Law and Constitution ! कानून और संविधान: यही है मूल कर्तव्यों के पालन का सबसे सही समय!

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Law and Constitution ! कानून और संविधान

हम अकसर अपने मौलिक अधिकारों की बात करते हैं, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि संविधान में अधिकारों के साथ कर्तव्यों का भी उल्लेख है। अपने अधिकारों के साथ-साथ प्रत्येक नागरिक का यह दायित्व भी है कि हम अपने कर्तव्यों का भी पालन करें।

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इस संकट की घड़ी में हमें अनुच्छेद 51-क में वर्णित अपने मूल कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। भारत के संविधान के इस अनुच्छेद में भारत के नागरिकों पर मूल कर्तव्यों की भी व्याख्या की है। संविधान के अनुसार भारतीय नागरिकों का कर्तव्य होगा कि वह भारतीय संविधान का पालन करे और उनके आदर्शों, संस्थानों, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें।

स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें तथा उनका पालन करें। भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण रखे। देश की रक्षा करें और आवाहन किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें। भारत में लोग केवल अधिकारों पर जोर देते हैं, कर्तव्यों पर नहीं। भारत में नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वह वैज्ञानिक और मानवतावादी दृष्टिकोण को विकसित करें।

भारतीय संविधान अपने नागरिकों से यह भी अपेक्षा करता है कि सभी लोगों में समरसता और समान भाईचारे की भावना निर्माण करें जो धर्म, प्रदेश अथवा किसी वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो। ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हों। हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसको कसौटी पर परखें। प्राकृतिक पर्यावरण व वन्य जीवों की रक्षा करें और प्राणी मात्र के लिए दया भाव रखे।

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भारतीय संविधान कर्तव्यों की व्याख्या करते हुए यह भी कहता है कि हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवता, ज्ञान प्राप्ति और सुधार की भावना को विकसित करना चाहिए। हमारा यह भी कर्तव्य है कि सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें तथा हिंसा से दूर रहे। हमारी व्यक्तिगत तथा सामूहिक गतिविधियों में यह प्रयास होना चाहिए कि हम जिन क्षेत्र में है उसमें प्रगति करे जिससे राष्ट्र प्रगति कर सकें। साथ ही बच्चों को शिक्षा के अवसर की बात भी इसमें कहीं गई है।

आज यह अवसर है कि हम अपने कर्तव्यों पर निरंतर चिंतन और मनन करें। हमें नागरिकों के इन मौलिक कर्तव्यों को अपने जीवन में उतारना चाहिए। आज जब देश के विभिन्न भागों में हिंसा और इस संकट से लड़ने वाले चिकित्सकों, नर्सों एवं अन्य सेवाकर्मियों के साथ हिंसा की घटना के समाचार आते हैं तो हमारे सामने यह प्रष्न उपस्थित होता है कि क्या हम अपने मूल कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं।

निष्चित ही इन अपराधों में लिप्त ये लोग नहीं जानते हैं कि वे कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं। सेवा करने वालों के साथ हिंसा की जितनी भी निंदा की जाए कम है। हम आशा ही कर सकते हैं कि भगवान उन्हें सद्बुद्धि देगा। विश्वास है कि इस प्रकार की घटनाओं में कमी आएगी।

यह समय देश की रक्षा करने और राष्ट्र की सेवा का भी है। देश की रक्षा उसके नागरिकों की रक्षा ही है। हम स्वयं एवं परिवार को मास्क पहनाकर तथा एक सामाजिक दूरी बनाकर राष्ट्र की सेवा ही कर रहे हैं। प्रधानमंत्री का आह्वान भी यही है।

हम इस प्रकार न केवल स्वयं की रक्षा करेंगें, वरन अपने परिवार, स्नेहीजनों एवं आस-पास के लोगों की रक्षा ही करेगें। साथ ही इन सावधानियों से देश में मरीजों की संख्या बढ़ने से रोकने में मदद भी करेगें। हमें बीमारी से बचाव व होने पर उसके लिए जो नियम बनाए गए हैं उनका कठोरता से पालन करना चाहिए।

इस दौरान हमें प्राणी मात्र पर दया का भाव रखना चाहिए। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे आस-पास रहने वाला कोई भी प्राणी भूखा न रहे। इसके लिए अतिरिक्त भोजन बनाकर उनसे सामाजिक दूरी बनाकर भी उन्हें प्रदान किया जा सकता है। इनमें हमारे आस-पास गलियों में घूमने वाले मूक प्राणी, जीव, इंसान आदि सभी सम्मिलित हैं।

हमें इस दौरान व्हाटस-अप आदि का उपयोग सावधानी से करना चाहिए। इन दिनों व्हाटस-अप आदि संचार माध्यमों पर भड़काने वाले एवं गुमराह करने वाले व्हाटस-अप संदेशों एवं चित्रों की बाढ़ आई हुई है। हमें इनसे बचकर तथा इसका प्रसार-प्रचार को रोककर देश की प्रभुता, एकता, अखंडता तथा सभी लोगों में समरसता और आपसी भाईचारे की रक्षा करनी होगी।

इसके साथ ही हमें इस बीमारी के संबंध में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना होगा। हमारे देश में सलाह देने, टोटके बताने वाले, तंत्र-मंत्र, धार्मिक-पूजा, हवन अथवा दवाइयां बताने वाले असंख्य सलाहकार हैं जो फोन, व्यक्तिगत अथवा संचार माध्यमों पर उपलब्ध हैं। हमें इससे भी बचना है।

अधिकृत वैज्ञानिक आधार पर जो चिकित्सकीय सलाह हमें प्राप्त हों, उसी पर ही हमें विचार कर अमल में लाना चाहिए। हमें अंध-विश्वास, जादू-टोने, पूजा, तंत्र-मंत्र अथवा हवन आदि से बचना होगा जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
आज हमारे ऊपर यह नैतिक कर्तव्य है कि हम भारतीय संविधान में वर्णित मूल कर्तव्यों का पालन कर अपने अच्छे नागरिक होने का आदर्श प्रस्तुत करें।

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यदि हमने ऐसा नहीं किया तो हमारे यहां इस बीमारी से पीड़ित नागरिकों की संख्या में वृद्धि होगी तथा मृत्यु की दर भी अधिक होगी। डराने वाली कोविड -19 के मरीजों की इस बाढ़ को रोकने का एक मात्र रास्ता यही है कि हम अपने मूल नागरिक कर्तव्यों का पालन करें। इसके बाद ही हम अपने मौलिक अधिकारों तथा सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा की मांग करने के अधिकारी होगें।

आज एक ही मंत्र है जहां है वहीं रहे तथा सुरक्षित रहने हेतु चिकित्सकीय नियमों का पालन करें। भारतीय संविधान में यद्यपि मूल कर्तव्यों को मूल अधिकारों की भांति प्रवर्तनीय नहीं बनाए गए है लेकिन संविधान में कर्तव्यों के पहले मूलभूत शब्द का प्रयोग किया गया है। इस कारण हमारा यह नैतिक दायित्व है कि हम संविधान में उल्लिखित मूल कर्तव्यों का पालन कर अपने अच्छे नागरिक होने का परिचय दें।

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विनय झैलावत

लेखक : पूर्व असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एवं इंदौर हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं