बिजनेस विशेषज्ञ बसंत पाल की रिपोर्ट
रूस-यूक्रेन युध्द के चलते भारत से कृषि उत्पाद Agri Commodity Export बढ़ाने का शानदार अवसर है। रूस और यूक्रेन की विश्व बाज़ार में गेहूं के निर्यात में 29 फ़ीसदी हिस्सेदारी है। अब जबकि दोनों देश युद्ध में उलझे हैं और रूस से व्यापार पर कई प्रतिबंध लगा दिए गए, तो ऐसी स्थिति में भारत से गेहूं (Wheat) और मक्का (Maize) का एक्सपोर्ट बढ़ सकता है। हालांकि, इस लड़ाई का सीधा असर कमोडिटीज की ग्लोबल सप्लाई (Global Commodities Supply) पर भी पड़ा है।
क्रिसिल रिसर्च (Crisis Report) ने कमोडिटीज की सप्लाई पर रिपोर्ट जारी की है। इसमें कई कमोडिटीज की सप्लाई पर पड़ने वाले असर के बारे में बताया गया है। क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडिया के एग्री-ट्रेड पर यूक्रेन क्राइसिस का मिलाजुला असर पड़ेगा। हालांकि, इंडिया के लिए गेहूं और मक्का का निर्यात बढ़ाने के लिए यह बड़ा मौका है। लेकिन, खाद्य तेलों के इंपोर्ट पर होने वाला खर्च बढ़ जाएगा।
इसकी वजह यह है कि इस क्राइसिस के चलते खाने के तेलों की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस और यूक्रेन गेहूं, सनफ्लावर ऑयल और मक्का के बड़े सप्लायर हैं। जबकि, भारत गेहूं का बड़ा एक्सपोर्टर है और सनफ्लावर सहित अन्य खाद्य तेलों का बड़ा आयातक है। इसलिए इस क्राइसिस से भारत के लिए गेहूं और मक्का का निर्यात बढ़ाने का अवसर है। लेकिन, भारत का खाद्य तेल का आयाबिल काफी बढ़ जाएगा। इससे पहले कहा गया था कि यूक्रेन क्राइसिस के चलते फर्टिलाइजर्स के इंपोर्ट पर असर पड़ेगा। इससे खरीफ की बुवाई के दौरान किसानों को फर्टिलाइजर्स के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। अभी से पोटाश सहित कुछ फर्टिलाइजर्स की कीमतें बढ़ गई हैं। इंडिया रूस और यूक्रेन से फर्टिलाइजर्स का इंपोर्ट करता है।
क्रूड ऑयल की कीमत का असर
क्रूड ऑयल की कीमतें भी यूक्रेन क्राइसिस शुरू होने के बाद काफी बढ़ गई हैं। एक समय तो क्रू़ड का भाव 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। अब यह घटकर 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया है। यह भारत के लिए अच्छा नहीं है। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी ऑयल का इंपोर्ट करता है। ऐसे में इसका पेट्रोलियम इंपोर्ट बिल बहुत ज्यादा बढ़ जाने का अनुमान है। भारत में गेहूं की नई फसल भी पककर तैयार है और सरकारी गोदामों में लाखों टन गेहूं का स्टाक है। आगामी अप्रैल माह ने नए गेहूं की आवक मंडियों में शुरू हो जाएगी। जल्दी बुआई वाले गेहूं की आवक मंडियों में शुरू हो गई है। यूक्रेन संकट के कारण गेहूं का भाव मध्यप्रदेश की मंडियों में समर्थन मूल्य 2200 से बढ़कर खुले बाज़ार में 2300 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। आने वाले दिनों में इसमें और बढ़ोतरी का अनुमान है।