Tribals Claim Victory : वन पट्टों को लेकर सर्वे की घोषणा आदिवासियों की जीत, नेता प्रतिपक्ष के दबाव में फिर झुकी सरकार!

सिर्फ घोषणा ही समाधान नहीं, वन ग्रामों में सर्वे कब, कमेटी कब बनेगी, सरकार जवाब दे! 

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Tribals Claim Victory : वन पट्टों को लेकर सर्वे की घोषणा आदिवासियों की जीत, नेता प्रतिपक्ष के दबाव में फिर झुकी सरकार!

देखिए, उमंग सिंघार की X पोस्ट

Bhopal : मुख्यमंत्री ने वन ग्रामों का फिर से सर्वे कराने और आदिवासी पट्टे को लेकर की गई घोषणा को लेकर लगातार आदिवासियों की आवाज उठा रहे प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे स्वागत योग्य कदम बताया। उन्होंने सरकार से नीति स्पष्ट करने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष ने इस मामले को लेकर नेपानगर में रैली करके 15 दिन की समय सीमा देते हुए आंदोलन की चेतावनी दी थी। इसके बाद सरकार को झुकना पड़ा। सिंघार ने इसे आदिवासियों की जीत बताते हुए सरकार से सवाल भी पूछे हैं।

उमंग सिंघार ने भोपाल में मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की आदिवासियों के पट्टे को लेकर की गई घोषणा प्रदेश के आदिवासियों की जीत है। सरकार को आदिवासियों की पीड़ा और संघर्ष के आगे झुकना पड़ा। उन्होंने कहा कि वन ग्रामों में फिर से सर्वे होगा, और जो छूटे हैं उन्हें पट्टे दिए जाएंगे यह एक स्वागत योग्य कदम है।

सिंघार ने कहा कि हमने हमने नेपानगर क्षेत्र में आदिवासियों के वन भूमि के पट्टों के अधिकार के लिए आंदोलन शुरू किया था। यह संघर्ष आगे भी जारी रहेगा। सिर्फ घोषणा ही समाधान नहीं है सरकार इन बिंदुओं पर जवाब दे :

– जिन 3.5 लाख वनाधिकार पट्टों को आपने निरस्त किया, क्या उनका दोबारा सर्वे होगा?

– जो 1.25 लाख नए आवेदन आए हैं, क्या उन्हें भी इस सर्वे में शामिल किया जाएगा?

– सरकार सर्वे कब तक कराएगी? क्या इसकी कोई समय-सीमा तय की गई है?

– सर्वे के लिए कमेटी का गठन कब होगा? कौन ज़िम्मेदार होगा, और कब तक टीम गांवों में पहुंचेगी?

सिंघार ने कहा यह सिर्फ़ एक घोषणा लग रही है। इससे प्रदेश के आदिवासियों को कोई वास्तविक लाभ नहीं मिलने वाला। सरकार को इन सवालों का तत्काल और स्पष्ट जवाब देना चाहिए।

 

जंगल कौन काट रहा है, इसकी जांच हो

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आदिवासियों के जंगल कौन काट रहा है, सरकार इस पर जांच कराए। उन्होंने सरकार से पूछा कि आख़िर ऐसा क्या कारण है कि पिछले दो-तीन वर्षों में कई इलाकों में जंगल तेजी से साफ हो रहे! क्या इसमें वन विभाग की मिलीभगत है? बार-बार आदिवासियों पर आरोप लगाया जाता है कि वो जंगल काट रहे हैं, लेकिन सच्चाई क्या है?

उमंग सिंघार ने अंत में कहा कि सरकार को इस पूरे मामले की तत्काल निष्पक्ष जांच करानी चाहिए, ताकि जंगल बचें और आदिवासियों को बदनाम करने की साज़िश भी सामने आ सके। गौरतलब है कि आदिवासियों के पट्टों और अधिकारों को लेकर नेता प्रतिपक्ष ने नेपानगर में बड़ी रैली की थी और सरकार को 15 दिन में मामलों का निराकरण ना होने पर आंदोलन की चेतावनी दी थी। इसके अलावा देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र भी लिखा था, जिसके बाद सरकार झुकी और उन्हें आदिवासियों को लेकर एक कदम आगे बढ़ाना पड़ा।