New CJI is now Under Security : नए चीफ जस्टिस को अब 10 किमी मॉर्निंग वॉक की आजादी नहीं रही!

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New CJI is now Under Security : नए चीफ जस्टिस को अब 10 किमी मॉर्निंग वॉक की आजादी नहीं रही!

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने के बाद उन्हें प्रोटोकॉल में ही रहना होगा!

New Delhi : देश के नए चीफ जस्टिस बनने जा रहे जस्टिस खन्ना अभी तक रोज 10 किलोमीटर मॉर्निंग वॉक करते थे। पर अब वो बंद हो गई। उनके देश के अगले सीजेआई बनने की घोषणा के साथ ही अब वे प्रोटोकॉल के दायरे में आने के लिए बाध्य हो गए। इस प्रोटोकॉल का सीधा असर उनके मॉर्निंग वॉक पर भी पड़ा है। वे 10 किमी घूम तो सकते हैं, पर सुरक्षा घेरे में।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर को देश के 51 वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ लेंगे। वे डीवाई चंद्रचूड़ की जगह लेने जा रहे हैं। जस्टिस संजीव खन्ना दिल्ली में ही पैदा हुए, यहीं पले-बढ़े भी हैं। सीजेआई की कुर्सी संभालने के साथ इसका असर उनके नियमित दिनचर्या पर भी पड़ना लगभग तय है।

सीजेआई बनने के बाद वे पहले की तरफ अपनी मर्जी से किसी भी समय, कहीं शायद अब नहीं जा सकेंगे। उनके नाम की घोषणा के साथ ही उन्हें सुरक्षा नियम मानने के लिए बाध्य होने पड़ा। इस प्रोटोकॉल का असर उनके मॉर्निंग वॉक पर सबसे ज्यादा पड़ा। सीजेआई नियुक्ति का नोटिफिकेशन आने के बाद उनको घर से बाहर मॉर्निंग वॉक बंद करना पड़ी।

अकेले ही निकलते थे घूमने

सड़कों पर खुद कार चलाते अपने स्कूल-कॉलेज के दोस्तों के घर कभी भी पहुंच जाना उनकी आदत रही है। दिल्ली की सड़कें उनके लिए अनजान भी नहीं हैं। वे हमेशा ही अकेले मॉर्निंग वॉक पर निकलते रहे हैं। ज्यादातर समय लोधी गार्डन में घूमते और 10 किलोमीटर की वॉक करते थे। उनका हमेशा ही ये मानना रहा कि उनको कौन जानता है!

अकेले कहीं न जाने की सलाह दी गई

नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद उनको सलाह दी गई कि वे अकेले न जाएं, बल्कि सुरक्षाकर्मी के साथ जाएं। लेकिन, जस्टिस खन्ना ने तय किया कि वो पीएसओ के साथ मॉर्निंग वॉक करने नहीं जाएंगे। दिल्ली के बाराखंभा रोड स्थित मॉडर्न स्कूल के बाद सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक और फिर डीयू के कैंपस लॉ सेंटर से लॉ की डिग्री लेने वाले जस्टिस संजीव खन्ना दिल्ली के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं।

आज भी अपने स्कूल, कॉलेज और सीएलसी के दोस्तों के संपर्क में हैं। यहां तक कि वे खुद निजी कार चलाते हुए छुट्टी के दिन अपने दोस्तों से मिलने चले जाते हैं। हमेशा कहते हैं कि मुझे कौन पहचानता है। उनके दोस्त कहते हैं कि जस्टिस खन्ना आज तक ऐसे ही हैं.जरा भी नहीं बदले वो सीधे, सरल, शांत और पब्लिसिटी से दूर रहना पसंद करते हैं।

पब्लिसिटी से दूर रहने वाले शख्स

उनका पब्लिसिटी से दूर रहने का एक उदाहरण ये भी है कि मई में लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग के दौरान तमाम मीडिया कैमरे दिल्ली के निर्माण भवन केंद्र पर जस्टिस संजीव खन्ना का इंतजार कर रहे थे। लेकिन, वे अपनी निजी कार खुद चलाते हुए वोटिंग सेंटर पर गए और वोट डालकर चले आए और कोई उन्हें पहचान भी नहीं पाया। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा। उन्हें सुरक्षा घेरे में रहना ही होगा।