

Women Empowerment : भारत में महिला सुरक्षा- सशक्तीकरण से जुड़ी मौजूदा चुनौतियां पर सम्मेलन आयोजित!
Ratlam : कामन सर्विस सेंटर फॉर वुमन लीडरशिप ने महिला दिवस के अवसर पर “निर्भया कार्यक्रम,” वन स्टॉप सेंटर (OSC) और भारत में महिला सुरक्षा से जुड़ी मौजूदा चुनौतियों पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। इसमें दृश्य वेलफेयर सोसायटी को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। संस्था अध्यक्ष नवोदित बैरागी और रूपेंद्र शक्तावत ने इस अवसर पर महिला सुरक्षा पर अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत किए।
नवोदित बैरागी ने महिला सुरक्षा और सशक्तीकरण हेतु प्रमुख सुझाव:
1. हेल्पलाइन नंबरों की प्रभावशीलता:- 112 और 1090 हेल्पलाइन नंबरों को और अधिक प्रभावी एवं त्वरित बनाया जाए। समाज की प्रत्येक महिला को इन सेवाओं की जानकारी हो, इसके लिए निरंतर जागरूकता अभियान चलाए जाएं!
2. महिलाओं के लिए स्थायी आश्रय स्थल:- देश के प्रत्येक संभाग में स्थायी आश्रय स्थल (शेल्टर होम) स्थापित किए जाएं। इन आश्रय स्थलों में कौशल विकास, व्यक्तित्व विकास और आत्मरक्षा जैसे प्रशिक्षण प्रदान किए जाएं, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें!
3. ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क की स्थापना:- प्रत्येक पुलिस थाने में ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क स्थापित की जाए, जिससे महिलाएं अपनी समस्याओं को सहजता से साझा कर सकें!
यह डेस्क पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय और आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने में सहायक होगी।
4. वन स्टॉप सेंटर (OSC) का सुदृढ़ीकरण:- OSC को केवल औपचारिक रूप से न चलाकर, इसे महिला सुरक्षा की मुख्यधारा में शामिल किया जाए। इन केंद्रों का विस्तार कर प्रमुख सरकारी विभागों और स्थानीय NGOs से जोड़ा जाए, ताकि महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों और अपराधों को प्रभावी ढंग से रोका जा सके!
5. सार्वजनिक परिवहन में महिला सुरक्षा:- सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार, NGOs और यातायात पुलिस के समन्वय से एक मजबूत सुरक्षा तंत्र स्थापित किया जाए। मेट्रो, सिटी बस और ट्रेनों में हेल्पलाइन नंबरों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से यात्रियों को सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी नियमित रूप से दी जाए!
नवोदित बैरागी ने सुझाव दिया कि महिलाएं अपने फोन में 112 ऐप्लिकेशन इंस्टॉल करें, जिससे विकट परिस्थितियों में पुलिस सहायता प्राप्त की जा सके। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि महिलाएं किसी भी प्रकार की छेड़छाड़, उत्पीड़न या अपराध को सहन न करें। ऐसी स्थिति में वे वन स्टॉप सेंटर पर जाकर चिकित्सा, विधिक सहायता, मनोवैज्ञानिक परामर्श, पुलिस-डेस्क, अस्थायी आश्रय और काउंसलिंग जैसी सहायता प्राप्त कर अपने अधिकारों की रक्षा करें और हो रहे शोषण के विरुद्ध आवाज उठाएं।