

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस:महिलाओं के शैक्षिक सशक्तिकरण से ही देश आत्मनिर्भर!
– प्रो नीलिमा गुप्ता (कुलपति, सागर विश्वविद्यालय)
एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में शिक्षा की अहम भूमिका होती है। शिक्षा न केवल व्यक्तिगत जीवन को समृद्ध करता है, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास में भी सहायक है। आज आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने की तरफ भारत आगे बढ़ रहा है। शिक्षा को आत्मनिर्भरता की नींव कहा जा सकता है। क्योंकि, जब किसी व्यक्ति या समाज को उचित शिक्षा मिलती है, तो वह न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार करता है, बल्कि वह देश के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए आवश्यक है कि देश के नागरिक उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त करें और उसे अपने जीवन में सही ढंग से लागू करें।
आज कौशल विकास के कई अवसर युवाओं के सामने हैं, जिससे वे न केवल रोजगार पा सकते हैं, बल्कि आत्मनिर्भर बनकर देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकते हैं। नई तकनीकों और नवाचारों का ज्ञान प्राप्त कर युवा भारत अपनी एक मजबूत और प्रतिस्पर्धात्मक ताकत बनने की क्षमता रखता है। शिक्षा नागरिकों को अधिकारों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक तो करती ही है, साथ ही स्वास्थ्य, स्वच्छता जैसे महत्त्वपूर्ण आयामों के प्रति भी नागरिक बोध भी कराती है। यह समाज में जाति, वर्ग, जेंडर विभेद को दूर करने का एक माध्यम भी है ताकि सभी नागरिकों को राष्ट्र के प्रति कर्तव्यनिष्ठ होकर सेवा का सामान अवसर उपलब्ध हो सके। स्वावलंबन और नागरिक बोध से युक्त भारत की जनसंख्या न केवल उसकी शक्ति है बल्कि आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने का मार्ग प्रशस्त करती है।
इस महती संकल्पना को साकार में करने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसके लिए महिला शिक्षा के महत्व को समझना जरुरी है। महिला शिक्षा और सशक्तिकरण एक दूसरे से गहरे से जुड़े हैं, क्योंकि शिक्षा ही वह साधन है, जिसके माध्यम से महिलाएं अपने अधिकारों, अवसरों और जिम्मेदारियों को समझ सकती हैं। महिला शिक्षा के द्वारा ही महिलाओं को आत्मनिर्भर, आत्मसम्मानित और सशक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। महिला शिक्षा और सशक्तिकरण की प्रक्रिया केवल महिलाओं के व्यक्तिगत विकास के लिए नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक शिक्षित महिला ही सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकती है, अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार करती कर सकती है तथा पूरे परिवार और समाज को भी प्रगति की दिशा में ले जा सकती है। महिलाओं का शिक्षित होना और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना समाज में समानता की मुख्य कुंजी है।
महिलाएं शिक्षा के माध्यम से न केवल रोजगार प्राप्त करती हैं बल्कि वे अपने परिवार की आर्थिक सुदृढ़ीकरण में योगदान करती हैं। इससे महिलाओं के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है और उनकी आर्थिक रूप से निर्भरता समाप्त होती है। आर्थिक सक्षमता महिलाओं में निर्णय की क्षमता का विकास करती है और यही स्थिति उन्हें समाज में बराबरी का स्थान दिलाने में महत्त्वपूर्ण साबित होती है। अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बोध के साथ महिलाएं घर और बाहर दोनों ही स्थानों पर महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम होती हैं। शिक्षित और आत्मनिर्भर महिलाएं स्वयं और परिवार के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखने में सक्षम होती हैं। वे पोषण, स्वच्छता और देखभाल के महत्व को बेहतर समझती हैं। उनकी यह काबिलियत न केवल उनकी बल्कि पूरे परिवार और समाज की जीवनशैली में सुधार करती है और जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में मदद करती है। समाज में स्वस्थ पीढ़ी का निर्माण तभी संभव है जब उस समाज की महिला सशक्त हो।
महिला सशक्तिकरण के लिए आवश्यक है कि महिलाओं को उनके अधिकारों, अवसरों और विकल्पों में पूरा समर्थन मिले, ताकि वे समाज में आत्मनिर्भर, स्वतंत्र और समृद्ध जीवन जी सकें. यह उनके सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और मानसिक सशक्तिकरण से भी जुड़ा है। यह जरूरी है कि महिलाओं को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में शिक्षा दी जाए, ताकि वे अपने जीवन के निर्णय खुद ले सकें. महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के लिए उन्हें रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। राजनीतिक क्षेत्र में भी महिलाओं की सक्रिय भागीदारी समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जाए, ताकि उनके आत्मविश्वास से उनकी आवाज बुलंद हो और वे नीतियों में परिवर्तन ला सकें।
महिला शिक्षा और सशक्तिकरण के लिए सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर लड़की को शिक्षा प्राप्त करने का समान अवसर मिले, खासकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में इसके लिए विद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार और छात्रवृत्तियां प्रदान करना जरूरी है। समाज को भी यह समझने की आवश्यकता है कि महिलाओं का सशक्तिकरण केवल महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि समग्र समाज के विकास के लिए आवश्यक है। इसलिए समाज को भी अपनी मानसिकता में बदलाव लाने, भेदभाव को समाप्त कर महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करने की पहल करनी चाहिए। महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं की सुरक्षा भी अहम है। सरकार और समाज को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाएं बिना किसी डर के अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकें। इसके लिए भारत सरकार द्वारा प्रभावी कानून और नीतियां भी लाई गई हैं।
महिलाओं को पोषण और स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी देना, उनकी देखभाल भी सशक्तिकरण का एक आवश्यक पहलू है. एक स्वस्थ महिला ही सशक्त बनकर अपने परिवार और समाज का सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकती है. इसके लिए हमें शैक्षणिक संस्थानों में भी छात्राओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देते हुए उन्हें गुणात्मक शिक्षा प्रदान कर समान स्तर पर लाना होगा. महिला शिक्षा के माध्यम से उन्हें समाज और राष्ट्र के विकास में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करना हम सबका कर्तव्य है. अगर हम एक सशक्त, समृद्ध और आत्मिर्भर राष्ट्र चाहते हैं तो हमें महिलाओं को शिक्षा और सशक्तिकरण के सही अवसर प्रदान करने होंगे।