Sunita Williams की लैंडिंग सीधे पानी में ही क्यों? NASA ने क्यों चुनी 7 स्प्लेशडाउन साइट्स?

446

Sunita Williams की लैंडिंग सीधे पानी  में ही क्यों? NASA ने क्यों चुनी 7 स्प्लेशडाउन साइट्स?

भारतीय मूल की NASA अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विलमोर को लेकर SpaceX का Crew Dragon स्पेसक्राफ्ट धरती की ओर लौटा। पिछले 9 महीने से अंतरिक्ष में फंसे सुनीता और विलमोर के लिए घर वापसी हुई।भारतीय समयानुसार 19 मार्च 2025 की तड़के सुबह 3:27 बजे यह फ्लोरिडा तट पर समुद्र में स्प्लैशडाउन (Water Landing) कर गया। ऐसे में जेहन में यह सवाल उठना लाजमी है कि सुनीता का एयरक्राफ्ट सीधे पानी में क्यों उतरा? जमीन में क्यों नहीं आइए जानते हैं…

AP03 19 2025 000001B

स्प्लैशडाउन का मतलब है पैराशूट की मदद से अंतरिक्ष यान को पानी में उतारना. अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष से सुरक्षित घर वापस लाने के लिए यह एक आम तरीका है. पृथ्वी की ओर लौटते समय अंतरिक्ष यान बहुत तेज गति से आ रहा होता है और इसे धीमा करना जरूरी होता है. जब अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो हवा के कणों से रगड़ के कारण घर्षण पैदा होता है जो यान को धीमा करता है. इस प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा ऊष्मा में बदल जाती है. यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ डकोटा में अंतरिक्ष अध्ययन के सहायक प्रोफेसर मार्कोस फर्नांडीज टूस ने बताया कि यह गर्मी आसपास की हवा को बहुत गर्म कर देती है. पुनः प्रवेश की गति ध्वनि की गति से कई गुना ज्यादा हो सकती है, इसलिए हवा के दबाव से यान के आसपास का तापमान लगभग 2,700 डिग्री फ़ारेनहाइट (1,500 डिग्री सेल्सियस) तक पहुंच जाता है.

असल वजह भी जान लीजिए
स्प्लैशडाउन के दौरान यान को सुरक्षित गति तक पहुंचने का पर्याप्त समय नहीं मिलता. इसलिए अंतरिक्ष एजेंसियां यान को सुरक्षित उतारने के लिए दूसरे तरीके अपनाती हैं. नासा अंतरिक्ष यान की गति को कम करने और चालक दल की सुरक्षित लैंडिंग के लिए पैराशूट का इस्तेमाल करता है. ओरियन यान के पैराशूट सिस्टम में 11 पैराशूट हैं जो 9,000 फीट की ऊंचाई और 130 मील प्रति घंटे की गति पर खुलते हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, मुख्य पैराशूट यान को 17 मील प्रति घंटे की गति से उतारते हैं. पैराशूट के बावजूद, यान का किसी सख्त सतह पर उतरना खतरनाक हो सकता है इसलिए इसे झटके को सोखने के लिए किसी चीज की जरूरत होती है. पानी एक अच्छा शॉक एब्जॉर्बर है और इसी वजह से स्प्लैशडाउन का चलन शुरू हुआ.

टूस के अनुसार, पानी में चिपचिपाहट कम होती है और चट्टानों की तुलना में इसका घनत्व कम होता है जिससे यह अंतरिक्ष यान की लैंडिंग के लिए उपयुक्त है. पानी ग्रह की सतह के 70 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है, इसलिए अंतरिक्ष से गिरने पर यान के पानी में गिरने की संभावना अधिक होती है. अगर जमीन असमान हो तो सूखी जमीन पर उतरना खतरनाक हो सकता है. यान पलट सकता है या ढलान से नीचे लुढ़क सकता है. यह चालक दल के लिए भी असहज हो सकता है.

कार हादसे जैसा होता है..
2007 में रूसी अंतरिक्ष यान सोयूज से लौटने वाले नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री माइकल लोपेज़-एलेग्रिया ने बताया कि यह अनुभव अंतरिक्ष में सात महीने बिताने के बाद कार दुर्घटना जैसा होता है. 1976 में सोयुज यान दुर्घटनाग्रस्त होते-होते बचा था. पुनः प्रवेश के दौरान कैप्सूल अपने रास्ते से भटक गया और एक जमी हुई झील पर जा गिरा. चालक दल बाल-बाल बच गया.

हालांक‍ि कुछ नुकसान भी
हालांकि, पानी में लैंडिंग के भी कुछ नुकसान हैं. सोयुज लैंडिंग के अनुभवी केन बोवर्सॉक्स का मानना है कि जमीन पानी से ज्यादा सुरक्षित है. उनके अनुसार, जमीन पर अगर लैंडिंग उबड़-खाबड़ भी हो तो भी आप यान से बाहर निकल सकते हैं. पानी में अगर कुछ भी गड़बड़ हुई तो मुश्किल हो सकती है. 2003 में सोयुज यान अपने लक्ष्य कजाकिस्तान के मैदानों से 200 मील (322 किमी) दूर उतरा था. बोवर्सॉक्स के अनुसार, जमीन पर तो आप कुछ घंटे इंतजार कर सकते हैं, लेकिन पानी पर यह मुश्किल होता है। उन्होंने इस अनुभव की तुलना विमान वाहक पोत पर लैंडिंग से की. नासा के अनुसार, पुनः प्रवेश के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को खिड़की से बाहर आग की एक दीवार दिखाई देती है.