व्यंग्य और हास्य केवल गुदगुदाने के लिए नहीं अपितु व्यवस्था को बदलने के लिए हो : डॉक्टर चांदनी वाला!

वर्ष में एक बार हास्य और व्यंग्य सम्मेलन होना जरूरी : डॉ प्रदीप सिंह राव! आज के दौर में कवियों का स्तर काका हाथरसी व मुरादाबादी जैसा नहीं है : ओम प्रकाश मिश्रा!

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व्यंग्य और हास्य केवल गुदगुदाने के लिए नहीं अपितु व्यवस्था को बदलने के लिए हो : डॉक्टर चांदनी वाला!

Ratlam : हास्य विनोद और व्यंग्य केवल मनुष्य के गुदगुदाने हंसने-हंसाने का विषय नहीं हैं। अपितु व्यवस्था की नाकामियों को उजागर करते हुए व्यवस्था परिवर्तन का संदेश हैं। कवियों की दहाड़ मंच लूटने की नहीं अपितु सत्ता के मध में चूर मठाधीशों के लिए ललकार हैं। शब्दों की हुंकार हंसाती भी हैं और रुलाती भी हैं। रचनाकार व्यंग्यकार हमेशा अपनी कलम से समाज को बदलने की पहल करते हैं। उनका काव्य और रचनाएं हमेशा सत्य घटनाओं से प्रेरित होता हैं।

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उक्त विचार शिक्षक सांस्कृतिक संगठन मंच द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह में उपस्थित शहर के हास्य व्यंग कवियों एवं बुद्धिजीवियों को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार शिक्षाविद डॉक्टर मुरलीधर चांदनी वाला ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि रतलाम शहर साहित्य बुद्धिजीवियों की जननी स्थल रहा हैं। अनेकों कवि देश के अनेक राष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित हुए हैं यह हमारे लिए गौरव की बात हैं। आज के दौर में भी यहां के युवा हास्य कवि अपनी रचनाओं से लोगों का दिल जीत रहें हैं।

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कार्यक्रम के विशिष्ट मेहमान इतिहासविद डॉक्टर प्रदीप सिंह राव ने कहा कि रतलाम में होने वाला गोलमाल सम्मेलन किसी दौर में राष्ट्रीय पहचान बनाने में सफल रहा था। गोलमाल सम्मेलन की याद को ताजा करते हुए राव ने बताया कि व्यवस्था के प्रति उद्घोष किसी बड़े मंच से होना परिवर्तन की आहट का संदेश होता है। शहर वासियों ने हास्य व्यंग्य को हमेशा सर आंखों पर बिठाया हैं। यहां के सुधी श्रोतागण हास्य और काव्य प्रेमी होता हैं।जिन्होंने कई कवियों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई हैं। शिक्षक सांस्कृतिक मंच अपने उद्देश्य को सार्थकता प्रदान कर रहा हैं। कला साहित्य को समर्पित इस संगठन की गतिविधियां हम सबके लिए प्रेरक हैं।

 

प्रसिद्ध रंगकर्मी शिक्षाविद् ओमप्रकाश मिश्रा ने कहा कि हास्य और व्यंग्य का स्तर दिनों दिन गिरता जा रहा हैं। अश्लीलता, फुहड़ता कवियों की मानसिकता पर हावी होती जा रही हैं जो हमारे सभ्य समाज में अस्वीकार्य हैं। पुराने दौर के कर्मियों की कमी खल रही हैं। आज भी उनकी कालजयी रचनाएं हमें गुदगुदाती और प्रेरणा देती हैं।आरंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सरस्वती वंदना आरती त्रिवेदी ने व्यक्त की। स्वागत भाषण अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने देते हुए कहा कि संस्था प्रतिवर्ष नगर की हास्य व्यंग्य प्रतिभाओं को मंच देने के लिए इस गोष्ठी का आयोजन करती है और नगर की पहचान रहें। स्वर्गीय पीरुलाल बादल की स्मृति में कवियों का सम्मान करती हैं।

 

दिनेश बारोट, प्रकाश हेमावत, कैलाश वशिष्ठ, श्याम सुंदर भाटी, राधेश्याम तोगड़े, कमलसिंह सोलंकी, मुकेश सोनी आदि ने अपनी कविताओं का पाठकर उपस्थित श्रोताओं को खूब गुदगुदाया और हंसाया। अतिथियों का स्वागत डॉ. सुलोचना शर्मा, गोपाल जोशी, दिलीप वर्मा, कृष्णचंद्र ठाकुर, नरेंद्रसिंह राठौड़, रमेश उपाध्याय, दशरथ जोशी, रमेश परमार, भारती उपाध्याय, वीणा छाजेड़, प्रतिभा चांदनीवाला, विनीता पटेल, कविता सक्सेना, रक्षा के. कुमार, अनिल जोशी, अनीता उपाध्याय, देवेंद्र सिंह वाघेला आदि ने टेपा टोपी पहनाकर राठौर और हेमावत का सम्मान किया।

 

संस्था के पूर्व अध्यक्ष शिक्षक नरेंद्र सिंह राठौर की 40 वर्ष सेवा समाप्ति पर उपस्थित अतिथियों ने शाल-श्रीफल अभिनंदन पत्र देकर सम्मान किया। अभिनंदन पत्र का वाचन रक्षा के.कुमार ने किया। इसी प्रकार नगर के प्रतिभाशाली कवि प्रकाश हेमावत को अपनी रचनाओं लेखन आदि के लिए संस्था द्वारा स्वर्गीय पीरुलाल बादल सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉक्टर सुभाष कुमावत, महेश व्यास, मंजू वर्मा सहित अनेक श्रोतागण उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन दिनेश बारोट तथा आभार दशरथ जोशी ने माना!