Injustice to Guest Scholars : अतिथि विद्वानों को सहायक प्रोफेसरों की भर्ती में अपने अनुभव का कोई फायदा नहीं मिला! 

एक साल और 25 साल के अनुभव को एक समान माना गया, सरकार ने पुराने वादे पूरे नहीं किए! 

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Injustice to Guest Scholars : अतिथि विद्वानों को सहायक प्रोफेसरों की भर्ती में अपने अनुभव का कोई फायदा नहीं मिला! 

Bhopal : प्रदेश में चुनाव आने पर सरकार अतिथि विद्वानों के साथ नियमित करने के तमाम बड़े वादे तो कर लिए। लेकिन, सत्ता मिलने के बाद उनकी पीड़ा को भुला दिया। शिवराज सरकार में अतिथि विद्वानों की पंचायत में की गई घोषणाएं अब तक अधूरी है। अब उनको ट्रांसफर से बाहर करने की सरकार की तैयारी है। जबकि, वे शैक्षणिक सत्र 2002-03 से कालखंड से सेवा देते आ रहे हैं।

सहायक प्रोफेसर परीक्षा 2017 में इन्हें 400 अंकों की ऑनलाइन परीक्षा में 5 साल पढ़ाने के बदले केवल 20 अंक दिए गए थे। सन 2022 की 900 अंकों की ऑफलाइन परीक्षा में भी 20 अंक देने का प्रावधान किया गया। सन 2024 की सहायक प्रोफेसर परीक्षा में तो इनको पंचायत में की गई घोषणाओं के अनुसार 25% शैक्षिक आरक्षण दिया गया। यह आरक्षण जिसने एक साल पढ़ाया है, उसे और जिसने 25 साल पढ़ाया है उसके लिए एक समान रखा गया। जिससे 20 से 25 साल अनुभवी अतिथि विद्वानों के जीवन के साथ एक तरह से छल है। अनेक अतिथि विद्वान अधेड़ उम्र हो चुके हैं।

मध्य प्रदेश अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुरजीत सिंह भदौरिया ने बताया कि देश के अनेक भाजपा शासित राज्यों में अतिथि विद्वानों को नियमित करके यूजीसी के अनुसार वेतन और सुविधाएं दी जा रही है। लेकिन, मध्य प्रदेश में 25 साल बाद भी हमें अतिथि बनाकर शोषण किया जा रहा है।

संघर्ष मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शंकरलाल खरवाडिया का भी कहना है कि 50 से 55 साल की उम्र होने पर अतिथि विद्वान कैसे नए अभ्यर्थियों से पीएससी में मुकाबला करेंगे। जब पढ़ने की उम्र थी, तब भर्ती नहीं की गई। पिछली दो भर्तियों में ढाई से पांच प्रतिशत अनुभव के अंक देकर समझा दिया गया। उच्च शिक्षितों का इस तरह से शोषण समाज के लिए एक तरह से अभिशाप है।