Meaning of Marriage is Changing : हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन हो, इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी

केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय और कानून आयोग से इस मामले पर विचार करने को कहा! 

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Meaning of Marriage is Changing : हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन हो, इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी

Prayagraj : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन पर जोर दिया है। तलाक के मामलों पर इस प्रकार की जरूरत बताई गई है। हाई कोर्ट ने कहा है कि रिश्तों की वर्तमान गतिशीलता को देखते हुए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक के लिए आधार में संशोधन की आवश्यकता है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जोर देते हुए कहा है कि विवाह के बाद रिश्तों में आने वाली दरार और जोड़े के बीच की स्थिति को तलाक का आधार बनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने पिछले साल एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से की गई टिप्पणियों के आधार पर केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय और कानून आयोग से इस मामले पर विचार करने को कहा है।

हाई कोर्ट ने एक डॉक्टर की तलाक की याचिका को स्वीकार करने के बाद इस संबंध में बड़ी बात कही। एक डॉक्टर ने मुरादाबाद फैमिली कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। डॉक्टर की अपील को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इससे पहले मुरादाबाद फैमिली कोर्ट ने डॉक्टर की तलाक की याचिका को खारिज कर दिया था। इस अपील को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला और जस्टिस डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि जब 1955 में हिंदू विवाह अधिनियम लागू किया गया था, तो इससे भावनाएं और सम्मान जुड़ा हुए थे। वैवाहिक रिश्ते अलग थे।

कोर्ट ने कहा कि अब जिस तरह से शादियां हो रही हैं, वह उन दिनों अनसुना था। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इस प्रकार के रिश्तों में आए बदलावों का कारण शिक्षा, वित्तीय स्वतंत्रता, जाति बाधाओं को तोड़ना, आधुनिकीकरण और पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव बताया है। इसको देखते हुए हिंदू विवाह में अधिनियम में संशोधन की वकालत की।

 

डॉक्टर ने दायर की थी याचिका

मुरादाबाद फैमिली कोर्ट ने डॉक्टर अपीलकर्ता ने तलाक की याचिका दायर की थी। 30 वर्षों तक सेना में रहकर देश की सेवा करने वाले अपीलकर्ता ने पत्नी के छोड़ने और क्रूरता को आधार बनाकर तलाक की मांग की। अपीलकर्ता की पत्नी भी डॉक्टर है। उनकी शादी वर्ष 2007 में हुई थी। वर्ष 2015 में पत्नी ने अपीलकर्ता के साथ रहना छोड़ दिया था। करीब 6 साल बाद वर्ष 2021 में डॉक्टर ने तलाक की याचिका दायर की।

मुरादाबाद कोर्ट ने डॉक्टर की तलाक की याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद डॉक्टर ने हाई कोर्ट में अपील की। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि पत्नी, पति से दूर रह रही है। इससे पता चलता है कि उसे शादी जारी रखने में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसलिए तलाक दिया जा सकता है।