Today’s Experience: थोड़ी जागरुकता बड़ा सकारात्मक बदलाव

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Today’s Experience:थोड़ी जागरुकता बड़ा सकारात्मक बदलाव

 पद्मश्री डॉ.लीला जोशी 

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रात की तेज़ बारिश थम चुकी थी, इसी कारण कई दिनो से सुबह घूमने जाने का सिलसिला टूट सा रहा था तो सोचा चलडॉ घूम आते हैं l पास की कॉलोनी से गुजरते हुए  मेरी नज़र गई, कई घरों के बाहर सीमेंट के बने,  बिना ढक्कन के जानवरों के  पानी पीने के लिए बड़े हॉझ जैसे बर्तन, जो सभी बरसात के पानी से  भरे थे।

 

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यह स्थिति किसी एक  घर की न होकर हर तीसरे, चौथे  घर की थी। यह कॉलोनी चाहे पॉश न हो पर  पढ़ें लिखे  व समझदार लोगों की तो है ही।  कल ही कॉलोनी के कुछ चेहरे नगर निगम ऑफिस के बाहर धरने  पर बैठे देखे गए “डेंगू फैला है नगर निगम सोती है ,फॉगिंग  नहीं करवाती ” आदि, आदि    नारे लग रहे थे। मैंने कुछ कॉलोनी के लीडर जैसे लोगों से संपर्क करने की भी कोशिश की, पर कुछ खास सफ़लता नहीं मिल पाई।
आज सुबह जब मैं घूमने गई तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, करीब, करीब सब बर्तन खाली व उल्टे पड़े थे और बांकी ढके  हुए, अब कहाँ पनप पायेंगे डेंगू के  मच्छर ?

 पद्मश्री डॉ.लीला जोशी

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