शामिल हैं।
इस मामले में अब ये होगा
ईडी के चालान पेश किए जाने के बाद अब मामले की कोर्ट में सुनवाई शुरू होगी। सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल पहले लोकायुक्त के मामले में जमानत पर थे। लेकिन, अब ईडी के मामले में उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ईडी ने स्पष्ट कर दिया है कि यह संपत्ति भ्रष्टाचार से अर्जित की गई है और इसे जब्त करने की पूरी तैयारी है।
इस मामले ने प्रदेश में भ्रष्टाचार के गहरे जड़ों को उजागर किया है और राज्य के भ्रष्टाचार विरोधी तंत्र की नाकामी को भी सामने लाया है। ईडी की यह कार्रवाई इस बात का उदाहरण है कि सरकारी पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने में दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है। अब सबकी नजर इस केस के आगामी फैसलों पर है। क्या सौरभ और उसके सहयोगियों को सजा मिलेगी, या मामला और नया मोड़ लेगा? यह भविष्य ही बताएगा, लेकिन एक बात तो साफ है कि ईडी ने इस मामले में बड़ा कदम उठाया है और भ्रष्टाचार की जड़ें उखाड़ने में अपनी भूमिका निभाई।