अंचल की विशिष्ट उपज अफ़ीम की चिराई – लुनाई का श्रीगणेश

कालिका माता पूजन के साथ काश्तकार हुए व्यस्त संसदीय क्षेत्र के 42 हजार किसान हैं पट्टेदार

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अंचल की विशिष्ट उपज अफ़ीम की चिराई – लुनाई का श्रीगणेश

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की ख़ास ख़बर

मंदसौर । मालवा – मेवाड़ अंचल की विशिष्ट पैदावार अफ़ीम को संकलित और संग्रहित करने की प्रक्रिया परम्परागत रूप से आरंभ होगई है । विगत दिनों खेतों की मुंडेर पर विधिपूर्वक किसानों महिलाओं ने माता कालिका पूजन कर अफ़ीम डोडो की चिराई – लुनाई का श्रीगणेश किया ।

मंदसौर जिले में लगभग 18 हजार लायसेंस शुदा अफ़ीम काश्तकार हैं जिनमें 4800 किसानों ने सीपीएस पद्धति से अफ़ीम नारकोटिक्स विभाग को देना तय किया है शेष 13 हजार किसानों परम्परागत खेती से अफ़ीम लेंगे । नीमच मंदसौर जिले सहित 42 हजार से अधिक कृषकों द्वारा अफ़ीम पट्टे लिए है ।

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वर्ष 2022 – 23 की नई अफ़ीम नीति के अनुसार जहां अफ़ीम के लाइसेंस बढ़े है वहीं लगभग 1300 हेक्टेयर रकबा भी बढ़ा है । इस साल लगभग 4200 हेक्टेयर से अधिक रकबे में अफ़ीम काश्त की जारही है ।

मंदसौर – नीमच के अतिरिक्त जावरा रतलाम , उज्जैन के कुछ क्षेत्रों एवं राजस्थान के चित्तौड़गढ़ , प्रतापगढ़ , झालावाड़ , कोटा , उदयपुर , बूंदी , भीलवाड़ा आदि इलाकों में भी नारकोटिक्स विभाग की निगरानी में अफ़ीम पैदावार ली जारही है ।

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ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों द्वारा प्रातः और सायंकाल सत्र में अफ़ीम डोडो की चिराई कर अफ़ीम दूध एकत्र कर लुनाई कर संग्रहण किया जाने लगा है । प्रतिदिन संग्रहण का रिकॉर्ड भी रखते हैं , निर्धारित रकबे में प्राप्त अफ़ीम विभाग को तुलाई कर सौंपी जाएगी तबतक अफ़ीम की सुरक्षा किसानों द्वारा करना होगी ।

कृषकों के अनुसार अफ़ीम की खेती बड़ी साल – सम्हाल की है इसकी सुरक्षा भी बहुत अहम है । बागड़ जाली लगाने और पशुओं नीलगाय चोरी से बचाने में भी बड़ी मशक्कत है । इस बार शीत लहर और ओलावृष्टि होने से कुछ इलाकों में पौधे आड़े होगये उसका प्रभाव पड़ सकता है ।

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चिराई – लुनाई का कार्य फ़रवरी माह अंत तक पूरे जोर पर चलेगा ।
प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री कैलाश चावला ने भी मनासा क्षेत्र में एक खेत पर पहुंच कर डोडा चिराई में हाथ बंटाए । सांसद सुधीर गुप्ता ,मंदसौर विधायक यशपालसिंह सिसौदिया , जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती दुर्गा विजय पाटीदार भी अफ़ीम खेतों तक पहुंच कर काश्तकारों से संवाद किया है ।

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किसानों की पीड़ा अवश्य सामने आई है कि अरसे से जारी अफ़ीम भावों में वृद्धि की मांग केंद्र सरकार ने नहीं मानी है । अब तो अफ़ीम उत्पादन की लागत भी बहुत बढ़ गई है । जबकि तस्करी बाजार में प्रतिवर्ष ऊंचे मूल्यों पर अफ़ीम और बाय प्रोडक्ट अवैध रूप से बिक्री होरहे हैं ।