Malwa So Hot : इस साल मालवा इतना क्यों गरमाया, ये हैं उसके कारण!

नरवाई का जलाया जाना भी तीन प्रमुख कारणों में शामिल

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Malwa So Hot

Malwa So Hot : इस साल मालवा इतना क्यों गरमाया, ये हैं उसके कारण!

नरवाई का जलाया जाना भी तीन प्रमुख कारणों में शामिल

Indore : पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा (Malwa So Hot) इलाके को अमूमन ठंडा क्षेत्र इलाका माना जाता रहा है।

कहा जाता रहा कि दिन कितना भी गर्म हो, मालवा की रातें ठंडी रहती है। लेकिन, इस साल सारे मिथक टूट गए। डेढ़ महीने से मालवा बुरी तरह तप रहा है।

निमाड़ की तरह मालवा का तापमान भी इस बार 42 का आंकड़ा कूदकर 45 तक पहुंच गया! जबकि, गर्मी के मुख्य दौर नौतपा के ल 9 दिन 25 मई से शुरू होने वाले हैं।

गर्मियों में बढ़ता पारा गर्म लू का कारण बढ़ रहा है। रतलाम, मंदसौर और नीमच में बढ़ी गर्मी ने सात साल पुराना रेकॉर्ड तोड़ दिया।

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रतलाम में 5 साल पहले के हालातों का सामना करना पड़ रहा है। उज्जैन में भी गर्मी चरम पर है। शाजापुर और देवास जिलों में भी तापमान का आंकड़ा नया रिकॉर्ड बना रहा है।

मौसम के जानकारों के मुताबिक मौसम में बदलाव, गर्म गैसों का प्रतिशत बढऩा और नरवाई जलाने व वाहनों से फैलते प्रदूषण के कारण मालवा की धरती ज्यादा तप रही है।

मालवा (Malwa So Hot) में गर्मी बढ़ने के तीन कारण

उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी की पर्यावरण प्रबंधन कार्यशाला और मौसम केंद्र की टीमों ने इस साल बढ़ती गर्मी पर रिपोर्ट जारी की।

इस रिपोर्ट ने उज्जैन संभाग में घटते वन क्षेत्र, वाहनों के कारण प्रदूषण में बढ़ोतरी और पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 व पीएम 10 को भी तापमान में बढ़ोतरी का अहम कारण बताया है।

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आंचलिक अनुसंधान केन्द्र कालूखेड़ा रतलाम की एक रिसर्च में भी तापमान में होते बदलाव को लेकर नरवाई जलाने और भूमि सुधार में रसायनों के अधिक उपयोग को प्रमुख कारण बताया गया है।

वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ सुधाशु मित्तल ने बताया कि शहरों में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, प्री-मानसून और पोस्ट मानसून के कारण जलवायु बदलाव के हालात का सामना करना पड़ रहा है।

शिप्रा से शिवना संगम तक गर्मी

मालवा (Malwa So Hot) में प्रदेश की 5 छोटी-बड़ी नदियां बहती हैं। पहले इसकी शीतलता का प्रभाव हवाओं पर भी होता था। लेकिन, अब ज्यादातर नदियां मार झेल रही है।

पर्यावरण सुधार नहीं होने से उज्जैन की शिप्रा नदी से लेकर मंदसौर में शिवना नदी के संगम तक नदियां पोखर में बदल गई।

पहले वर्षभर बहाव के कारण भूमिगत जलस्तर ठीक रहता था और इससे वातावरण में भी नमी के कारण हवाओं में ठंडक थी, लेकिन कुछ वर्षो में अब सबकुछ बदल सा गया है।

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मौसम व जलवायु विशेषज्ञ डॉ देवेन्द्र मोहन कुमावत का कहना है कि इन हालात के लिए मानव ज्यादा जिम्मेदार है। लगातार बढ़ते तापमान का कारण हाइड्रोकार्बन का पृथ्वी से परावर्तित विकिरणों को बाहर जाने से रोकना है।

तापमान में बढ़ोतरी के कारण मिट्टी कार्बन अवशोषित करने के बजाय छोडऩे लगी है। तापमान में बढ़ोतरी का असर मिट्टी में मौजूद कार्बन भंडार खत्म होने पर होगा और जलवायु पर प्रभाव पड़ेगा।

इससे ही तापमान में बढ़ोतरी होती है। साथ ही प्रदूषण भी अहम कारण है, हमें ओजोन परत को बचाने के साथ ही पार्टिकुलेट मैटर जैसे पीएम 2.5 व पीएम 10 को भी नियंत्रित करना पड़ेगा।

उज्जैन की शासकीय जीवाजी वैधशाला के अधीक्षक आरपी गुप्त के मुताबिक भीषण गर्मी और लू एंटी-साइक्लोन पर भी निर्भर है!

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जब सतह पर हवा का दबाव अधिक होता तो इससे ऊपर की हवा नीचे आ जाती है।

अधिक दबाव के कारण नीचे आने पर यह हवा गर्म हो जाती और गर्म हवाओं का असर लू के रूप में होता है। मई के शुरुआती दिनों में लू का ज्यादा प्रभाव रहा है, 1 से 15 मई के बीच कई शहरों में तापमान सर्वाधिक दर्ज किया गया।